भक्ति जब आपके जीवन में आ जायेगी, तब ईश्वर का अनुभव होने लगेगा। = श्री दिव्य मोरारी बापू
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग महामहोत्सव श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने नव योगेश्वरों का संवाद, दत्तात्रेय महाराज के चौबीस गुरुओं का संवाद,श्री शुकदेव जी का भागवत के विराम पर उपदेश के बारे में विस्तृत बताया गया व भागवत धर्म-अर्थात् भक्तों के धर्म का निरूपण- परमात्मा के मधुर मंगलमय चरित्रों को, उनके अवतारों को, उनके कर्मों को सुनना और उनके पवित्र चरित्र गाना, अनासक्त होकर संसार में विचरण करते रहना- यह वैष्णव का धर्म है। और इसी को भागवत धर्म अर्थात् भक्तों का धर्म कहा जाता है। जो परमात्मा का भक्त बन जाता है, प्रभु के कीर्तन में कभी वह रोने लगता है, कभी गाने लगता है और कभी नाचने लगता है, उसके हृदय में ऐसे भाव बनता है कि फिर वह अपने को रोक नहीं पता। जैसे गर्मी के दिनों में यदि मलेरिया हो जाये तो ठंड से कांपते मरीज को रजाई ओढ़नी पड़ती है, इसी तरह जब आपके जीवन में भक्ति का संचार होगा, तब यदि आप अपने स्वभाव को सुरक्षित रखना चाहें, तब भी नहीं रख पायेंगे। भक्ति का प्रवेश बलात् आपको कभी नचा देगा, कभी रुला देगा और कभी-कभी आपके हृदय को पिघला देगा। परमात्मा के चरित्रों में, आपकी प्रीति होगी। भक्ति जब आपके जीवन में आ जायेगी, तब ईश्वर का अनुभव होने लगेगा और संसार से आपकी विरक्ति हो जायेगी ।जैसे भोजन करो तो तुष्टी, पुष्टि और भूख की निवृत्ति एक साथ हो जाती है। भोजन किया नहीं, इसीलिए शरीर कमजोर हो रहा है, भोजन करने की ज्यादा इच्छा हो रही है और तृष्णा है। लेकिन जैसे-जैसे आप भोजन करते जाते हैं। भूख समाप्त होती जाती है,ज्यादा खाने की इच्छा खत्म हो जाती है और शरीर में शक्ति आ जाती है। तीनों काम एक साथ होते हैं। इसी तरह जो व्यक्ति भक्ति करता है, ईश्वर का अनुभव, संसार से व्यक्ति और आत्म-अनुभव से भक्ति के लक्षण है। उसे भक्ति, विरक्ति और आत्म प्रबोध एक साथ होते हैं। ईश्वर का भजन करते-करते ऐसा समय आयेगा कि आपको जब ईश्वर की भक्ति मिलेगी तो आत्म संतुष्टि, संसार से विरक्ति का अनुभव ये तीनों एक साथ प्राप्त होंगे। कथा में संत्सग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, पंडित रामेश्वर दास महाराज, एडवोकेट विजय प्रकाश शर्मा, सुभाष चंद जोशी, नंदलाल काबरा जगदीश शर्मा इत्यादि श्रद्धालु मौजूद थे।