*” अशोक कोठारी के मन की मुराद हुई पूरी , दामोदर अग्रवाल को भाजपा ने थमाया लोकसभा का टिकिट..? “*
✍️ *मोनू सुरेश छीपा।*ओम कसारा ” ओमेंद्र “*
राजनीति में धारणा का बड़ा महत्व होता है । मतदाताओं के मन में एक बार यदि किसी के भी प्रति कोई धारणा बन गई तो फिर उसे मिटाना बहुत मुश्किल हो जाता है । मसलन मोदी के बारे में एक आम धारणा बन चुकी है कि , ” मोदी है तो मुमकिन है ” और राहुल के बारे में लोगों की यह धारणा है कि , ” वो तो पप्पू है । ” ठीक इसी प्रकार पिछले कुछ दिनों से भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी के बारे में यह धारणा बनने लगी है कि वो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अब लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं । जबकि हकीकत यह है कि अशोक कोठारी ने कभी अपने मुंह से ऐसी बात नहीं कही । हां , भाजपा प्रदेश नेतृत्व द्वारा पार्टी में शामिल करने के लिए बुलावा देने के बाद जब इंकार कर दिया गया तब अपने सहयोगियों का सम्मान बचाने की खातिर उन्होंने समर्थकों की बैठक बुलाकर यह अवश्य कहा कि , ” अब वो सभी आगे रहकर बीजेपी में सम्मिलित होने की बात नहीं करेंगे और यदि ससम्मान पार्टी में शामिल नहीं किया जाता है तो विचार परिवार के साथ बैठक करके भविष्य की रूपरेखा तय करेंगे । ”
यहां विशेष उल्लेखनीय बात यह भी है कि यदि अशोक कोठारी को निर्दलीय के रूप में ही लोकसभा चुनाव लड़ना होता तो वो किसी हाल में 28 फरवरी , 2024 को ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नढ्ढा को पत्र लिखकर यह नहीं कहते कि दामोदर अग्रवाल को भीलवाड़ा से टिकट दिया जाए । यही नहीं , इस पत्र की प्रतिलिपि अमित शाह और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी को भेजकर कोठारी ने यह भी बताया कि दामोदर अग्रवाल पिछले 50 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी के कर्मठ और जमीनी कार्यकर्ता हैं जो आपातकाल के आंदोलन में मीसा बंदी एवं 3 वर्षों तक आरएसएस के प्रचारक रहे । साथ ही वो भाजपा के जिला महामंत्री , जिलाध्यक्ष व संभाग प्रभारी रहते हुए वर्तमान में प्रदेश महामंत्री का महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं । कोठारी ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि दामोदर अग्रवाल संपूर्ण भीलवाड़ा जिले के लोकप्रिय तथा मजबूत जननेता हैं जिन्हें यदि सांसद प्रत्याशी बनाया जाता है तो वो भारी मतों से विजयी होंगे ।
सारांश यही कि अशोक कोठारी और उनके समर्थक जिनके लिए लोकसभा टिकट चाहते थे , उन्हें मिल चुका और चूंकि दामोदर अग्रवाल कमल का फूल थामे आए हैं इसलिए भाजपा के स्थानीय संगठन में भी कोई विरोध होने का सवाल ही नहीं उठाता । लिहाज़ा बीजेपी व विचार परिवार की कथित तनातनी समाप्त , अब सब एकमुखी होकर चुनावी रण में उतरेंगे और सामने भी सी.पी. जोशी सरीखे कांग्रेस के कद्दावर , अनुभवी , दूरदृष्टा व इस लोकसभा क्षेत्र से आजमाए हुए प्रखर वक्ता हैं , जिसके चलते हमें ” भीलवाड़ा के भागीरथ ” व ” भीलवाड़ा के मोदी ” में एक रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा ।