*” सोनिया गांधी , खड़गे व अधीर रंजन ने एक बार फिर साबित किया कि कांग्रेस मुस्लिमपरस्त पार्टी है..! “*
*- ओम कसारा ” ओमेंद्र “*
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वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने अपने नेता ए.के. एंटोनी को हार की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी । तब एंटोनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि , ” कांग्रेस की छवि एक मुस्लिमपरस्त पार्टी की बन गई है । चूंकि भारत में हिंदू मतदाताओं की संख्या ज्यादा है इसलिए भाजपा हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर आसानी से चुनाव जीत जाती है । ऐसे में यदि कांग्रेस को भाजपा का मुकाबला करना है तो उसे अपनी हिंदू विरोधी छवि को बदलना होगा । ” इस बात के सार्वजनिक होने के बाद ही राहुल – प्रियंका ने मंदिरों में जाना , तिलक – छापे लगाना व जनेऊ तथा भगवा वस्त्र धारण करना प्रारंभ किया । साथ ही उन्होंने स्वयं के ब्राह्मण कुल में पैदा होने की बात भी कही । लेकिन यह सब हिंदू जनमानस के गले इसलिए नहीं उतरता है क्योंकि वो जानते हैं कि शहंशाह अकबर के हिंदू धर्मावलंबी जोधाबाई से शादी करने के बाद भी जब उनके पैदा हुआ बेटा जहांगीर मुस्लिम धर्म का अनुयाई ही रहा तो फिरोज गांधी से शादी करने वाली इंदिरा गांधी का बेटा राजीव और फिर राहुल व प्रियंका हिंदू कैसे हो सकते हैं ? यही नहीं , रामसेतु तोड़ने के लिए कोर्ट में हलफनामा देकर राम को काल्पनिक बताना , हिंदुओं को राम जन्मभूमि न मिल सके इसके लिए न्यायालय में लगभग पच्चीस वकील खड़े करना , देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताना , देश में दंगे रोकने के नाम पर ‘ सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक – 2011’ को लागू करने का असफल प्रयास करना , जिसमें कानून – व्यवस्था बिगड़ने पर सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को ही दोषी ठहराया जाने वाला था , जैसे कई ठोस कारण हैं जिनसे ऐसा कभी नहीं लगा कि कांग्रेस लेशमात्र भी हिंदुओं का भला चाहती है । इसके ठीक उलट भारतीय जनता पार्टी ने हिंदू हित की बात करते हुए 2019 का लोकसभा चुनाव लगातार दूसरी बार जीता और विधानसभा चुनावों में जीतने का सिलसिला भी बदस्तूर जारी है । इसके बावजूद कांग्रेस ने कोई सबक न लेते हुए रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकराकर एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उसे हिंदुओं की भावनाओं व नाराजगी की कोई परवाह नहीं है ।
हास्यास्पद बात यह है कि कांग्रेस अयोध्या में होने वाले ऐतिहासिक आयोजन को आरएसएस , विश्व हिंदू परिषद व भारतीय जनता पार्टी का इवेंट मात्र बता रही है । जबकि हकीकत यह है कि किसी जमाने में कांग्रेस के सर्वेसर्वा रहे जवाहरलाल नेहरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन करने से रोकने के लाख प्रयास किए थे । ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार भी आरएसएस , विश्व हिंदू परिषद या बीजेपी ने करवाया था ? नहीं , वह तो शुद्धरूपेण कांग्रेस के ही सरदार वल्लभ भाई पटेल की परिकल्पना थी जो उनकी मृत्यु के बाद साकार हो पाई । जाहिर सी बात है कि नेहरू से लेकर गांधी परिवार तक कोई नहीं चाहता कि हिंदू अपनी सभ्यता व संस्कृति का परचम दुनिया में लहराकर स्वाभिमान से जीवन जी सके । हिंदुओं ने सैंकड़ो वर्षों की लड़ाई में अपने हजारों – हजार लोगों का बलिदान देने के बाद आजाद भारत में कानून सम्मत तरीके से राम जन्मभूमि पर अपना हक साबित किया है । ऐसे में ‘ भारत जोड़ो न्याय यात्रा ‘ निकाल रहे राहुल गांधी को क्या न्यायालय के निर्णय का सम्मान करना भी नहीं आता ?
लब्बोलुआब यही कि सोनिया , खड़गे और अधीर रंजन चौधरी ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह संबंधी निमंत्रण पत्र को नहीं अपितु आगामी लोकसभा चुनाव परिणाम के कांग्रेस के पक्ष में जाने संबंधी तनिक सी भी संभावना को ठोकर मारी है और 2024 में केंद्र की सत्ता भाजपा को तश्तरी में परोसकर दे दी है ।