*देव योनि से भी दुर्लभ मानव तन मिलना, प्राप्त कर सकते सिद्ध अवस्था – मुकेशमुनिजी म.सा.*
*धर्म के विपरीत चलने पर जीवन में नहीं हो सकता सुख-शांति का वास*
*वैशालीनगर स्थानक में चातुर्मासिक नियमित प्रवचन*
अजमेर, 12 अगस्त। मानव तन मिलना दुर्लभ है। जो मानव तन मिलने पर पाया जा सकता है वह देव योनि में भी नहीं मिल सकता। सिद्ध अवस्था को प्राप्त करने की क्षमता मानव योनि के अलावा 84 लाख योनियों में किसी योनि में नहीं है। हमे सिद्ध अवस्था प्राप्त करने का तरीका जानना व समझना होगा ओर उसके अनुरूप अपना आचरण, चरित्र व व्यवहार करना होगा। ये विचार शनिवार को अजमेर में श्री जैन श्वेताम्बर संस्था पार्श्वनाथ कॉलोनी, वैशालीनगर के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमे मनुष्य योनि मिली है तो हमारा ध्यान सांसारिक सुखों की तरफ नहीं होकर सिद्ध अवस्था प्राप्त करने के तरीके पर केन्द्रित होना चाहिए। हमे इसके लिए अपने धर्म व भावनाओं के आधार पर चलना होगा। दूसरों के शब्दों के आधार पर चलने से आत्मिक सुख की अनुभूति नहीं हो सकती है। हमे सोचने समझने की शक्ति मिली है जिसका उपयोग कर जन्म-मरण के बंधनों से छुटकारा पाने की साधना करनी चाहिए। धर्मसभा में सेवारत्न श्री हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि जीवन में आनंद व शांति चाहिए तो ईश्वर व धर्म की शरण में जाना होगा। हम धर्म के विपरीत चलेंगे तो सुख व शांति का हमारे जीवन में कैसे वास होगा। धर्म के विपरीत चलने वालों को दुःख भोगने ही पड़ते है। भगवान के चरणों में बैठ भक्ति करने से ही वास्तविक सुख की प्राप्ति होगी। उन्होंने जैन रामायण का वाचन करते हुए बताया कि किस तरह सुकौशल का पुत्र जब वृद्ध होता है तो एक दिन उसकी रानी को उसके सिर में सफेद बाल नजर आता है। रानी कहती है सफेद बाल का मतलब सावधान हो जाओ भगवान का दूत आ गया है कभी भी बुलावा आ सकता है। ये सुनकर राजा के मन में वैराग्य की भावना आ जाती है ओर वह संयम स्वीकार कर लेते है।
*परमात्मा के चरणों में ही प्राप्त होगा सुख- हितेशमुनिजी म.सा.*
धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि सुख की प्राप्ति के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। सच्चे सुख की प्राप्ति परमात्मा के चरणों में ही होती है। हमने यदि परमात्मा की आराधना समर्पित भाव से कर ली तो हर सुख की प्राप्ति हो जाएगी। उन्होंने 12 भावना में से दो भावना अनित्य व अशरण की चर्चा पूर्ण होने के बाद तीसरी भावना संसार भावना की चर्चा शुरू करते हुए कहा कि जो निरन्तर चलायमान रहता है वह संसार है। संसार में सुख के लिए भटकते है लेकिन सुख देव, मनुष्य, नरक व तिर्यंच किसी गति में नहीं है। सुख प्राप्ति का एक मात्र साधन परमात्मा की भक्ति है जिसमें हर समय जुटे रहना चाहिए। हम परमात्मा को भूल भौतिकता में डूब जाएंगे तो सुख कहां से प्राप्त होंगे। धर्मसभा में प्रार्थनार्थी सचिनमुनिजी म.सा. ने कहा कि मनुष्य यदि अपने जीवन को जागृत करना चाहे तो उसे अत्याधिक ज्ञानार्जन करने या सुनने की जरूरत नहीं है। जागने वाले के लिए एक वाक्य ही काफी होता है। तीर्थंकरों की वाणी का श्रवण-मनन करने या उनकी निश्रा का अमृत सुख पाने के भी हम सोये हुए है। हमने कभी जागने का प्रयास ही नहीं किया। शायद हम जागना ही नहीं चाहते। जिस दिन एक शब्द भी आपके भीतर तक चोट कर दे, भीतर तक उतर जाए तो उसी दिन आपके जीवन में जागृति आ जाएगी। धर्मसभा में युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. का भी सान्निध्य रहा। धर्मसभा में खवासपुरा, चैन्नई, बोरून्दा, किशनगढ़, नसीराबाद, बिजयनगर आदि क्षेत्रों से पधारे श्रावकों के साथ अजमेर के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के सचिव डॉ. पीएम जैन (डोसी) ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक नियमित प्रवचन के साथ दोपहर 3 से 4 बजे तक धर्मचर्चा हो रही है। सूर्यास्त के समय प्रतिक्रमण के बाद रात्रि धर्म चर्चा का आयोजन भी हो रहा है।
*श्राविकाओं के लिए धार्मिक प्रतियोगिता*
चातुर्मासिक आयोजन के तहत शनिवार को प्रवचन के बाद श्राविकाओं के लिए धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके तहत धार्मिक ज्ञान पर आधारित प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता संयोजन मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने किया। रविवार को प्रवचन से पूर्व आधे घंटे जाप का आयोजन होगा। श्रमण संघ के आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी म.सा. की जयंति 17 अगस्त को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस दिन श्रीसंघ के तत्वावधान में अधिकाधिक आयम्बिल तप हो इसके लिए पूज्य मुकेशमुनिजी म.सा. आदि ठाणा द्वारा प्रेरणा प्रदान की जा रही है। चातुर्मास में मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 133वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 96वीं जयंति के उपलक्ष्य में 19 से 21 अगस्त तक सामूहिक तेला तप साधना होगी। सामूहिक तेला तप करने वालों के पारणे 22 अगस्त को होंगे।
*डॉ. पीएम जैन (डोसी)*
सचिव, श्री जैन श्वेताम्बर संस्था पार्श्वनाथ कॉलोनी, वैशालीनगर, अजमेर
मो. 9829751083
*प्रस्तुति: निलेश कांठेड़*
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा