इतना कुचलने के बाद भी सचिन पायलट के अनशन पर जबरदस्त भीड़ जुटी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह।
पायलट को किसान यूनियन का भी समर्थन मिला।
पायलट की आग छत्तीसगढ़ तक पहुंची। अजमेर से भी प्रमुख कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए।
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पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने की मांग को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने 11 अप्रैल को जयपुर के शहीद स्मारक जो अनशन शुरू किया उसमें जबर्दस्त भीड़ देखी गई है। कांग्रेस के कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भी अनशन स्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर पायलट को समर्थन दिया। भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसान भी बड़ी संख्या में अनशन स्थल पर मौजूद रहे। अनशन के दौरान पायलट ने मौन व्रत धारण कर रखा था, लेकिन उनके चेहरे से साफ लग रहा था कि वे भीड़ को देखकर उत्साहित हैं। पायलट के अनशन में यह भीड़ तब देखी गई, जब पिछले चार साल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट का राजनीतिक दृष्टि से कुचलने में लगे हुए हैं। जिस पायलट के दम पर 2018 में विधानसभा का चुनाव जीता गया, उन पायलट को 2019 में सियासी संकट के समय न केवल डिप्टी सीएम के पद से बल्कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से भी बर्खास्त कर दिया गया। पिछले तीन सालों में सचिन पायलट के समर्थकों को भी किसी भी जिले में तवज्जो नहीं दी गई। चूंकि एक दिवसीय अनशन को भी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी विरोधी घोषित कर दिया था, इसलिए अनशन से पायलट समर्थक मंत्रियों और विधायकों को अलग रखा गया, लेकिन उन मंत्रियों और विधायकों ने अपने अपने क्षेत्रों और जिलों से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को अनशन स्थल पर उपस्थित करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह रही कि अनुशासनहीनता से डरे बगैर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य कांग्रेस के निवर्तमान जिला अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जानकारों का मानना है कि पायलट ने सोची समझी रणनीति के तहत एक दिन का अनशन किया है। भले ही मुद्दा भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार का हो, लेकिन पायलट का निशाना कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर है। पायलट को भी पता है कि अनशन के बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व अनुशासनहीनता की कार्यवाही पर विचार कर सकता है। लेकिन जिस तरह हजारों कार्यकर्ता और संगठन के पदाधिकारी अनशन स्थान पर उपस्थित हुए उसमें राष्ट्रीय नेतृत्व को भी कोई कार्यवाही करने से पहले सोचना पड़ेगा। सीएम अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन पायलट समर्थकों ने इतनी बुरी दशा में भी पायलट का साथ नहीं छोड़ा है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब जिधर सचिन पायलट होंगे, उधर कांग्रेस के कार्यकर्ता भी खड़े होंगे।
किसान यूनियन का समर्थन:
पायलट के अनशन को भारतीय किसान यूनियन का समर्थन भी रहा, यूनियन से जुड़े सैकड़ों किसान 11 अप्रैल को पायलट के साथ अनशन पर बैठे। किसानों के साथ साथ श्रमिक, मजदूर और समाज के अन्य वर्गों के लोग भी अनशन स्थल पर नजर आए। पायलट ने गांधीवादी तरीके से अपना अनशन किया। मंच पर सिर्फ पायलट बैठे रहे और उनके आगे लकड़ी की एक टेबल रखी हुई थी। जानकार सूत्रों के अनुसार महात्मा गांधी भी स्वतंत्रता आंदोलन में जब अनशन करते थे, तो मंच पर लकड़ी की ऐसी ही टेबल रखते थे। पायलट ने अनशन पर बैठने से पहले जयपुर में समाज सुधारक ज्योतिबा फूले की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया। 11 अप्रैल को ही ज्योतिबा फूले की जयंती भी रही।
आग छत्तीसगढ़ तक पहुंची:
पायलट के अनशन की आग कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ तक पहुंच गई है। पायलट की तरह ही छत्तीसगढ़ में अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि पायलट अनशन कर कोई पार्टी विरोध कार्य नहीं कर रहे हैं। भाजपा राज में हुए भ्रष्टाचार की जांच की बात तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं कही थी। पायलट तो गहलोत के कथन का ही समर्थन कर रहे हैं। जब केंद्र सरकार कांग्रेस के नेताओं और गांधी परिवार के सदस्यों के खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है तो फिर गहलोत को भाजपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने पर क्या एतराज है।
अजमेर के प्रमुख नेता मौजूद रहे:
11 अप्रैल को अनशन स्थल पर अजमेर जिले के कांग्रेस के कार्यकर्ता अधिक से अधिक संख्या में पहुंचे इसके लिए मसूदा के विधायक और पायलट के समर्थक राकेश पारीक ने कमान संभाल रखी थी। पारीक ने भले ही अनशन स्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज न करवाई हो, लेकिन कार्यकर्ताओं और आम लोगों को अधिक से अधिक संख्या में जयपुर भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं, पार्षदों, और पदाधिकारियों के साथ अनशन स्थल पर उपस्थित रहे। इसी प्रकार विधानसभा का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ने वाले बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी भी अपने क्षेत्र के समर्थकों के साथ अनशन स्थल पर देखे गए। पूर्व मेयर कमल बाकोलिया, प्रताप यादव, वैभव जैन, अमोलक सिंह छाबड़ा, नरेश सत्यावना, किशनगढ़ से राजू गुप्ता, मसूदा से संग्राम सिंह आदि ने भी उपस्थिति दर्ज करवाई। अजमेर उत्तर से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे महेंद्र सिंह रलावता को अनेक नेताओं की नजर तलाशती रही। पुष्कर की पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर और उनके पति इंसाफ अली हज यात्रा पर गए हैं,इसलिए पायलट के अनशन में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाए। यहां यह उल्लेखनीय है कि पायलट अजमेर से लोकसभा के सांसद रह चुके हैं और अजमेर में पायलट की जबरदस्त पकड़ है।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-04-2023)