*भगवान को वहीं पाता जो उनकी भक्ति व प्रेम में रम जाता-श्रीजी महाराज*
*किसी भी रूप में करें कृष्ण की सेवा गोपी से कम नहीं आप*
*नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीमद् भागवत कथा का समापन*
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
भीलवाड़ा, 20 जून। गोपी किसी स्त्री का निजी नाम नहीं बल्कि भाव का नाम है। चाहे आप पुरूष है पर किसी भी रूप में कृष्ण की सेवा की है तो आप भी गोपी से कम नहीं है। शास्त्र और वेद की ऋचाएं है गोपिया और उनका प्रत्येक कर्म कृष्ण के लिए है। भगवान के लिए यह महत्व नहीं रखता कि आप उनको किस भाव से भज रहे हो बल्कि यह महत्व रखता है कि आप उनको कितना भज रहे हो। कृष्ण के लिए गोपियों ने अपना र्स्वस्व छोड़ दिया इसीलिए कहते सबसे उंची प्रेम सगाई। ये विचार ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के तत्वावधान में अग्रवाल उत्सव भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस मंगलवार को व्यास पीठ से श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज ने ब्रजभूमि पर भगवान कृष्ण के गोपियों संग महारास सहित विभिन्न प्रसंगों का वाचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होेंने कहा कि भगवान के लिए यह महत्व नहीं रखता है कि आप कौन है कैसे है बल्कि उसे वहीं पाता है जो उनसे प्रेम व भक्ति करता है। कृष्ण की बांसुरी की आवाज सुन गोपियां दौड़ी चली आती है। बांसुरी ही माध्यम है जो गोपियों को कृष्ण से जोड़ती है। गोपियों की इच्छा पूर्ण करने के लिए राधाजी को साथ लेकर भगवान कृष्ण शरदपूर्णिमा की रात यमुना किनारे गोपियों संग महारास करते है। कृष्ण को सबसे प्रिय गोपी गीत है जिसे विरह व प्रणय गीत भी कहते है। इसे गाने वाले को भगवान के दर्शन अवश्य होते है पर गोपी गीत गाने का सामर्थ्य भगवत कृपा से ही आ सकता है। जिसे भगवान आदेश दे वहीं गा सकता है। उन्होंने कहा कि रास के माध्यम से भगवान गोपियों पर कृपा करते है ओर उनके दिव्य स्वरूप के कारण प्रत्येक गोपी को लगता है कि भगवान उसके साथ रास कर रहे है। इस कारण गोपियों के मन में श्रेष्ठता का भाव आते ही भगवान उनके मध्य से अर्न्तध्यान हो जाते है। भगवान को मान व मद प्रिय नहीं है ओर ये आने पर भगवत प्राप्ति नहीं हो सकती। भगवान ने सभी रसिकजनों की अभिलाषा पूर्ण करने के लिए ही ये लीलाएं रची है। श्रीजी महाराज ने कहा कि ज्ञान, भक्ति व तप का भी मान होने पर भगवान दर्शन नहीं देते। मन निर्मल होने पर ही भगवान के दर्शन होते है। हमे अपनी वाणी, बुद्धि व ज्ञान पर कभी मान नहीं करना चाहिए। कथा के शुरू में श्रीजी महाराज का स्वागत करने वालों में भीलवाड़ा विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी, एडीएम डॉ राजेश गोयल, सीएमएचओ डॉ मुश्ताक खान,श्री अखिल भारतीय महेश्वरी सेवा सदन पुष्कर के उपाध्यक्ष एवं श्री गिरिराज धरण महेश्वरी सेवा ट्रस्ट गोवर्धन के ट्रस्टी अनिल बांगड़,
