मुनि शान्तिप्रिय ने संथारा ग्रहण किया भीलवाडा,
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
1जून 2023
जैन साधक का अन्तिम मनोरथ रहता है संथारा। संथारा यानी आजीवन अन्न का त्याग. जैन धर्म में संथारे का सर्वाधिक महत्त्व है। श्रावक हो या साधु सभी की अन्तिम इच्छा रहती है कि मेरे जीवन मे संथारा या संलेखना आ जाए। इसी लक्ष्य से ओतप्रोत हो कर देवरीया निवासी डीसा प्रवासी शान्तिलाल बोरदिया ने 2008 में 72 वर्ष की उम्र मे आचार्य महाप्रज्ञजी से जयपुर चातुर्मास मे अपने विशाल एवं संपन्न परिवार को छोड़कर मुनि दीक्षा ग्रहण कर 15वर्षो तक पदविहार कर आत्म कल्याण के साथ जन कल्याण का काम किया। 88 वर्षीय मुनि शान्तिप्रिय ने आचार्य महाश्रमण जी की अनुमति से उच्च मनोभाव से दि.27 मई 2023 को तिविहार संथारा ग्रहण किया। मुनि पारस कुमार ने संतों एवं समाज की उपस्थिति में मुनि शान्तिप्रिय को आजीवन अनशन कराया।
मुनि श्री की सेवा में हिसार से मुनि पदम कुमार एवं कांकरोली से मुनि सिद्धपज्ञ ने यथाशीघ्र पहुंच कर बड़ी जिम्मेदारी एवं जागरूकता से अगलान भाव से शान्ति मुनि की सेवा कर रहे है। संथारे के तीसरे दिन शासन श्री मुनि हर्षलाल एवं मुनि यशवंत कुमार शास्त्री नगर से विहार कर आर सी व्यास कालोनी में जयाचार्य भवन पधार कर शान्ति मुनि को दर्शन दे कर उन्हें जीवन मे लगी कोई भी दोष अतिचार की आलोयणा अर्थात प्रायश्चित देकर शुद्ध किया। इस अवसर पर तपस्वी मुनि प्रतिक कुमार एवं मुनि मोक्ष कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे। बोरदिया परिवार सेवा मे तत्पर है। मुनि श्री का संथारा उत्तरोत्तर प्रवर्धमान है। सभा मंत्री योगेश चंडालिया ने बताया कि
जयाचार्य भवन में संथारे की अनुमोदना मे निरन्तर जप,तप ,भजन संध्या हो रही है। तेरापंथ सभाध्यक्ष जसराज चोरडिया चिकित्सा प्रभारी गौतम दूगड, भिक्षु विहार के अध्यक्ष दिलीप मेहता, आदि का सराहनीय सहयोग मिल रहा है। संथारा ग्रहण मुनि शांति प्रिय के दर्शनार्थ श्रावक समाज की चहल पहल पूरे दिन रहती है।
तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल, युवक परिषद, टीपीएफ, अणुव्रत समिति ये सभी संस्थाएं अपने कर्तव्य के प्रति पूर्ण जागरूक है।
संथारा शुभ भावों के साथ अतिशीघ्र आत्मोत्थान को प्राप्त हो ऐसी मंगल कामनाएं की जा रही है। बच्चों, महिलाओं युवकों ने संथारे के उपलक्ष में कुछ संकल्प ग्रहण किए है। आपका संथारा उच्च भावों के साथ प्रवर्धमान हो।