श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्री भक्त माल कथा व नरसी भगत की कथा एवं नानी बाई का मायरा कथा का विस्तार वर्णन किया।
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय सार्वजनिक धर्मशाला में चल रहे श्रीदिव्य चातुर्मास सत्संग
महामहोत्सव में कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू ने श्रीभक्तमाल कथा ज्ञानयज्ञ व श्रीनरसीजी भगत की कथा एवं नानी बाई का मायरा तथा भक्तशिरोमणि श्रीधन्नाजी की कथा का प्रतिदिन दोपहर एक बजे से शाम पांच बजे एवं शाम सात बजे से रात नौ बजे तक कथा का वाचन कर रहे है। कथा व्यास-श्री महामंडलेश्वर मोरारी बापू ने भक्तशिरोमणि श्रीनरसीजी की कथा में बताया कि
कोई तो गांव, पुर, नगर और देश विदित होते हैं परंतु श्रीनरसीजी भगत तो जगतविदित हुए, इनकी महिमा संपूर्ण जगत में व्याप्त हुई। भक्तप्रवर श्रीनरसीजी गुजरात प्रांत जूनागढ़ नगर के निवासी थे। आपके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था। घर में एक भाई और भाभी थी।इनकी भाभी जी अति ही क्रोधी स्वभाव की थी। किसी दिन आप इधर-उधर से ही घूम कर घूम फिर कर घर आये और भाभी से पीने के लिए जल मांगा। भाभी ने यह नहीं समझा कि देवर जी थके और प्यासे हैं, वे मन ही मन जल भुन गई और बोली तुम बड़ी भारी कमाई करके आए हो न, इसलिए तुम्हें जल पिलाये बिना कैसे काम बनेगा। अपने आप जल जाकर पीयो। भाभी ने जब इस प्रकार जवाब दिया तो घोर अपमान का अनुभव करके श्रीनरसीजी का शरीर कांपने लगा। बिना जल पिए ही आप घर से निकल चले और मन ही मन सोचने लगे कि ऐसे जीवन में क्या सुख, कहीं अन्यत्र जाकर अब इस दुःख मूल शरीर को त्याग दूंगा। बाहर जंगल में शिव जी का मंदिर था वहीं जाकर आप पड़ गए, मानो अपने शिवजी की शरण में जाकर अपना दुःख निवेदन किया और स्थिर चित्त से आपने शिव का ध्यान किया। वही कथा व्यास-श्री मोरारी बापू ने भक्तशिरोमणि श्रीधन्नाजी की कथा में बताया कि
परम पुण्यवान,प्रशंसनीय भक्त श्रीधन्नाजी की भगवत्-भागवत सेवा की हम सराहना करते हैं, जिनके खेत में बिना बीज बोये ही अंकुर जमा। घर पर वैष्णवों के आने पर बोने के लिए रखा हुआ बीज का गेहूं उन्हें खिला दिये और माता-पिता के डर से खेत में खाली हाल चाल दीये।(परंतु संत सेवा के प्रताप से बिना बोये भी खेत में गेहूं बढ़िया जमा अतः) पास-पड़ोस के किसान इनके खेत की बहुत बड़ाई करते थे।( जब श्रीधन्नाजी ने जाकर देखा तो) साधु-सेवा की प्रीत-रीति एवं प्रतीत को प्रत्यक्ष पाया। इस बात को सुनकर संसार के लोग आश्चर्य मानते हैं कि बोया कहीं अन्यत्र गया और उपजा कहीं अन्यत्र। कथा में श्री दिव्य सत्संग मंडल अध्यक्ष अरविंद सोमाणी, विजय प्रकाश शर्मा, नंदलाल काबरा, सुभाष चन्द्र जोशी, रामेश्वर दास, मधुसूदन मिश्रा, रविशंकर उपाध्याय सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।