करवा चौथ पर महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा व्रत,,,,,
मोनू सुरेश छीपा। द वॉयस ऑफ राजस्थान
शाहपुरा। जिले में नगर के रामनगर कालोनी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने बुधवार को अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखा महिलाओं ने सायं सज धज कर सामूहिक रूप से करवा चौथ माता की विशेष पूजा अर्चना कर अपने पति की दीर्घायु व परिवार की खुशहाली की कामना की। करवा चौथ पर कुछ महिलाएं निर्जला व्रत अर्थात चांद देखने पर ही अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला। रात्रि में चांद दिखने पर चांद को अर्ध्य देकर अपना व्रत उपवास खोला। करवा चौथ पर महिलाओं ने सामूहिक उद्यापन भी रखा।
उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि होने के कारण करवा और चौथ को मिलाकर इसका नाम करवा चौथ पड़ा। इस तरह से मां करवा पहली स्त्री हैं जिन्होंने अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ व्रत की शुरुआत की थी। इसके बाद इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी किया था।
इस व्रत को पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मां पार्वती को अपार सौभाग्य का आशीर्वाद मिला था। कहते हैं कि तभी से सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं।
करवा चौथ का व्रत का मतलब क्या है?
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. करवा चौथ का व्रत पूरे दिन निर्जला रखा जाता है और रात में चांद का दर्शन करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. करवा चौथ के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर सजती संवरती हैं.
करवा चौथ के दिन रात में पति पत्नी क्या करते हैं?
पत्नी चंद्रमा के दर्शन करने के बाद उसकी विधि विधान पूजा करती है। फिर चंद्रमा को जल चढ़ाकर भोग अर्पित करती है। इसके बाद पत्नी छलनी में चांद के साथ ही अपने पति को भी देखती है। इसके बाद पति अपनी पत्नी को जल पिलाते हैं और कुछ खिलाकर उनका व्रत पूरा कराते हैं।