*गीता के अमृत रूपी ज्ञान को विश्व भर में प्रचारित करने की आवश्यकता है – कुमावत*
मोनू सुरेश छीपा।द वॉयस ऑफ राजस्थान
शाहपुरा
गीता मानव मात्र के कल्याण का वह अनुपम ग्रंथ है जिसे पढ़कर व्यक्ति अपने जीवन को धन्य करता है । गीता में सन्निहित ज्ञान विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है । आज हमें गीता के अमृत रूपी ज्ञान को विश्व भर में प्रचारित करने की आवश्यकता है । गीता जीवन कि वह अमूल्य निधि है जो व्यक्ति व्यक्ति ने राष्ट्र भाव का जागरण करती है । कुरुक्षेत्र में मोहग्रस्त अर्जुन को अपने कर्तव्य के प्रति दायित्वबोध कराने का कार्य भगवत गीता ने ही किया । भगवान ने स्वयं अपने मुख से गीता रूपी अमृत ज्ञान इस विश्व को दिया । यह बात संस्कृत भारती शाहपुरा द्वारा आयोजित गीता जयंती के उत्सव पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख सत्यनारायण कुमावत ने कहीं । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित नहीं होने पर भी कुमावत ने ऑनलाइन उद्बोधन के माध्यम से उपस्थित गीता प्रेमियों को संबोधित करते हुए का है कि भागवत गीता में कर्मयोग, भक्ति योग और ज्ञान योग के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है । इतना ही नहीं गीता में भगवान ने दो प्रकार की संपदा कहीं है, देवी संपदा और आसुरी संपदा जो कि आज विश्व में भी देखी जा सकती है । विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि आदर्श विद्या मंदिर गांधीपुरी में आयोजित कार्यक्रम में संस्कृत भारती शाहपुरा जिला अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय ने गीता पर प्रकाश डालते हुये कहा है कि सभी ग्रंथों का सार रूप ज्ञान एकेली गीता में है। इसलिए प्रत्येक सनातनी को गीता पढ़ने की आवश्यकता है । गीता निष्काम कर्मयोग की बात करती है । कर्तव्य पथ पर निरन्तर अग्रसर रहने की बात करती है तो वही धर्म के अनुकूल आचरण की बात करती है । कार्यक्रम के प्रारंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शंकरलाल तोषनीवाल, पूर्व उप निदेशक विष्णु दत्त शर्मा, तेजपाल उपाध्याय द्वारा गीता का पूजन किया गया । कार्यक्रम में परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने गीता महात्म्य, गीता के 12 वें और 15 वें अध्याय का सस्वर पठन किया । विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि जीवन में सुख और दुख, लाभ और हानि, जय और पराजय में भी समान रहने वाला व्यक्ति ही जीवन का असली आनंद ले सकता है । यह बात हमें श्रीमद्भगवद्गीता बताती है । भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि व्यक्ति को स्थितप्रज्ञ होना चाहिए । कार्यक्रम में नगर संघचालक कन्हैयालाल वर्मा, राजस्थान घुमंतूजाति प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर लाल धाकड़, विश्व हिंदू परिषद के भगवत सिंह लूलास, भारत विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष जयदेव जोशी, अणुव्रत गोपाल पंचोली, विजय सिंह नरुका, प्रबोधक संघ के गजराज सिंह, डॉ ओम प्रकाश कुमावत, कैलाश कोली, सूर्य प्रकाश ओझा, नंदलाल सनाढ्य, विहिप के जिला सह मंत्री धनराज वैष्णव, रामप्रसाद सेन, भाविप सचिव दिलीप धूपिया, राकेश सेन, सत्यनारायण धाकड़, पवन कुमार छिपा, शत्रुघ्न बडगूजर, प्रवीण कुमार सोनी, त्रिलोक खटीक, भानुप्रताप गोड, राजेंद्र खटीक, कैलाश सिंह जाड़ावत, कैलाश मेहडू, इंदिरा धूपिया, तारा चाष्टा, सुधा पारीक उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने किया ।