*पेपर खरीदने ओर बेचने वाले तक पहुंच नहीं थमे हाथ, संरक्षण देने वालों ‘आकाओ’ के चेहरे भी हो बेनकाब*
*भर्ती करने वाली संस्थाओं में सर्जरी कर हो आमूलचुल बदलाव, युवाओं के भविष्य से बर्दाश्त नहीं कर सकते खिलवाड़*
*टिप्पणी-निलेश कांठेड़*
राजनीति ओर नेताओं की विश्वसनीयता तो पहले ही ‘पाताल’ में पहुंच चुकी है ओर अब उसी के पदचिन्हों पर भर्ती परीक्षाओं के हाल हो रहे है यानि कोई कितना भी पाक-साफ हो भरोसा खत्म होता जा रहा है। जिस तरह बिना ‘लक्ष्मी’ का सहारा लिए केवल ईमानदारी के बल पर पार्षद या पंच का चुनाव जीतना भी असंभव सा माने जाने लगा है उसी तरह के हालात सरकारी भर्ती परीक्षाओं के हो रहे है यानि ये धारण बलवती हो जा रही है कि बिना प्रश्नपत्र का जुगाड़ किए या डमी परीक्षार्थी बिठाए बिना सरकारी नौकरी में चयन आसमान से तारे तोड़ने के समान है। इस धारण के चलते सबसे अधिक खामियाजा उन प्रतिभावान परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ रहा है जो दिन-रात की गई कड़ी मेहनत के बल पर सफलता हासिल कर रहे है फिर भी लोग यही मानते है कि कहीं से प्रश्नपत्र का जुगाड़ हो गया होगा या पैसे देकर जोड़-जुगाड़ बिठाए होगा। राजस्थान में सरकारी नौकरी पाने के लिए होने वाली परीक्षाओं की विश्वसनीयता का ग्राफ कुछ वर्षो में इतनी तेजी से गिरा है कि उसे फिर से बहाल करना किसी भी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। राजस्थान में आरएएस, अध्यापक व पटवारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले अभी सुलझे ही नहीं है कि उससे पहले ही पुलिस उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा-2021 में पेपर लीक प्रकरण में जो पर्दाफाश हो रहे है वह धन ओर सिफारिश की बजाय मेहनत पर भरोसा करने वाले बेरोजगार प्रतिभावान युवाओं व उनके अभिभावकों की रातों की नींद उड़ा देने वाले है। जब परीक्षा के टॉपर्स ही पेपर खरीदने वाले अभ्यर्थी बन जाएंगे तो प्रतिभावान निर्धन युवा कहां जाएंगा। इन मामलों में पिछले पांच वर्ष में राजस्थान में सत्तासीन रही कांग्रेस सरकार तो जिम्मेदार है ही साथ अब राज्य में सत्ता की बागड़ोर संभाल रही भाजपा की जिम्मेदारी भी कम नहीं होगी। प्रश्नपत्र खरीद या डमी अभ्यर्थी बिठा चयनित होने वाले परीक्षार्थियों के साथ पेपर माफिया के नाम पर केवल कोचिंग सेंटर चलाने वालों ओर सरकारी नौकरियां कर रहे कर्मचारियों की धरपकड़ से युवाओं के भविष्य के लिए नासूर बन चुकी इस महामारी का अंत नहीं होगा। यदि पेपर लीक जैसे घातक वायरस से परीक्षाओं को बचाना है तो राजस्थान सरकार के साथ उसे चलाने वाली पार्टी को भी मजबूत फैसले लेने होंगे। ये बात साधारण व्यक्ति के गले कदापि नहीं उतरने वाली है कि फरार चल रहे कुछ पेपर माफिया को पकड़ लेने से सारे दोषी कानून के शिंकजे में हो जाएंगे सब ये बात जानते ओर मानते है कि ऐसी प्रतिभाओं के भविष्य को बर्बाद करने वाले ऐसे गिरोह ‘आका’ बने बड़े राजनेताओं ओर अधिकारियों के संरक्षण के बिना कदापि पनप नहीं सकते। अब राजस्थान सरकार हो या केन्द्र सरकार चुनौती प्रश्नपत्र गिरोह को नोटो ओर वोटो के मोह में प्रश्रय दे रहे आकाओ के गले तक हाथ पहुंचाने की है। जब तक इन गिरोह को पनपाने वाले नेताओं ओर अफसरों के चेहरों से नकाब नहीं उतरेगा व्यवस्था सुधरने का यकीन कोई नहीं कर पाएंगा। राजस्थान की भजनलाल सरकार के पास मौका है कि भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक कराने वाले, डमी कैडिंडेट बिठाने वाले ओर पैसे ओर सिफारिश के बल पर योग्य की अनदेखी कर अयोग्य का चयन करने वाले बड़े चेहरों को बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के बेनकाब कर जनता का विश्वास फिर भर्ती परीक्षाओं की निष्पक्षता के लिए अर्जित कर सके। यदि सरकार किसी भी कारण से इन चेहरो को बेनकाब करने की बजाय बचाने का प्रयास करेेगी तो यकीन मानिए पांच वर्ष बाद वह भी उसी तरह कटघरे में खड़ी होगी जिस तरह अभी कांग्रेस की पिछली गहलोत सरकार आ चुकी है। यदि चौर-चौरे मौसरे भाई वाली धारण राजनीति में पनपने से रोकनी है तो भाजपा सरकार को उन नेताओं के चेहरों से ईमानदारी ओर जनसेवा का मुखोटा उतार के फेंकना होगा जो भर्ती परीक्षा गिरोह के आश्रयद
ाता बन प्रतिभाओं का गला घोंटने का संगीन अपराध कर चुके है। ऐसे नेताओं व अफसर जोड़-तोड़ से सरकारी दण्ड से भले बचाव कर भी ले पर उपर वाले की अदालत में तो उन्हें सजा भुगतनी ही पड़ेगी वहां कोई पैरेवी या सिफारिश उन्हें इन कर्मो का दण्ड पाने से नहीं बचा पाएंगी।
*स्वतंत्र पत्रकार एवं विश्लेषक*
पूर्व चीफ रिपोर्टर,राजस्थान पत्रिका, भीलवाड़ा
मो.9829537627