*जिला भाजपा का निकल रहा “दम”*
– *न “रैली” में न “स्थापना दिवस” पर जुटा पाए कार्यकर्ता*
– *सुशील चौहान*
भीलवाड़ा। आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सत्ता में आने को आतुर भाजपा को भीलवाड़ा भाजपा संगठन *पलीता* लगाने वाला है। कारण यहां न तो *कार्यकर्ता* एकजुट है,और न ही *नेता*। भाजपा पार्टी के स्थापना दिवस पर भाजपा कार्यालय में जितने कार्यकर्ता पहुंचे उससे ज्यादा तो *चाय की थडियों* पर *चुस्की* लेने वाले बैठे रहते है।सवाल यह है कि जिस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने की आस हो उसके जिला कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दो दर्जन लोग भी नहीं आए तो *किरकिरी* होना स्वाभाविक है। वैसे भी किरकिरी तो दो दिन पहले जिला मुख्यालय पर आयोजित रैली में वैसे भी हो चुकी। जिसमे *पैंतीस हजार* लोगों के आने का दावा भाजपा जिलाधक्ष ने किया, लेकिन पहुंचे कुल जमा पांच हजार भी नहीं।
चलो पहले बात करते हैं भाजपा के स्थापना दिवस की। जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली से देश के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को वर्चुअल के माध्यम से वर्ष 2024 के चुनाव जीतने का मंत्र फूंक रहें थे। वहीं भीलवाड़ा में भाजपा जिला कार्यालय में मुठ्ठी भर कार्यकर्ता स्थापना दिवस के कार्यक्रम में शरीक हुए। उनकी संख्या दो दर्जन से ज्यादा नहीं थी। जिनमें ज्यादातर जिलाध्यक्ष के *सिपेहसालार* ही थे। कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था। ना कोई विधायक आया और ना ही सभापति, पूर्व जिलाध्यक्ष, जिला प्रमुख । जिला अध्यक्ष ने जैसे तैसे कार्यक्रम कर अपनी *लाज* बचाई। पूरे कार्यक्रम में दो दर्जन कार्यकर्ता थे जिनमें कुल *तीन महिलाएं* ही थी। पूरे कार्यक्रम में जमा लोगों ने केवल अटल बिहारी वाजपेयी,और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ही नारे लगाएं। किसी ने भी प्रधानमंत्री मोदी, व प्रदेश अध्यक्ष के लिए नारे नहीं लगाएं। जब कुछ वरिष्ठ भाजपाइयों से कार्यक्रम नहीं आने का कारण पूछा तो उनका एक ही जवाब था कि इत्तला ही नहीं मिली। पूरे कार्यक्रम में सदा की तरह अपनी ही फोटो खिंचवाने के शौकीन एक कार्यकर्ता *कैलाश पर्वत* की तरह जमा रहे। किसी को भी आगे नहीं आने दिया। इस कार्यक्रम में पांच विधायक में से एक भी नहीं आया और उनकी टीम ने भी दूरी बनाकर रखी।
चलो अब बात करते दो दिन पूर्व हुए *महा घेराव* की जो पूरी तरह एक *फ्लाॅप शौ* ही कहा जा सकता, लेकिन जिले में पार्टी के आंका और उनके सिपेहसालार अपनी काॅलर खड़ी करके घूम रहे हैं कि मजा आ गया। जिला आंका ने खबरनवीसों के सामने सीना ठोककर घोषणा कि थी कि महा घेराव में 35 हजार लोग जिले भर से आएंगे। मगर जो आए उनकी संख्या वहां मौजूद लोगों और पुलिस महकमें से छुपी नहीं हैं।
जिस दिन 35 हजार लोगों के आने की घोषणा की थी उस समय तक प्रदेश के आंका वो ही थे जिनकी मेहरबानी से जिले में संगठन के जिले के आंका का होने का *तमका* मिला। इस कारण आगामी विधानसभा चुनाव में दावेदारी को मजबूत करने के लिए जोश जोश में घोषणा कर दी। लेकिन जिला आंका अरमानों पर उस समय पानी फिर गया जब घेराव के ठीक दो दिन पहले राष्ट्रीय भाजपा नेतृत्व ने प्रदेश के आंका को बदल दिया। यानी *सिर मुंडाते ही ओले पड़े*। बस फिर क्या जोश ठंडा पड़ गया। इसलिए उतने लोग नहीं ला सके जो सीना ठोक घोषणा की थी।
महा घेराव को देख प्रशासन ने भी पूरी तैयारी की। भीलवाड़ा के इतिहास में पहली बार प्रदर्शन करने वालों को रोकने के लिए फायर बिग्रेड से पानी की बौछारें करवा कर रोकने का प्रयास किया। लेकिन जिसे तरह से कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन हुआ वो केवल एक ड्रामा बनकर रह गया। क्योंकि बेरिकेट्स पर केवल जिले के आंका के अलावा कोई नहीं चढ़ा। पुलिस ने भी जिले के आंका को ही पकड़ा। बाकी लोग तो पुलिस द्वारा दो चार लाठियां भांजने के बाद तितर बितर हो गए। पानी की बौछारों की जरूरत ही नहीं थी। आखिर क्यों पानी की बौछारें की यह बात शहरवासियों और प्रदर्शन करने वालों के गले नहीं उतरी।समझ में नहीं आया की आखिर ऐसा क्या हुआ जो बौछारों की नौबत आ गई *?*
*मह घेराव था या फिर नए प्रदेश अध्यक्ष स्वागत सत्कार ?*
लोगों को न्योता तो महा घेराव का दिया लेकिन महा घेराव नए अध्यक्ष के स्वागत सत्कार में तब्दील हो गया। जो भी लोग आए वो केवल और केवल नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने अपनी *सी आर* बनाने के लिए ही आए। हर कोई अध्यक्ष की आव भगत करने ही आया था। लोग वहां *कानाफूसी* कर रहे थे कि यह तो नए अध्यक्ष और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता आ गए इस कारण इतने लोग आ गए और उन्होंने 35 हजार की घोषणा करने वाले जिले के आंका की लाज रख ली वरना…
– *स्वतंत्र पत्रकार*
– *पूर्व उप सम्पादक, राजस्थान पत्रिका, भीलवाड़ा*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब भीलवाड़ा*