राजस्थान में गर्मी ने 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ा:फरवरी में ही पड़ रही मार्च जैसी गर्मी, अस्पतालों में मरीजों की भीड़
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
जयपुर
राजस्थान में इस साल फरवरी में गर्मी ने 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। चार जिलों में तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर चला गया है। मौसम में आए इस बदलाव और तेज गर्मी का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। इससे फसलों को नुकसान पहुंच रहा है।
मौसम केन्द्र जयपुर के मुताबिक बीकानेर में तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है, जबकि यहां पिछले 11 साल में फरवरी के महीने में कभी भी अधिकतम तापमान 35.6 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं गया। इसी तरह बाड़मेर में 38 डिग्री, अजमेर में 34 और जोधपुर में 36 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रिकॉर्ड हुआ है। जैसलमेर में भी तापमान 11 साल में सर्वाधिक दर्ज हुआ है।
रात में भी बढ़ने लगा तापमान
राजस्थान के कई शहरों में रात में भी अब सर्दी का असर कम हो गया है। जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जैसलमेर में रात का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इधर पिलानी, बाड़मेर, कोटा, जोधपुर, गंगानगर में बीती रात न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज हुआ।
15 से 20 फीसदी तक पैदावार होगी प्रभावित
कृषि अनुसंधान केन्द्र फतेहपुर (सीकर) के जोनल डायरेक्टर रिचर्स डॉ. एसआर ढाका ने बताया कि एकदम से गर्मी का आना फसलों के लिए काफी नुकसान दायक साबित होगा। गर्मी के कारण फसल समय से पहले पक जाएगी। इससे गेंहू, सरसों, जौ, चने के दाने अपने नेचुरल साइज में नहीं बनेंगे और ये छोटे रह जाएंगे।
इससे फसलों की पैदावार में 15 से 20 फीसदी तक की कमी देखने को मिल सकती है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह पहले तक तापमान फसलों के अनुकूल था, लेकिन अब बड़ा बदलाव हो गया है।
मौसमी बीमारियां बढ़ीं
पिछले एक सप्ताह के दौरान मौसम में आए अचानक इस बदलाव से बीमारियां बढ़ गईं। बड़ी संख्या में लोग खांसी, बुखार, जुकाम की चपेट में आ रहे हैं। सरकारी डिस्पेंसरी, अस्पतालों की ओपीडी में 40 फीसदी मरीज इन्ही बीमारियों से संबंधित आ रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम में इस बदलाव के कारण वायरस तेजी से एक्टिव होते हैं, जो लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं।
जून तक रहेगी भीषण गर्मी
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल जून तक भीषण गर्मी रहेगी। चिंता की बात यह है कि गर्मी के मौसम में तापमान कंट्रोल करने वाली छिटपुट बारिश भी इस साल न के बराबर होने की आशंका है।
मौसम विशेषज्ञ ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि पश्चिमी प्रशांत महासागर में इस साल ला नीनो से अल नीनो की कंडिशन बन रही है। इसके अलावा आईओडी यानी इंडियन ओशन डाइपोल में वर्तमान कंडिशन न्यूट्रल है। एक्सपर्ट की मानें तो जब प्रशांत महासागर में अल नीनो की कंडिशन बनती है और आईओडी न्यूट्रल कंडिशन में रहता है तो भारत में न केवल गर्मी तेज होती है, बल्कि मानसून भी कमजोर रहता है।
जानें- क्या है कारण
इसके पीछे कारण समुद्री लेवल पर तापमान में परिवर्तन है। अभी समुद्री तल पर तापमान सामान्य से 0.4 डिग्री कम है, लेकिन ये अगले माह मार्च-अप्रैल में बढ़कर प्लस में आने की परिस्थितियां बन रही है। इसके अलावा विंड पैटर्न भी तेजी से बदल है।
फरवरी में ही विंड पैटर्न नॉर्थ से साउथ के जगह नॉर्थ-वेस्ट से साउथ-ईस्ट हो गया है। इससे राजस्थान समेत मध्य भारत और दक्षिण भारत के राज्यों में इस बार फरवरी में तापमान 36 डिग्री या उससे ऊपर चला गया है।
वहीं इस बार विंटर सीजन(सर्दी के मौसम) में भारत में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की फ्रिक्वेंसी कम रही है। नवंबर-दिसंबर में कम फ्रिक्वेंसी के कारण उत्तर भारत में सर्दी के सीजन की बारिश-बर्फबारी कम हुई, जिससे दिसंबर तक सर्दी भी सामान्य से कम रही।