स्वास्तिक ग्रुप चेयरमैन राधेश्याम बहेड़िया, रजत बहेड़िया, अनिल बुलिया, कंचन ग्रुप के एमडी निलेश बांगड़, प्रकाश छाबड़ा, शारदा ग्रुप के चेयरमैन अनिल मानसिंहका, नरेन्द्र कोठारी, रमेश अग्रवाल, मंगलवार के जजमान शोभालालजी राजूजी झंवर एवं परिवार, बुधवार के जजमान बाबुलालजी दुर्गादेवी कोगटा परिवार, मनीष एवं सोनू कोगटा, चिन्मय, प्रणव व आन्जनम कोगटा, स्वागतकर्ता रामगोपाल राठी, आशादेवी राठी, हेमलता चेचाणी, डॉ. सुनील काबरा, चन्द्रकला काबरा, गोवर्धनलाल सोमानी, कैलाशचन्द्र आगाल, कोमल निशा तोषनीवाल, नवजोत आरती झंवर, अशोक इन्द्रा बसेर आदि शामिल थे। कथा के अंत में व्यास पीठ की आरती करने वालों में मंगलवार के जजमान शोभालाल राजूजी झंवर एवं परिवार, बुधवार के जजमान बाबुलालजी दुर्गादेवी कोगटा, आशीष कोगटा, कपिल कोगटा, अर्चित कोगटा, सत्यनारायण कोगटा, प्रभुदयाल कोगटा, अनिल कोगटा, विष्णुजी श्रीमती अंजनाजी कोगटा, गोविन्द मण्डोवरा, बालमुंकद नुवाल, श्रीमती रेखा शारदा, श्री श्याम अजमेरा, कमलेश कोगटा, कोशल कोगटा आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति द्वारा किया गया।
*सात दिन कर्ण रसपान के बाद अब मिलेगा आंखों का रस*
श्रीजी महाराज ने बुधवार को श्री दूधाधारी गोपालजी भगवान के नूतन महल में प्रवेश करने का जिक्र करते हुए कहा कि सभी के प्रयासों से यह संकल्प पूरा होने जा रहा है। हमारे भगवान अपने निज महल में विराजमान होंगे इससे पूर्व उनकी लीला उनको श्रवण कराने के लिए श्रीमद् भागवत का आयोजन नितांत आवश्यक था। सात दिन श्रीमद् भागवत के माध्यम से कर्ण रसपान किया और बुधवार को आंखों को रस मिलेगा जब निज महल में हमारे गोपाल भगवान आपको दिव्य स्वरूप में दर्शन देंगे। श्रीजी महाराज ने नूतन महल (मंदिर) निर्माण में सहयोग देने वालों सहित इस पूरे आयोजन को सफल बनाने वाले सभी कार्यकर्ताओं व भक्तगणों को भी धन्यवाद अर्पित किया। उन्होंने बताया कि पुरूषोत्तम मास में 10 से 16 अगस्त तक निम्बार्काचार्य पीठ में एवं 16 से 22 दिसम्बर तक जयपुर के गोविन्ददेवजी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराया जाएगा।
*आयोजन को सफल बनाने के लिए जताया आभार*
नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के कृष्णगोपाल तोषनीवाल ने आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार जताया। उन्होंने श्री दूधाधारी गोपाल मंदिर की महिमा, एतिहातिसक महत्व एवं नूतन महल निर्माण से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने श्रीजी महाराज का इस आयोजन के निमित भीलवाड़ा आगमन एवं अपने श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कराने पर आभार व्यक्त किया। तोषनीवाल आयोजन को सफल बनाने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग एवं सेवाएं प्रदान करने वाले सभी समाज के विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं एवं शहरवासियों का आभार जताया। कथा के दौरान जय-जय श्री राधे, श्री कृष्ण भगवान की जय, श्री रासबिहारी भगवान की जय, कृष्ण कन्हैयालाल की जय, श्री भागवत भगवान की जय, श्री दूधाधारी गोपाल भगवान की जय, श्री निम्बार्क भगवान की जय आदि जयकारे गूंजते रहे।
*विशेष डिजीटल अंक का श्रीजी महाराज ने किया विमोचन*
ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं विभिन्न आयोजनों के कवरेज पर आधारित विशेष डिजीटल अंक ‘नूतन महल प्रवेश महोत्सव’ की प्रति का विमोचन श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिवस को निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज ने व्यास पीठ से किया। विमोचन करने वालों में नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के कृष्णगोपाल तोषनीवाल, केजी सोनी, पंडित कल्याण शर्मा, महावीर समदानी आदि शामिल थे। श्रीजी महाराज ने इस अंक को तैयार करने वाले पत्रकार निलेश कांठेड़ को आशीर्वाद प्रदान किया।