*‼️वसुंधरा का जलवा: कल और आज‼️*😎
_*पूनिया! राठौड़! मेहरिया या दिल्ली! क्या वसुंधरा के चेहरे को कर पाएंगे निस्तेज़????*_🤔
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजस्थान भाजपा में 28 अक्टूबर 2009 को एक भूचाल आया था।केंद्रीय नेतृत्व को वसुंधरा राजे ने चुनौती दे दी थी। यह बात बहुत पुरानी कही जा सकती है मगर उसकी ताज़गी पर आज भी सवाल नहीं उठाया जा सकता है। आपको याद दिला दूँ कि उस समय मोहन भागवत ने वसुधंरा द्वारा किये गए शक्ति प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भाजपा के लिए सर्ज़री और कीमोथेरेपी की ज़रूरत है। भागवत के इस बयान पर राजनाथ सिंह ने कह दिया था कि यह सुझाव कोई पागल ही दे सकता है।*😨
*मित्रों! यह तब की बात और बयान हैं जब राजनाथ सिंह केंद्रीय सत्ता के केंद्र बिंदु हुआ करते थे।*😊
*आज पृष्ठभूमि तो वही है मगर चेहरे बदले हुए हैं।भाजपा शीर्ष में नरेंद्र मोदी और शाह हैं। अध्यक्ष जे पी नड्डा हैं।राजनाथ सिंह का चेहरा तो वही है मगर वह उतना ओजस्वी नहीं रहा है।*🙋♂️
*आइए अब आपको ले चलता हूँ 28 अक्टूबर 2009 के दिन वाली घटना पर जिसको लेकर आज ब्लॉग लिखने की ज़रूरत आ गयी है।*💁♂️
*इस दिन वसुंधरा राजे ने राजस्थान सरकार के नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफ़ा देकर शक्ति प्रदर्शन का रास्ता चुना था।*😴
*राजे को दिल्ली बुलाया गया था और वहां से लौटने के बाद उनका स्वागत करने के लिए उनके समर्थकों का हुज़ूम उनके निवास पर बड़ी संख्या में मौज़ूद हो गए थे। हाईकमान तब भी सहमा हुआ था। पूरे कार्यक्रम की वीडियो ग्राफ़ी करवा कर दिल्ली के दरबार में मंगवाई गयी थी।*🤨
*उस दिन का अख़बार आप मेरे एफ बी अकाउंट पर पढ़ सकते हैं।वसुधंरा केंद्रीय नेताओं से नाराज़ थीं। तब प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी थे जो वसुंधरा के पल पल की ख़बर हाईकमान को भिजवा रहे थे।*
*नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफ़ा देकर जब वसुंधरा दिल्ली से लौटी तो बाईस गोदाम से सिविल लाइन्स तक उनके समर्थकों का क़ाफ़िला रैली के रूप में दिल्ली को थरथरा रहा था।*😉
*हर नेता के बयानों को ठोक पीट कर परखा जा रहा था। और आईये उस समय के नेताओं के बयान भी पढ़ लीजिए।👇*
*भरतपुर की भाजपा राजनीति से यदि डॉ दिगम्बर सिंह को माइनस कर दो तो भाजपा में क्या बचता है। ऐसे ही यदि राजस्थान भाजपा से वसुंधरा को माईनस कर दो तो भाजपा में क्या बचता है।*
*–डॉ दिगम्बर सिंह*
*विधायक पदों पर आते जाते रहते हैं मगर वसुंधरा पार्टी की एक छत्र नेता हैं।*
*–प्रो सांवर लाल जाट*
*वसुंधरा जन जन का दिल समझती हैं। उनके साथ पूरा क़ाफ़िला है और अब यह क़ाफ़िला मोड़ पर आ गया है*
*–राजेन्द्र राठौड़*
*वसुंधरा हमारी नेता थीं और रहेंगी। एक दिन के नोटिस पर इतने विधायक और नेता काफिले में आ गए ये कम बात है।*
*–सुभाष मेहरिया*
*दोस्तो! यह ब्लॉग लिखने की ज़रूरत मुझे इस लिए पड़ रही है कि इतिहास फिर अपने आप को दोहरा रहा है। आज भाजपा में वसुंधरा फिर पुराने मोड़ पर खड़ी हुई हैं।केंद्रीय नेतृत्व भले ही मोदी,शाह और नड्डा की शक्लों में तब्दील हो गया हो मगर सवाल फिर वही है कि क्या ये सब लोग वसुंधरा के ओजस्वी व्यक्तित्व को धूल धूसरित कर देंगे❓️कर पाएंगे❓️❓️😨*
*2008 और और 2023 में कहीं कोई फ़र्क़ नहीं!हां, कुछ नेता भगवान को प्यारे हो चुके हैं कुछ वसुंधरा का दामन छोड़ कर उनके ख़िलाफ़ खड़े हो गए हैं। दिगम्बर सिंह और सांवर लाल गुज़रे वक़्त के गवाह हो चुके हैं जबकि राजेन्द्र राठौड़ और सुभाष मेहरिया वसुंधरा के पक्ष में खड़े नज़र नहीं आ रहे। इसका मतलब यह नहीं कि वसुंधरा शक्ति हीन हो गयी हैं। आज भी उनके साथ पुराने और नए चेहरों का क़ाफ़िला है। वह आज भी जनता के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। आज भी उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ती है।आज भी उनके जन्म दिन पर लाखों चाहने वाले सालासर पहुंच जाते हैं। आज भी उनको किसी शहर में सभा करवाने से पहले भूमि पूजन नहीं करवाना पड़ता । आज भी उनका साथ देने वाले बिना दिल्ली से डरे सालासर पहुंच जाते हैं। आज राजनीति के खिलाड़ी यह कह रहे हैं कि बिना वसुंधरा के अगला चुनाव जीतना मुश्किल होगा। आज भी वसुंधरा का कोई तोड़ मोदी और शाह के पास नहीं।*❌
*वर्ष 2008 के बाद आज भी वसुंधरा को दिल्ली निबटा नहीं पाई।जिन्होंने निबटाने की कोशिश करके देखी वह ख़ुद निबट गए।*🤪
*मित्रों! मैं वसुंधरा का कोई प्रेस अटैची या ज़न सपंर्क अधिकारी या ज़रखऱीद पत्रकार नहीं मगर बिना पक्ष लिए यह कह सकता हूँ कि इस बार भी यदि हाई कमान ने कोई भूल की तो उसका खामियाज़ा पार्टी को उठाना पड़ेगा। उसका प्रतिशत भले ही कम ज़ियादा हो सकता है।*🤷♂️
*और हां दोस्तो! सी पी जोशी! पूनिया! राठौड़ के लिए भी एक जुमला!*🤪
*सावधानी हटी ! दुर्घटना घटी!*😇