*शाहपुरा जिला बचाओं संघर्ष समिती नवगठित शाहपुरा जिले को यथावत रखने के संदर्भ में राज्यपाल के नाम सोपा ज्ञापन*
शाहपुरा- पूर्ववर्ती सरकार द्वारा प्रदेश में नवगठित शाहपुरा जिले को स्वरचित मापदण्डों पर खरा नहीं उतरने पर शाहपुरा जिले को वापस हटाया जाना पूर्णतया असंवैधानिक और जनविरोधी निर्णय है। ऐसे में शाहपुरा जिले की अहमियत, आवश्यकता और पूर्व की सरकार द्वारा तय किए गए मापदण्डों को देखने से यह प्रतीत होता है कि शाहपुरा जिले बनने और रहने की सभी योग्यताओं और मापदण्डों को पूरा करता हैं । जैसा कि सर्वविदित है कि नये जिलो का गठन प्रगति की रफ्तार दोगुनी करने के लिए और आमजन को सहज और सुलभ प्रशासनिक सुविधाओं के साथ न्याय मुहैया करवाने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम योग्य लाभार्थी को चिन्हित कर दिलवाने के उद्देश्य से किया था । दिनों दिन बढ़ती जनसंख्या एवं बड़े क्षेत्रफल की वजह से सरकार व आमजन को नए जिलों की आवश्यकता महसूस हो रही थी । प्रदेश की आमजनता की पुलिस और प्रशासन तक पहुँच सुगम और सुलभ करने के उद्देश्य से बनाये गये । शाहपुरा जिले को राजनैतिक शून्यता के चलते अनावश्यक बताते हुए वापस हटाना एक नकारात्मक पहल हैं। भीलवाड़ा जिले से टूटकर नवगठित जिला बना शाहपुरा आजादी के बाद से आज तक विकास के दृष्टिकोण से काफी पिछड़ गया हैं। इतिहास के पन्नो को पलटने पर यह ज्ञात होता है कि संपूर्ण भारत में शाहपुरा ही एकमात्र ऐसी स्वतंत्र रियासत थी जिसने आजादी से एक दिन पूर्व ही स्वतंत्र होने के साथ ही सरदार पटेल के आव्हान पर बिना किसीशर्त के अखंड भारत में अपने विलय की घोषणा कर दी थी। धर्म, तप और बलिदान के साथ इतिहास में अपनी विशिष्ट पहचान और आजादी में अपने अनमोल बलिदान के बावजूद आजादी के बाद 1950 तक जिला बना रहे शाहपुरा से उसका जिले का दर्जा छीन लिया गया और तभी से 73 वर्षो तक अपने अस्तित्व को जिन्दा रखने के लिए संघर्ष करने वाले शहर के साथ इस तरह का भेदभाव किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं हैं। राजनीति में कई बार विषम परिस्थितियों और दबाव के कुछ निर्णय प्रदेश की जनता के वैभूति के लेने पड़ते हैं। राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, लोककल्याण से जुड़े संगठनों के बीच ना चाहते हुये भी इसीलिए शाहपुरा के साथ शाहपुरा की आम आवाम का आपसे निवेदन हैं कि दबाव चाहे कितना भी हो, सरकार की कोई भी मजबूरी हो इन सबसे परे जनता के हित में जनभावना के अनुरूप निर्णय लेकर शाहपुरा के सम्मान को यथावत् बनाये रखने के सक्षम आदेशअविलम्ब दिलावे औरशाहपुरा जिला यथावत् रखनें के साथ आजादी के पूर्व की स्वतंत्र रियासतों को विलयीकरण के समय दिये गये तोहफे को 76 वर्ष के सूद समेत एक विशेष पैकेज के साथ दिलवाए। ताकि जनता का विश्वास अपनी सरकार में पुनः कायम हो सके, अन्यथा शहीदों के इतिहास से लबरेज मेवाड़ की धरती का अन्तिम छोर इतिहास दोहराने की काबिलियत रखता हैं। सड़क से लेकर सदन तक, शाहपुरा से लेकर जयपुर तक संघर्ष का नया इतिहास लिखने की क्षमता शाहपुरा जिले की जनता रखती है। नवगठित शाहपुरा जिले को यथावत् रखने की माँग और कार्यक्रम अब तक पूर्ण रूप से अनुशासित ढंगशांति के साथ चलता आ रहा है क्योकि आम आवाम की आस्था प्रदेश सरकार मेंहैंलेकिन यदि सरकार द्वारा लिया गया प्रतिकूल निर्णय वापस नही लिया जाता है तो क्षेत्र में किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में बिगड़ने वाली कानून व्यवस्था, किसी भी प्रकार की हानि और होने वाले आंदोलन समस्त जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी ।के