*आत्मा को परमात्मा से जोड़ मानवता के लिए समर्पित स्वामीजी श्रीरामचरणजी महाप्रभु का जीवन- आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज*
*श्रद्धापूर्ण भक्ति व उत्साह के माहौल में मनाया स्वामी श्रीरामचरण महाप्रभु का 303वां प्राकट्य महोत्सव*
*रामद्वारा में विराट आध्यात्मिक सत्संग ‘‘राष्ट्र पर्व से लेकर राम पर्व तक’’ का समापन*
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
भीलवाड़ा, 4 फरवरी। संत का धर्म होता है जोड़ना और मानव सेवा के लिए समर्पित रहे स्वामीजी रामचरणजी महाप्रभु ने आत्मा से परमात्मा को जोड़ा। हम सभी उनके बताए मार्ग पर चलकर जीवन को सार्थक बना सकते है। विकट परिस्थितियों में शांत रहने वाला संत और उच्च आर्दशों पर चलने वाला पंथ बन जाता है। अनुभव वाणी जैसे विचार महाग्रंथ बन जाते है। स्वामीजी महाराज ने हमेशा सर्वे भवन्तु सुखिने सर्वे संतु निरामया का संदेश दिया इसीलिए उनके प्राकट्य दिवस को ‘‘राष्ट्रपर्व से राम पर्व तक’’ के रूप में मनाया गया। ये विचार अन्तरराष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने शनिवार को स्वामी श्रीरामचरणजी महाप्रभु के 303वें प्राक्ट्य दिवस के अवसर पर माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा में दस दिवसीय विराट आध्यात्मिक सत्संग ‘‘राष्ट्र पर्व से लेकर राम पर्व तक’’ के समापन अवसर पर व्यक्त किए। प्राकट्य दिवस आयोजन आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज के सानिध्य में पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा के माहौल में मनाया गया। आचार्यश्री ने कहा कि स्वामी रामचरणजी महाराज की प्राकट्य भूमि भीलवाड़ा मानव सेवा का बड़ा केन्द्र बन गया है। विराट आध्यात्मिक सत्संग का 26 जनवरी को आगाज होने के बाद जिस प्राकट्य दिवस का इंतजार था वह पूर्ण हो गया है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि रामस्नेही भक्तों एवं ट्रस्टी संत रामनारायणजी की प्रेरणा से विजयवर्गीय समाज ने पहली बार सामूहिक रूप से स्वामी रामचरणजी महाराज की जयंति का आगाज किया और 398 थाल के साथ भव्य शोभायात्रा निकाल इतिहास को पुर्नजीवित किया गया। उन्होंने कहा कि धर्म के विराट स्वरूप का दीदार नयनाभिराम है। जिन्होंने गुलाबी साफे पहने है उसका मतलब सिर पर राम रंग को धारण किया है। गुलाबी रंग भक्ति, आनंद एवं मस्ती का रंग है। आचार्यश्री ने जब हैप्पी बर्थ डे टू यू श्रीरामचरणजी महाराज कहा तो पूरा पांडाल स्वामीजी के जयकारों से गूंज उठा।
*छाई प्राकट्य की खुशियां, महिला मंडल ने दी बधाई*
समारोह में सरूपाबाई महिला मंडल भीलवाड़ा की सदस्यों ने स्वामी श्रीरामचरणजी महाप्रभु के 303 वे प्राकट्य दिवस की बधाई देते हुए भजन ‘‘माता देवकी के हुए लाल बधाई सारा भक्ता ने’’ पेश किया तो हर्ष एवं खुशी का माहौल बन गया। प्राकट्य दिवस की खुशियां मनाने के लिए बधाई भजन के दौरान श्रद्धालुओं के मध्य जमकर टॉफिया लुटाई गई। रामद्वारा के सत्संग पांडाल को भी गुब्बारों से सजाया गया था। भक्तजनों पर पुष्पवर्षा करके भी बधाई दी गई।
*समर्पित भाव से निस्वार्थ सेवाएं देने पर सोमानी का सम्मान*
समारोह में आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने निरन्तर 25 वर्ष से श्रीरामनिवासधाम ट्रस्ट शाहपुरा प्रकल्प रामस्नेही चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र भीलवाड़ा के कोषाध्यक्ष पद पर समर्पित भाव से दी जा रही निस्वार्थ सेवाओं के लिए जगदीशचन्द्र सोमानी का सम्मान पत्र प्रदान कर एवं शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। अभिनंदन पत्र का वाचन संत दिग्विजयरामजी ने किया। आचार्यश्री ने कहा कि सोमानी जैसे कर्मठ, जुझारू व्यक्तिव को ये प्रशस्ति पत्र प्रदान कर ट्रस्ट, रामस्नेही सम्प्रदाय, रामस्नेही चिकित्सालय परिवार गर्व एवं गौरवान्वित महसूस कर रहे है।
