*मासूम कनक को आर्थिक मुआवज़ा नहीं न्याय चाहिए – अजय शर्मा*
*क्लिनिक स्टाफ़ द्वारा उपचार के दौरान अमानवीय तरीक़े से खिलवाड़*
ब्यावर गत दिनों जय क्लिनिक स्टाफ़ की लापरवाही से हुई मासूम कनक पंडित की मौत एवं उपचार के दौरान उसके शरीर से जिस प्रकार से अमानवीय तरीक़े से खिलवाड़ किया गया और आज तक परिजनों को जाँच रिपोर्ट तक नहीं मिली। इस मामले को लेकर ज़िला प्रवक्ता अजय शर्मा के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं का शिष्टमंडल आज ज़िला कलेक्टर रोहिताश्वर सिंह तोमर से मिला और एक माँग पत्र भी सौंपा। इस अवसर पर मृतक बालिका के परिजन भी साथ रहे।
ज़िला कलेक्टर से वार्ता के दौरान प्रवक्ता अजय शर्मा ने अवगत कराया कि अपने परिवार की लाड़ली बिटिया के अच्छे इलाज करने के लिए निजी चिकित्सालय की शरण ली और इलाज की पूरी राशि भी जमा कराई।यदि सीसीटीवी कैमरों में घटना क़ैद नहीं होती तो परिजनों व आम जनता को अमानवीयता पूर्ण रवैये की जानकारी ही नहीं मिल पाती। चिकित्साकर्मियों की ओर से इस तरह से इलाज करना एक मानवीय भूल नहीं कही जा सकती।
शर्मा ने कहा कि कईं निजी चिकित्सालयों में बेहतर इलाज व अच्छी सुविधाओं के नाम मोटी रक़म वसूली जाती रही है जबकि अधिकांशतः होता यह है कि कम वेतन देकर नौसिखिए व अप्रशिक्षित स्टाफ़ रखकर इलाज के नाम पर ख़ानापूर्ति की जाती है और चिकित्साकर्मियों की लापरवाही से कोई अनहोनी घटना घट जाती है तो ईश्वर के नाम पर उम्र इतनी ही होने का बहाना बनाकर इतिश्री कर ली जाती है। यदि परिजनों द्वारा इलाज संबंधित किसी प्रकार की जानकारी माँगी जाती है तो स्टाफ़ द्वारा दुर्व्यवहार कर धमका दिया जाता है या टरका दिया जाता है। इसी कारण आए दिन कईं निजी क्लिनिकों में महँगे इलाज के नाम पर मरीज़ों के साथ हो रही बर्बरता व स्टाफ़ द्वारा मरीज़ों के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ जानकारी में आती हैं।
शिष्टमंडल के नेताओं ने ज़िला कलेक्टर रोहिताश्वर सिंह तोमर को माँग पत्र सौंपा कि इस सम्पूर्ण मामले की गंभीरता को देखते हुए आप स्वयं एक अनुकरणीय पहल कर आपके क्षेत्राधिकार में आने वाले ब्यावर ज़िले के सभी निजी चिकित्सालयों के लिए सक्षम अधिकारियों व सेवानिवृत्त चिकित्सकों की टीम गठित कर जाँच करावें कि
1- वहाँ नियुक्त डॉक्टर एवँ नर्सिंग स्टाफ़ पूरी तरह प्रशिक्षित हो, संबंधित विभाग, रोग की पूरी तरह जानकारी रखता हो साथ ही इलाज करने में सक्षम हो।
2- चिकित्सालय में नियुक्त डॉक्टर व तैनात नर्सिंग स्टाफ़ की प्रमाणिकता के लिए डिग्री जाँच की जाए।
3- चिकित्सालय में संबंधित विभाग व रोग से संबंधित उपचार में कार्य आने वाले उपकरण पूरी तरह व्यवस्थित हो व सैनिटाइज हो साथ ही आपातकालीन परिस्थितियों में काम आने वाले उपकरणों से लैस हो।
4- मरीज़ों को सुगम इलाज मिले इसके लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं व सुविधाओं की जानकारी सूचनापट्ट पर अंकित हो।
5- इलाज के दौरान की जाने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी मरीज़ के परिजनों को दी जाए या जटिल उपचार के दौरान ज़रूरत पड़ने पर मरीज़ के परिजनों की मौजूदगी अनिवार्य की जाए।
शिष्टमंडल ने ज़िला कलेक्टर से आग्रह किया कि ऐसे मामलों को बड़ी गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई की जाये व एक सक्षम टीम गठित कर जाँच सुनिश्चित कराई जावे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो व नागरिकों के बेहतर इलाज मिल सके।
शिष्टमंडल में पूर्व सभापति गोविंद पण्डित, नेता प्रतिपक्ष दलपत मेवाड़ा, ज़िला उपाध्यक्ष राजेंद्र ओस्तवाल, ज़िला महासचिव अज़मत काठात, रवि डंडायत, ज़िला मीडिया प्रभारी वृत्तंजय आर्य, एडवोकेट जीवराज जावा, मुकेश लखन, मृतका के परिजन गणपत पण्डित, अशोक पण्डित, सहित कई लोग शामिल थे।