*खिलाड़ीलाल बोले- गहलोत को गूंगा-बहरा नेता चाहिए:टिकट कटने पर कहा- चाबियों का छल्ला मुख्यमंत्री के हाथ में, 70 पार के हो गए, पद छोड़ें*
*जयपुर*
बसेड़ी से टिकट कटने के बाद मौजूदा विधायक और राज्य एससी आयोग अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा ने इस्तीफा देते हुए सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। पायलट समर्थक खिलाड़ीलाल बैरवा ने कहा- टिकटों की पूरी चाबी का छल्ला गहलोत ने अपने हाथ ले रखा है। सही बात बोलने वालों के टिकट काट दिए।
आयोग से इस्तीफे के बाद दैनिक भास्कर से बातचीत में खिलाड़ीलाल बैरवा ने कहा- मुझे सही बात उठाने की सजा दी गई है। शेड्यूल कास्ट के वोट तो चाहिए, लेकिन उसका नेता गूंगा बहरा चाहिए। सीएम का पद उन्हें छोड़ नहीं रहा के बयान पर बैरवा ने कहा- यह कुर्सी किसी की सगी नहीं है, पता ही नहीं चलेगा कब चली गई।
पढ़िए- खिलाड़ीलाल बैरवा का इंटरव्यू…
खिलाड़ीलाल बैरवा धौलपुर जिले की बसेड़ी सीट से कांग्रेस विधायक हैं।
खिलाड़ीलाल बैरवा धौलपुर जिले की बसेड़ी सीट से कांग्रेस विधायक हैं।
सवाल: आप सचिन पायलट के इतने नजदीक थे, फिर भी वे आपको टिकट नहीं दिला पाए?
खिलाड़ीलाल बैरवा : पायलट साहब ने पैरवी की, उन पर लांछन लगाना ठीक नहीं है। हमारे यहां एक संगठन है, एक सत्ता है, एक जनरल सेक्रेटरी और एक सेक्रेटरी होता है। अब इन चारों की चाबी जब एक ही छल्ले में हो तो कौन बच सकता है? सब रिपोर्ट उनकी, जो चाहे वो करें। अकेले सचिन पायलट क्या करें, यह कोई इश्यू नहीं है। तकलीफ वहां होती है, जब चिल्ला-चिल्ला कर कहते हैं कि मैं देते-देते नहीं थकूंगा आप मांगते-मांगते थक जाओगे। मुझे बड़ी तकलीफ होती है।
मैं पिछले डेढ़ साल से एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग करते करते थक गया। आपको एससी वोटों की परवाह ही नहीं है। वे कांग्रेस के पक्के वोट हैं। आप एससी समाज को बेवकूफ बना रहे हैं। कह रहे हैं कि सर्वे के आधार पर टिकट दिए गए। जिन्हें टिकट दिए क्या सब जीतने वाले हैं? इनमें से एक भी हार गया तो इन्हें इस्तीफा देना चाहिए। क्यों हर बार टिकट पर जवाबदेही नहीं होती। कांग्रेस इस हालत में क्यों पहुंची, क्योंकि जिम्मेदारी नहीं है। आप टिकट दिलाते तो जीत की भी गारंटी लो।
सवाल: आपका टिकट किसने कटवाया?
खिलाड़ीलाल बैरवा : मुझे सही बात उठाने की सजा दी गई है। शेड्यूल कास्ट के वोट तो चाहिए, लेकिन उसका नेता गूंगा बहरा चाहिए। क्या दलित समाज का अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष होने के नाते इतना भी अधिकार नहीं है कि सही बात उठाएं। हम गूंगे बहरे लोग नहीं है, जिसने भी सही बात बोली उसकी टिकट काट दी। राजेंद्र गुढ़ा ने बोला उसे कहां पहुंचा दिया। गिरिराज सिंह मलिंगा ने बोला क्या स्थिति है? मैं अभी तो 3 दिसंबर तक एमएलए हूं।
3 दिसंबर तक मैं रोज प्रेस कांफ्रेंस करके उनसे सवाल पूछूंगा और इनका जवाब देना पड़ेगा। इन्होंने मजाक बना रखा है। हम (एससी) वोट देते हैं, सत्ता में लेकर आते हैं, हमारा अधिकार नहीं है क्या? पांच साल तक सरकार में चार लोगों ने राज किया है। एक विशेष वर्ग के चार लोगों ने पूरी सरकार चलाई, न कोई कहने वाला नहीं है।
इनसे पूछिए कितने कलेक्टर एसपी इन वर्गों के लगाए और कितने वंचित वर्ग के लगाए। मजाक बना कर रख दिया, राज के लिए वोट हम करें और हमारे ऊपर वे लोग राज करें जिनका कांग्रेस से कोई वास्ता ही नहीं है, दुख होता है इसलिए बातें करनी पड़ रही हैं।
खिलाड़ीलाल बैरवा का टिकट काटकर इस बार संजय कुमार जाटव को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है।
खिलाड़ीलाल बैरवा का टिकट काटकर इस बार संजय कुमार जाटव को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है।
सवाल: ताले की चाबी एक ही व्यक्ति के हाथ में, जरा खुलकर बताइए यह कौन है?
