*‼️उन्नीस नए ज़िले !यानि उन्नीस साँपों की माला पहन कर गहलोत बने शिव शंकर‼️*🤷♂️
_*यदि दो महीनों में, नए ज़िले व्यवहारिक स्वरूप में नहीं आए तो फ़ायदे की जगह नुक़सान उठाएंगे गहलोत!!!*_💯
_*क्या फ़ोन टेप कांड में उलझाए जा सकते हैं गहलोत?*_😨
_*डोटासरा को हटा कर सचिन को बनाया जा सकता है प्रदेश अध्यक्ष?*_🤔
_*पुष्कर विकास प्राधिकरण बनाम “राठौड़ बाबा विकास प्राधिकरण!”*_🤪
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजस्थान में सियासती भूकंप आया हुआ है ! अभी कई शहरों की ज़मीन हिलेगी ! मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में 19 नए ज़िले बनाकर सियासत की शतरंज पर अपनी धाक जमा ली है! सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस को इन नए ज़िले बनाए जाने पर सकारात्मक परिणाम मिलेंगे ❓️❓️*
*क्या चौकाने वाले उनके इस फ़ैसले को वह आने वाले चुनाव में जीत में तब्दील कर पाएंगे❓️*
*इसी के साथ जुड़ा है एक और सवाल !!! क्या उनके इस फ़ैसले से सचिन पायलट नेपथ्य में चले जाएंगे ❓️*
*सवाल तो और भी कई हैं। इनमें एक सवाल यह भी प्रमुख है कि “फोन टेप कांड” की जांच ख़त्म हो चुकी है। कानून अपना फ़ैसला सुनाने वाला है। गहलोत के कुछ लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। गहलोत भी इस आग में झुलसाए जा सकते हैं !! क्या गहलोत इस मामले में व्यस्त कर दिए जाएंगे ❓️*
*क्या वह 19 जिलों को बनाने की घोषणा के बाद उनको साकार स्वरूप देने का समय निकाल पाएंगे ❓️*
*दोस्तों !! अशोक गहलोत डाल डाल पर फुदक रहे हैं तो उधर दिल्ली में बैठी भाजपा सरकार पात पात पर उछल कूद मचा रही है।😇*
*गहलोत के “मास्टर स्ट्रोक” को को उनके गले की हड्डी बनाने के लिए भाजपा के शीर्ष नेता कितने व्याकुल हैं शायद गहलोत को अब तक नहीं समझ पाए हैं।*
*मेरा राजनीतिक आंकलन पिन पॉइंटेड होता है और यही वजह है कि सच उसका पीछा करता है ।इसलिए मैं आज भी दावे के साथ कह रहा हूं कि यदि 19 जिलों को चुनाव से पहले, कामयाबी से, व्यवहारिक रूप में ला दिया गया!!!! यदि सभी ज़िलों में जिला कलेक्टर !पुलिस कप्तान! और अन्य विभागों के अधिकारी तैनात कर दिए गए तो कांग्रेस फिर से सत्ता में आ जायेगी! यह 19 ज़िले कांग्रेस की झोली में लगभग 100 विधायक डाल देंगे! संभागों की घोषणा! कर्मचारियों की पुरानी पेंशन और पुष्कर विकास प्राधिकरण ! जैसे फैसले भी कांग्रेसी विधायकों की संख्या बढ़ाएंगे !*💯
*अजमेर जिले की बात ही करें तो केकड़ी , ब्यावर , मसूदा , पुष्कर, नसीराबाद ,कांग्रेसी खातों में जाएगा! इसमें कोई दो राय नहीं!*🤷♂️
*पुष्कर विकास प्राधिकरण बनाए जाने से वहां के भावी प्रत्याशी राठौड़ बाबा सशक्त रूप में स्थापित हो चुके हैं ! मजे की बात यह है कि जब वह न तो सांसद हैं न विधायक ! तब भी वर्तमान विधायक सुरेश रावत पर भारी पड़ रहे हैं !विधायक होने के बावजूद सुरेश रावत पुष्कर के विकास पर मोहर नहीं लगा पा रहे ,जबकि राठौड़ बाबा कदम कदम पर विकास के रास्ते खोल रहे हैं, और आम जनता में लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा रहे हैं। उन्होंने अभी से यह सिद्ध कर दिया है कि जब वह विधायक नहीं तब भी विधायक से ज्यादा कामयाबी मिल रही है तो विधायक बनने पर पुष्कर की महिमा को सातवें आसमान पर पहुंचा देंगे ।*💁♂️
*किशनगढ़ की राजनीति पर बात की जाए तो सांसद भागीरथ चौधरी अब तक के सबसे निम्नतम किस्म के सांसद सिद्ध हुए हैं। इस बार वह विधानसभा में आने को बेताब हैं। यदि भाजपा उनको विधानसभा का टिकट देती है तो एक बार फिर भाजपा का कमल मुरझा जायेगा। हां यदि किसी और चेहरे को टिकिट दिया जाता है तो भाजपा सीट निकाल सकती है। निर्दलीय के रूप में भारी मतों से चुनाव जीते सुरेश टांक को यदि भाजपा टिकट देती है तो वह चुनाव आसानी से जीत जाएंगे । यदि उनको कांग्रेस पार्टी टिकट देती है तो भी वह चुनाव जीत जाएंगे। मजेदार बात यह है कि यदि वह दोनों ही पार्टियों से टिकट न लेकर निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जीत और भी बेहतर होगी।*🙋♂️
*दोस्तों !! अशोक गहलोत ने 19 नए जिले बनाकर सांपों की माला अपने गले में डाल ली है। उन्होंने दोस्तों और दुश्मनों को एक साथ खेल के मैदान में उतार दिया है । यह खेल उनको भारी भी पड़ सकता है। नीमकाथाना को जिला बनाए जाने से यद्यपि उन्होंने सचिन पायलट के ख़ास सुरेश मोदी को अपने हिस्से में लाने की कोशिश की है। यदि ज़िला चुनाव तक प्रैक्टिकल नहीं बना तो घोषणा का कोई फायदा नहीं होगा।*😟
*नीम का थाना तो एक उदाहरण है ,वरना यह तय है कि चुनावों से पहले इन सभी 19 जिलों में ज़िला प्रशासन तैनात नहीं हुआ तो गहलोत को फायदे की जगह नुकसान का ही खामियाजा भुगतना पड़ेगा ।*🙃
*गहलोत को यदि फोन कांड में मचकाया नहीं गया? यदि उन्होंने सभी जिले कामयाबी से बनवा दिए!! यदि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा वसुंधरा को नहीं बनाया!! तो गहलोत फिर से सत्ता में आ जाएंगे यह बात शत प्रतिशत सही है ।*💯
*जहां तक सचिन पायलट का सवाल है मुझे लग रहा है कि उनको अतिशीघ्र डोटासरा की जगह प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाएगा।यद्यपि यह लगभग तय है मगर गहलोत ने यदि राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे की यह बात नहीं मानी तो वह कांग्रेस से पल्ला झाड़ लेंगे! मेरा निजी आंकलन तो यहां तक है कि वह आप पार्टी का राजस्थान में दबदबा बनाने के लिए वह स्वयं को प्रस्तुत कर देंगे। बाकी तो प्रभु इच्छा !! हा हा हा हा हा*😃