उम्मीदों पर फिरा पानी:मौजूदा सरकार के कार्यकाल में नहीं होंगे तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ट्रांसफर, राज्य में 48 हजार खाली पद नई भर्तियों से भरे जाएंगे📚✅
बीकानेर
राज्य में 85 हजार ग्रेड थर्ड शिक्षक ट्रांसफर की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में इन शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं होंगे, क्योंकि सरकार अब पूरी तरह चुनावी मोड पर है। थर्ड ग्रेड शिक्षकों के ट्रांसफर उसकी प्राथमिकता में नहीं है और सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के लिए आचार-संहिता लग जाएगी।
पांच साल से ग्रेड थर्ड शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं हुए हैं। सरकार ने दो साल पहले वर्ष-21 में ट्रांसफर की प्लानिंग की और शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। राज्य में 2.50 लाख ग्रेड थर्ड शिक्षकों में से 85 हजार ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया। यानी, हर तीसरा शिक्षक ट्रांसफर चाहता है। सरकार ने आवेदन लेने के बावजूद ट्रांसफर नहीं किए। नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले मई में ट्रांसफर के लिए 21 बिंदुओं की गाइडलाइन बनाई गई। इससे शिक्षकों में उम्मीद जगी थी पर जनवरी में ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई। अब सरकार पूरी तरह चुनावी मोड पर आ गई है। अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में तय हो गया है कि शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं होंगे।
प्रतिबंधित जिलों के शिक्षकों को ज्यादा परेशानी
ट्रांसफर नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशान 10 प्रतिबंधित जिलों के करीब 45 हजार शिक्षक हैं जो 12 सालों से अपने गृह जिले या उसके आसपास ट्रांसफर की आस संजोए हैं। इनमें विधवा, परित्यक्ता और दिव्यांग भी शामिल हैं। अब सरकार 48 हजार नए ग्रेड थर्ड शिक्षकों की भर्ती कर रही है, जिसकी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। वर्तमान में राज्य में इतने ही पद खाली हैं। नई भर्ती से ये पद भर जाएंगे और उसके बाद जब पद खाली ही नहीं होंगे तो प्रतिबंधित जिलों के शिक्षकों का ट्रांसफर संभव नहीं होगा।
10 जिलों में पद खाली रहने के कारण लगी थी ट्रांसफर पर रोक
बीकानेर, बाड़मेर, डूंगरपुर, जालौर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, झालावाड़, सिरोही, बारां, जैसलमेर ऐसे जिले हैं जिन्हें डार्क जोन घोषित कर 20 साल से ट्रांसफर पर प्रतिबंध लगा रखा है। वर्ष 2011 में ग्रेड थर्ड शिक्षकों की भर्तियां जिलेवार होती थी, जिससे जिलों में पदों की संख्या का पता चल जाता था। बाद में वर्ष-16 से राज्य स्तर पर मेरिट बनने लगी। इससे मेरिट में ऊपर रहने वाले अभ्यर्थी को तो प्राथमिकता से जिला मिल जाता था और कम मेरिट वालों को डार्क जोन में नियुक्ति दी जाती थी। नौकरी लगे शिक्षक 12 सालों से अपने गृह जिले या आसपास के जिलों में ट्रांसफर के लिए प्रयासरत हैं।
शिक्षकों के ट्रांसफर से इसलिए बच रही है सरकार
राज्य सरकार के लिए थर्ड ग्रेड शिक्षकों के ट्रांसफर बड़ी मुसीबत बन गया है, जिससे वह बचना चाहती है। क्योंकि, ट्रांसफर चाहने वाले वाले शिक्षक बड़ी संख्या में हैं। दो साल पहले ही 85 हजार ने आवेदन किया था। अब नई गाइडलाइन के मुताबिक दुबारा आवेदन लेने पर संख्या और बढ़ जाएगी। सरकार विधानसभा चुनावों से पहले शिक्षकों को इधर-उधर नहीं करना चाहती। नई भर्ती उसकी प्राथमिकता है। डार्क जोन के नेता, मंत्री भी नहीं चाहते कि ट्रांसफर हो। क्योंकि, सरदर्दी बढ़ जाएगी।
लेट-लतीफी के कारण ग्रेड थर्ड शिक्षकों का ट्रांसफर सरकार के लिए मधुमक्खी का छत्ता बन गया है। अब सरकार इससे बचना चाहती है। जल्दी ही आचार संहिता लगने वाली है। ऐसे में तय है, ट्रांसफर नहीं होंगे।- रवि आचार्य, अतिरिक्त प्रदेश मंत्री, शिक्षक संघ राष्ट्रीय
सरकार को करीब एक लाख शिक्षकों की डिमांड को देखते हुए राजनीतिक आधार पर नहीं, नीति बनाकर ट्रांसफर करने चाहिए। तबादलों में प्राथमिकता उनको दी जानी चाहिए जो नियुक्ति के समय अपने पसंदीदा जिलों में लगना चाहते थे,पद कम होने के कारण नहीं लग पाए। – महेन्द्र पांडे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
पांच साल से ट्रांसफर नहीं होने के कारण शिक्षकों में सरकार के प्रति नाराजगी है। डार्क जाने वाले तो 12 सालों से इंतजार में हैं। एक माह में ट्रांसफर हो सकते हैं जिससे शिक्षकों को राहत और सरकार को चुनाव में फायदा मिलेगा। – श्रवण पुरोहित, प्रदेश मंत्री, शिक्षक संघ शेखावत
सीधी बात: डॉ. बीडी कल्ला, शिक्षा मंत्री
Q| ग्रेड थर्ड शिक्षकों के ट्रांसफर होंगे या नहीं? A| कार्मिक विभाग की ट्रांसफर पर रोक है। रोक हटेगी तो विचार करेंगे। Q| यानी ट्रांसफर संभव नहीं है, क्योंकि आचार संहिता भी लगने वाली है। A| मैं यह नहीं कहता कि संभव नहीं है। बैन खुलने पर ही विचार किया जा सकता है।
थर्ड ग्रेड शिक्षकों के ट्रांसफर का निर्णय सरकार स्तर पर होना है। इस संबंध में सरकार से फिलहाल कोई निर्देश नहीं हैं। – कानाराम, निदेशक, शिक्षा विभाग
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