आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति ही नहीं है बल्कि जीवन जीने की कला है: उपनिदेशक डॉ जलदीप पथिक
सात दिवसीय पंचकर्म चिकित्सा शिविर का हुआ समापन, 147 रोगियों को पंचकर्म चिकित्सा से किया लाभान्वित
भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) मोनु सुरेश छीपा राजकीय एकीकृत आयुष चिकित्सालय में चल रहे सात दिवसीय पंचकर्म चिकित्सा शिविर का समापन हुआ। आयुर्वेद विभाग एवं आरोग्य साधना आश्रम लादुवास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुए इस चिकित्सा शिविर में 147 रोगियों को पंचकर्म चिकित्सा से लाभान्वित किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आसींद के महंत केशव दास महाराज ने सेवा के साथ संस्कार के क्षेत्र में चरित्र निर्माण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति त्याग की भावना रखती है जबकि विश्व की अन्य संस्कृतियां भोग विलास को महत्व देती है। विशिष्ट अतिथि आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक डॉ जलदीप पथिक ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति ही नहीं है बल्कि जीवन जीने की कला है जो रोगों से दूर रखती है। अध्यक्षीय उद्बोधन डॉ डीएल काष्ट ने आयुर्वेद को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति बताते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डाला। शिविर प्रभारी डॉ संजय कुमार शर्मा ने शिविर में हुई गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही रोगियों की फीडबैक रिपोर्ट सह प्रभारी संजय गोरन ने दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में चिकित्सालय परिसर में 11 छायादार एवं औषधीय पौधों का रोपण किया गया। मंच द्वारा शिविर में सहयोग कर्ता चिकित्सा कर्मियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सभी ने पर्यावरण को बचाने एवं संरक्षित रखने की प्रतिज्ञा भी की। कार्यक्रम में पीएमओ डॉ जीएल शर्मा, पूर्व पीआरओ श्यामसुंदर जोशी, बनेड़ा राज परिवार के गोपाल सिंह, भामाशाह शंभू लाल जोशी सहित तारा शंकर जोशी, ओम प्रकाश शर्मा, शंकर जोशी, ओम प्रकाश शर्मा, शंकर लाल सोमानी, गोपीकृष्ण पाटोदिया, ललित कुमार जैन के साथ कई गनमान्य नागरिक उपस्थित रहे।