*ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज बुधवार को करेंगे नूतन महल प्रवेश*
*शिखर पर होंगी 365 किलो के पांच कलश व ध्वजा दंड की स्थापना*
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
भीलवाड़ा,20 जून। ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव का मुख्य आयोजन बुधवार 21 जको होगा। इस दिन ठाकुरश्री दूधाधारी गोपालजी महाराज नूतन महल में प्रवेश करेंगे। श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज के सानिध्य में सुबह 11.30 बजे मंदिर के शिखर पर ध्वजा एवं कलश स्थापना के साथ छप्पन भोग व फूल बंगला का आयोजन होगा। शिखर पर 365 किलो के पांच कलश व ध्वजा दंड की विधि विधान के साथ स्थापना होगी। दोपहर 12.05 बजे श्री गोपाल यज्ञ पूर्णाहुति होगी। इस आयोजन को लेकर व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई है। इस आयोजन में जिन संत-महात्माओं का सानिध्य व आशीर्वाद मिलने वाला है उनमें श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्ददेव गिरीजी महाराज, महन्त ललितकिशोर शरणजी महाराज, लिम्बड़ी, महन्त रेवतीरमणदास महाराज मीठड़ी, महामण्डेलश्वर श्री राधामोहनदास महाराज बिना, महन्त राधाकृष्णदास महाराज डूंगरपुर, महामंडलेश्वर हंसरामजी महाराज हरिशेवाधाम भीलवाड़ा, पंचमुखी दरबार के महन्त लक्ष्मणदास त्यागी, पूरणदासजी की बगीची के महन्त आशुतोषदासजी महाराज, महन्त मोहनशरण महाराज उदयपुर, महन्त रासबिहारी महाराज उदयपुर, महन्त जुगलकिशोरशरण महाराज रेनवाल, महन्त मनोहरदास महाराज पलसाना, महन्त श्यामसुन्दरशरण महाराज अजमेर, महन्त गोपालदास महाराज सांगानेर भीलवाड़ा, निम्बार्क आश्रम के महन्त मोहनशरण महाराज भीलवाड़ा, महन्त बनवारीशरण महाराज काठियाबाबा भीलवाड़ा, महन्त श्यामसुन्दरशरण महाराज छोटा नरेना, महन्त जुगलशरण महाराज महू, महन्त गोपालदासजी महाराज मल्हारगढ़ आदि शामिल है।
*सफेद मार्बल को तराश पांच वर्ष में निर्मित ठाकुरजी का ‘नूतन महल’*
मंदिर के नवीन निर्माण की रूपरेखा को शिलान्यास के बाद प्रारंभ में स्व.सेठ सा. श्री छीतरमल समदानी एवं स्व. श्री गोपालजी काबरा द्वारा मूर्तरूप दिया गया एवं पूर्ण समय देकर निर्माण आगे बढ़ाते गए लेकिन वह कोविड़ महामारी के कारण आगे हमारे मध्य नहीं रहे। मंदिर दिव्य बनाने की इच्छा रखने वाली धर्मपरायण महिला स्व. श्री आशादेवी तोषनीवाल के धर्मसहायक श्री कृष्णगोपालजी तोषनीवाल ने उनकी इच्छानुसार तन,मन,धन लगाकर मंदिर के निर्माण को आगे बढ़ाया। विभिन्न भामाशाहों एवं दानदाताओं के सहयोग से लगभग 5 वर्ष 2 माह में कार्य पूर्ण किया गया। कार्य के मध्य कोविड आ जाने से कुछ परेशानियां आई लेकिन कार्य निरन्तर चलता रहा। भगवान श्रीकृष्ण की बाल क्रीड़ा स्थली वृन्दावनधाम के प्रेम मंदिर की तर्ज पर श्री दूधाधारी गोपालजी मंदिर का दो मंजिला नया महल (मंदिर) बनकर तैयार है। इसे पिंडवाड़ा के करीब 40 कारीगरों ने राजसमन्द के सफेद मार्बल पत्थर को तराश कर आकार दिया है। निर्माण में भी केवल मार्बल पत्थर को नक्कासी कर जोड़ा गया है। करोड़ो रूपए की लागत से बना ये शहर का पहला दो मंजिला मंदिर होगा जो करीब पांच हजार वर्ग फीट जमीन पर बना है। करीब 61 फीट उंचे मंदिर में 15-15 फीट की पहली व दूसरी मंजिल है। पहली मंजिल पर गर्भ गृह (निज मंदिर) है जिसमें ठाकुरजी बिराजेंगे और दूसरी मंजिल पर ठाकुरजी का शयन कक्ष होगा। दूसरी मंजिल पर मार्बल पत्थर से ही करीब 31 फीट उंचा शिखर बनाया गया है।
वर्ष 1982 में आचार्य पीठ से शिक्षा प्राप्त कर श्री कैलाश शर्मा एवं एडवोकेट श्री नंदकिशोरजी भीलवाड़ा आए तब से मंदिर में निरन्तर अपनी निःशुल्क सेवाएं दे रहे है। आप सभी के सहयोग एवं ईश्वर की कृपा से भगवान 21 जून 2023 को नूतन महल में प्रवेश करेंगे।
*भीलवाड़ा में 470 वर्ष पहले युगल स्वरूप ठाकुर श्री गोपालजी महाराज विराजमान*
धर्मनगरी भीलवाड़ा के धार्मिक गौरवमय इतिहास में सांगानेरी गेट स्थित श्री दूधाधारी गोपाल मंदिर का विशेष स्थान है। यहां करीब 470 वर्ष पूर्व सं. 1609 में बंसत पंचमी पर युगल स्वरूप ठाकुर श्री गोपालजी महाराज विराजमान हुए। मंदिर परिसर में शिव परिवार एवं बालाजी विराजमान है। अनन्त श्री विभूषित जगद्गुरू श्री निम्बार्काचार्य श्री राधासर्वेश्वरशरण देवाचार्य श्री श्रीजी महाराज ने गौलोकवासी महन्त श्री दीनबंधुशरण को वर्ष 1975 में भीलवाड़ा के श्री दूधाधारी गोपाल मंदिर का महन्त नियुक्त किया। श्री ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का मंदिर अतिप्राचीन होने एवं जीर्ण शीर्ण होने से गौलोकवासी महन्त श्री दीनबंधुशरण जी ने जगद्गुरू श्री निम्बार्काचार्य श्री श्रीजी महाराज की आज्ञा एवं अनुग्रह से ठाकुरश्री गोपालजी महाराज के मंदिर का नवीन निर्माण हेतु शिलान्यास 23 अप्रेल 2018 को कराया गया। गौलोकवासी महन्त श्री दीनबंधुशरणजी ने निम्बार्क सम्प्रदाय की सेवा प्रद्धति के अनुसार ठाकुरजी के उत्सव प्रारंभ किए जो अनवरत धूूमधाम से मनाए जा रहे है। इन उत्सवों में जन्माष्टमी, नन्द महोत्सव, राधा अष्टमी, गोपाष्टमी, श्रावण मास के झूले आदि शामिल है।