खिलाड़ीलाल बैरवा : अशोक गहलोत ने ही सब कबाड़ा कर रखा है, और कौन होगा। मुखिया और कौन है? आगे दूसरे लोगों को कर रखा है। चाबी गहलोत ने अपने पास ले रखी है। यह थोड़े ही चलेगा।
सवाल: आगे क्या करेंगे, बागी होकर चुनाव लड़ेंगे या देखते रहेंगे?
खिलाड़ीलाल बैरवा : मेरे क्षेत्र में लोग आंसू बहा रहे हैं। मैं पांच साल उनके बीच रहा हूं, मैंने काम किया है। टिकट काटने वाले कह रहे हैं मैं सर्वे में हार रहा हूं, तो जिन्हें टिकट दिए वे सब जीत रहे हैं क्या? मेरे क्षेत्र के लोगों से बात करूंगा, इसके बाद फैसला लेंगे। जनता को आंसू बहाते हुए नहीं छोड़ सकते।
कैप्शन : गांधी परिवार ने इतना त्याग, तपस्या और तकलीफ सही है। उस परिवार को आंख दिखाना ठीक नहीं है।
सवाल: आप सचिन पायलट के समर्थक रहे, लेकिन सियासी संकट में सरकार के साथ, दोनों तरफ से ही कुछ नहीं मिला?
खिलाड़ीलाल बैरवा : हम तो वो लोग हैं, जो पूरे शुद्ध सोना हैं। हम उन लोगों में नहीं जो इस्तीफा देकर हाईकमान को चुनौती देते हैं। हम हाईकमान के लोग हैं। हमसे कहा गया था कि विधायक दल की बैठक सीएमआर हो रही है तो हम सीएमआर में थे। हम 102 में भी थे तो सरकार बचा भी रहे थे। 25 सितंबर को गहलोत चाहते थे कि मेरे फेवर में विधायक इस्तीफा दें। हम इस फेवर में नहीं थे तो हमें सजा मिल गई। हम हाईकमान के आदमी हैं।
जिस गांधी परिवार ने इतना त्याग, तपस्या और तकलीफ सही है। उस परिवार को आंख दिखाना ठीक नहीं है। शांति धारीवाल ने कहा था कौन होता है हाईकमान। अब उनको वक्त आने पर बता दिया हाईकमान क्या होता है? अनुशासनहीनता का दंड मिलना चाहिए और मैंने डिमांड की थी इन तीनों लोगों- शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ को टिकट नहीं मिलना चाहिए तब अनुशासन जिंदा रहेगा।
खिलाड़ीलाल बैरवा ने टिकट कटने के बाद नाराजगी जताते हुए राज्य एससी आयोग से इस्तीफा दे दिया है।
खिलाड़ीलाल बैरवा ने टिकट कटने के बाद नाराजगी जताते हुए राज्य एससी आयोग से इस्तीफा दे दिया है।
सवाल: स्क्रीनिंग कमेटी में पायलट थे, फिर पैरवी में कहां चूक हुई?
खिलाड़ीलाल बैरवा : मुझे मालूम है क्या हुआ है? हम इंतजार करने वाले लोग हैं। मेरा टिकट कट गया तो क्या हो गया कोई तूफान थोड़ी आ जाएगा। विधायक, सांसद रह लिया। बात टिकट की नहीं उसके मापदंड और तरीके की है। हम डिमांड नहीं छोड़ेंगे, हम सत्य की लड़ाई लड़ेंगे। कहा गया कि कि सर्वे में जो सर्वश्रेष्ठ हैं, उनको टिकट दिया। जो टिकट दिए हैं। उनमें एक भी हार जाता है तो मेरी मांग है कि मुख्यमंत्री, पीसीसी चीफ, जनरल सेक्रेटरी और सेक्रेटरी को इस्तीफा देना होगा। यही तो टिकट तय करते हैं। मैं तो राय दे रहा हूं कि सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री रहे हैं, अभी भी चेहरा घोषित कर दें तो पार्टी को फायदा होगा।
सवाल: मुख्यमंत्री तो कह रहे हैं कि सीएम का पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन पद उन्हें नहीं छोड़ना चाहता?
