*रामनगर सखी मंडल ने की ईसर गणगौर की पूजा अर्चना*
*राजस्थान में क्यों मनाया जाता है गणगौर पर्व पढ़ें पूरी खबर द वॉयस ऑफ राजस्थान पर*
✍️ मोनू सुरेश छीपा
भीलवाड़ा लोकसभा के शाहपुरा जिले में शहर की रामनगर कॉलोनी की सखी मंडल द्वारा गणगौर पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया रामनगर सखी मंडल की महिलाओं ने नाचते गाते सेवरा लेकर ईसर गणगौर की पूजा की गई एवं गीत गाए गणगौर सुख संपत्ति एवं सौभाग्य प्राप्ति का त्यौहार है। कुंआरी कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियां पति के स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की कामना करती हुई सोलह श्रृंगार कर व्रत रखकर यह त्यौहार मनाती हैं। राजस्थान के इन व्रत एवं त्योहारों में गणगौर का विशेष महत्त्व है।
*राजस्थान में क्यों मनाया जाता है गणगौर पर्व*
राजस्थान के कई प्रदेशों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म है। मान्यता अनुसार माता गवरजा होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं तथा आठ दिनों के बाद ईसर (भगवान शिव) उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं। विदाई के दिन को ही गणगौर कहा जाता है। गणगौर की पूजा में गाए जाने वाले लोकगीत में इसी घटना का वर्णन होता है।
*गणगौर का क्या अर्थ है*
गणगौर ‘शब्द का शाब्दिक अर्थ है दो शब्द, गण’ और ‘गौर’। गण ‘भगवान शिव और गौर’ का पर्याय है जो गौरी या पार्वती के लिए कहा जाता है है जो सौभय (वैवाहिक आनंद) का प्रतीक है। गौरी उत्कृष्टता और वैवाहिक प्रेम की पहचान है। गणगौर के इस त्योहार में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
इस अवसर पर रामनगर सखी मंडल की सभी महिलाएं उपस्थित थी