*वाणीजी पाठ करने वाले पाठकों का सम्मान*
प्राकट्य महोत्सव में आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने नौ दिवसीय सत्संग के दौरान प्रतिदिन सुबह 7 बजे से शाम को संध्या आरती तक वाणीजी पाठ करने वालों पाठकों का सम्मान किया। सम्मानित होने वाले पाठक में बालमुकन्द बिड़ला, घनश्याम अजमेरा, जगदीश विजयवर्गीय, श्याम कोठारी, प्रहलाद जागेटिया, कैलाश अरोड़ा, मोहनलाल असावा, रामप्रकाश सोमानी, शंकरलाल विजयवर्गीय व दिनेश सोमानी शामिल थे। आचार्यश्री ने वाणीजी पाठ के लिए समर्पित भाव से दी गई सेवाओं की सराहना की।
*सुख की प्राप्ति धन कमाने से नहीं परमात्मा का नाम लेने से*
प्राकट्य दिवस पर सत्संग में शाहपुरा से आए संत गुरमुखरामजी ने कहा कि स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज के वांग्मय स्वरूप वाणीजी का एक अक्षर भी कोई पूर्ण श्रद्धा व भक्तिपूर्वक पढ़ ले तो उसका जीवन पावन हो जाता है। महापुरूषों की वाणी को श्रवण कर ह्दय में उतारे बिना जीवन सुखी नहीं हो सकता। आमेट से आए संत मुमुक्षरामजी ने कहा कि पठन-पाठन से अधिक महत्वपूर्ण ग्रहण करना है। सुख धन कमाने से नहीं परमात्मा का नाम लेने से मिलता है। चित्तौड़गढ़ से आए संत दिग्विजयरामजी ने कहा कि जीवन से पाप, ताप मिटाना चाहते हो तो स्वामी रामचरणजी की शरण में आओ। धन्य है भीलवाड़ा की भूमि जहां स्वामीजी महाराज ने आराधना की। सूरत के संत समतारामजी ने भी धर्मसंदेश दिया। सिरोही से आए संत भजनाराम ने भजन की प्रस्तुति दी। सत्संग में संत रामनारायणजी, संत जयरामजी, संत रामाश्रयजी, संत समतारामजी, संत सेवारामजी, संत बोलतारामजी,संत परतीतरामजी, संत सेवारामजी आदि का मंच पर सानिध्य रहा। सत्संग के समापन पर विजयवर्गीय समाज द्वारा पूज्य आचार्यश्री रामदयालजी महाराज की आरती की गई। समारोह के अंत में आचार्यश्री के सानिध्य में स्वामीजी श्रीरामचरणजी महाराज की महाआरती की गई। इस दौरान संतों के साथ भक्तों ने भी दीपक जला पूर्ण भक्तिभाव से आरती की।
*उत्साह व भक्ति के माहौल में भव्य शोभायात्रा, गूंजे जयकारे*
रामस्नेही सम्प्रदाय के आद्याचार्य स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज के प्राकट्य दिवस (जयंति) पर विजयवर्गीय समाज एवं रामस्नेही भक्तों द्वारा सुबह 9 बजे प्राइवेट बस स्टेण्ड स्थित विजयवर्गीय भवन से रामद्वारा तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में बैण्ड की मधुर स्वरलहरियों के साथ भक्तगण नाचते-गाते हुए चल रहे थे। विजयवर्गीय वैश्य संस्थान भीलवाड़ा के अध्यक्ष विजय विजयवर्गीय ने बताया कि शोभायात्रा मुख्य मार्गो से होते हुए माणिक्यनगर रामद्वारा पहुंच सम्पन्न हुई। शोभायात्रा में श्रद्धालु विभिन्न प्रकार की सामग्री से भरे हुए 398 थाल सिर पर धारण करके चल रहे थे। सामग्री से भरे हुए ये थाल रामद्धार पहुंच आचार्यश्री के चरणों में समर्पित कर दिए गए। शोभायात्रा में पुरूष सफेद वस्त्रों में एवं महिलाएं लाल साड़ी या चुंदड़ी के परिधान में शामिल हुई। कई श्रद्धालुओं ने सिर पर गुलाबी साफा भी धारण कर रखा था।
*रात्रि जागरण में हुई स्वामीजी महाराज की भक्ति*
प्राकट्य दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार रात रामद्वारा परिसर में आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज के सानिध्य में रात्रि जागरण का भी आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं ने गीतों व भजनों के माध्यम से स्वामीजी श्रीरामचरणजी महाराज की भक्ति की। श्रद्धालुओं ने भजनों के माध्यम से स्वामीजी के प्रेरणादायी जीवन चरित्र का स्वरूप भी प्रस्तुत किया।