खिलाड़ीलाल बैरवा : अरे भाई, कुर्सी किसी की सगी नहीं है। पता ही नहीं चलेगा, यह कहां चली गई? हमने जाते हुए देखा है। यूपी का मामला है एक ही दिन में कुर्सी किस तरह से गई पता नहीं लगा। यह जो चाल है, जो सिस्टम है। लंबा नहीं चलने वाला। खुद के बचाव में खुद ही नए नारे गढ़ रहे हैं। अशोक गहलोत से बैर नहीं, एमएलए तेरी खैर नहीं। यह क्या बात हुई? यह जो आवाज खुली है। यह बंद नहीं होगी, यह आवाज आगे तक जाएगी।
सवाल : यह तो पिछले चुनावों का नारा था, इस नारे का कांग्रेसीकरण किसने किया?
खिलाड़ीलाल बैरवा : कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने किया और तो किसने किया। यह शो करने के लिए मुख्यमंत्री का काम ठीक है। एमएलए गड़बड़ है। जब देखा कि एमएलए गड़बड़ हैं तो कैसे टिकट रिपीट करें। बाद में समझ आया कि भाई यह तो गलत हो गया। बाद में प्लान चेंज किया गया। जो गूंगे बहरे थे, उन सबको अंदर कर दिया। जो बोलने वाले थे उन सबको पीछे रख दिया। मुख्यमंत्री को हाथ खड़े करने के लिए खुद के लोग चाहिए। आवाज उठाने वाले नहीं। इसलिए ऐसे लोगों को टिकट दिए।
सवाल : मुख्यमंत्री गहलोत ने ये भी संकेत दिए थे कि सीएम का पद आगे भी उन्हें नहीं छोड़ेगा, फिर नए चेहरे का क्या होगा?
खिलाड़ीलाल बैरवा : हम तो भगवान से प्रार्थना करते हैं कि मुख्यमंत्री 50 साल और जीएं। वे यह भी सोचें, जो बात करते हैं कि हम युवाओं को आगे ला रहे हैं। वो 70 साल के हैं, वे अब भी जगह नहीं छोड़ रहे। अरे आप कब जाओगे भाई? आप भी तो अपने आप में सोचो ताकि दूसरे लोगों को फिर मौका मिले। सही कहने वाला कोई नहीं है।
सब इस डर में चुप हैं कि टिकट नहीं कट जाएं? हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। पार्टी ने हमें बहुत कुछ दिया। हम धन्यवाद देते हैं। खड़गे साहब तक तो पता नहीं सही बातें पहुंची हैं कि नहीं। जो भी टिकट काटे हैं, शेड्यूल कास्ट के ही काटे हैं। हमें उम्मीद थी कि शेड्यूल कास्ट के अध्यक्ष आए हैं तो हमारी रक्षा होगी।
खिलाड़ीलाल बैरवा पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं।
खिलाड़ीलाल बैरवा पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं।
सवाल : कांग्रेस ने उदयपुर घोषणा में कहा था दलित, आदिवासी, युवा, महिला को प्राथमिकता देंगे, उसका कितना पालन हुआ?
खिलाड़ीलाल बैरवा : उसका पालन कर रहे हैं ना। खिलाड़ीलाल का टिकट काट दिया। इनको 85 साल के अमीन खान नहीं दिखे, दीपचंद खेरिया नहीं दिखे, जिनकी स्थिति यह है कि कब क्या हो जाए? बेईमानी नहीं चलती। बोलने के लिए अलग बातें, करने के लिए अलग, यह नहीं चलता। दलित समाज में पैदा हुए उसकी लड़ाई लड़ना मेरा काम है। मैं लड़ रहा हूं। राज्य एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग उठाना गलत नहीं है। इसे जारी रखेंगे।
सवाल : चेहरा और प्रभाव तो सीएम अशोक गहलोत का ही दिख रहा है। कांग्रेस को इससे चुनावों में फायदा होगा या नुकसान?
खिलाड़ीलाल बैरवा : चेहरा तो पहले भी था, लेकिन क्या हुआ था 21 आए थे। कितने आए थे, वह तो आपको पता है। आइडिया लगा लो। सचिन पायलट युवा हैं। उनको आगे किया जाना चाहिए। अगर राज में आना है तो सचिन पायलट के चेहरे को आगे करो। इसका फायदा मिलेगा। सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री रह रहे हैं। उनको चेहरा बना देना चाहिए, क्या दिक्कत आ रही है? यूथ को आगे लाया जाना चाहिए।
60 साल में रिटायरमेंट की स्थिति आ जाती है। मुझे डॉक्टर ने बताया था। 70 साल बाद दिमाग से चीज निकल जाती है, कहते कुछ हैं निकल कुछ जाता है। मेरे ख्याल से मुख्य पदों पर इस उम्र से ज्यादा लोगों को नहीं रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री 70 साल के हो गए तो पद छोड़ें। नए लोगों को आने दो। मुख्यमंत्री को पता ही नहीं लगता आजकल, कहना क्या चाहते हैं और बात निकल क्या जाती है? इससे पार्टी का नुकसान होता है, लोग हंसते हैं। कहते हैं कि हो क्या रहा है?