नवदिवसीय श्री राम कथा में श्री मोरारी बापू ने श्री राम जन्म का विस्तृत वर्णन किया।
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव में नवदिवसीय श्रीरामकथा ज्ञानयज्ञ में
कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू श्रीरामायणजी में श्रीराम जन्म की कथा का विस्तृत वर्णन करते हुए बताया कि
महाराज श्री दशरथ वशिष्ठ जी के यहां जाते हैं। महर्षि वशिष्ठ ने समझाया- धैर्य धारण करो चार पुत्रों की प्राप्ति का योग है। श्रृंगी ऋषि को बुला करके पुत्रेष्टि यज्ञ कराया गया। अग्नि देवता खीर लेकर प्रकट हुए। उस खीर के दो हिस्से किये, आधा हिस्सा कौशल्या को दे दिया। जो आधी खीर बची उसके दो हिस्से हुए। एक कैकई को दिया गया और जो चौथाई बचा उसके दो हिस्से हुए, वह कौशल्या और कैकेयी जी के हाथ लगाकर सुमित्रा और वह खीर जाकर अंजना को प्राप्त हुआ। उससे हनुमान जी प्रकट हो जाते हैं।हनुमान जी भी भगवान राम के भक्त परिवार के प्रमुख सदस्य हैं और फिर कैकई ने और कौशल्या ने अपने हिस्से से थोड़ी-थोड़ी खीर निकाल के सुमित्रा जी को दिया, तो सुमित्रा जी ने कहा बहन मेरा हक तो कोई और ले गया, अब आपने मुझे खीर दी है। इसलिए इस खीर से जो पुत्र पैदा होंगे, उसमें से एक आपके पुत्र की सेवा में लगा दूंगी। इसलिए सुमित्रा जी से दो हुए लक्ष्मण और शत्रुघ्न। कैकेई अंबा से भरत और कौशल्या अंबा से राम।तो लक्ष्मण राम की और शत्रुघ्न भारत की सेवा में मां लगा दिए। सुमित्रा का अभिप्राय है- उपासना जो सबसे मित्रता रखे उसे ” सुमित्रा ” कहते हैं। और जो कर्म का फल मांग ले उसको कैकई कहते हैं। और जिसमें विवेक हो उसे कौशल्या कहते हैं। ।।योगः कर्मसु कौशलम्”।। इसका विस्तार इस चरित्र में है।
खीर खाये और उसके बाद माताओं को सन्तान का योग हुआ। माता की कोख खान के
समान होती है। खान से कोयला भी पैदा होता है और खान से हीरे भी पैदा हुआ करते हैं। कई माताएं ऐसी हैं जिनकी खान (कोख) से भक्त रूपी हीरा पैदा हो जाता है और किसी माता की कोख से धुंधकारी जैसा कोई कोयला भी पैदा हो जाता है।
कर्म अच्छे होते हैं तो हीरे जैसे निकल आते हैं, कोई भक्त, ज्ञानी, शूरवीर और कर्म अच्छे न हों तो फिर धुंधकारी जैसे पैदा होते हैं जो जिंदगी भर रुलाते रहते हैं। लिखा है कि-
मंदिर महँ सब राजहिं रानी। सोभा शील तेज की खानी।।
शोभा सील, तेज की खान है न यह माता का गर्भ।
शोभा राम,शील भारत, तेज लक्ष्मण और शत्रुघ्न का चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि मध्यान्ह के समय, अभिजीत मुहूर्त, पुनर्वसु नक्षत्र में भगवान का अवतार होता है। कथा में इस दौरान सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, विजय प्रकाश शर्मा, सुभाष चंद जोशी, रामेश्वर शर्मा, मधुसूदन मिश्रा सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।