सीता का कुंड महादेव में दो दिवसीय मेला आज से।
महावीर वैष्णव
महुआ क्षेत्र की ग्राम पंचायत माल का खेड़ा स्थित सीता का कुंड महादेव स्थल में 27 में 28 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय मेला ग्राम पंचायत माल का खेड़ा के तत्वाधान में भरा जाएगा।जानकारी देते हुए सीताकुंड महादेव पंडित बाबूलाल शर्मा ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सीताकुंड महादेव में दो दिवसीय मेला आयोजित किया जा रहा है। कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर सोमवार के दिन मुख्य रूप से मेला लगेगा। जिसमें ऊपर माल, हाडोती ,खेराड क्षेत्र के शिव भक्ति एवं आसपास के ग्रामीण भाग लेते हैं। मेले में बाल बच्चे, बड़े बुजुर्ग पुरुष महिला डॉलर चकरी में जुलकर मेले का आनंद लेते हैं।शिव भक्त मंदिर में पहुंचकर भगवान शिव के दर्शन कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव भक्तों के द्वारा विभिन्न प्रकार की फूल पत्तियों एवं फूलों द्वारा भगवान शिव शंकर का विशेष श्रृंगार किया जाता है।माल का खेड़ा सरपंच प्रतिनिधि रामलाल मेघवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम पंचायत के तत्वाधान में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है ।जिसमें ग्राम पंचायत द्वारा पेयजल, साफ सफाई एवं लाइट डेकोरेशन की व्यवस्था की जाती है। मेले में आसपास के दुकानदार ,डॉलर चकरी झूले, होटल बर्तन खिलौने की दुकान वाले दुकानदार अपनी-अपनी दुकान लगाकर भाग लेते हैं और क्षेत्र के लोग खरीदारी करते हैं। शिव भगवान के दर्शन करने हेतु आसपास के क्षेत्र से शिव भक्ति एवं ग्रामीण महिला, पुरुष भाग लेकर शिव शंकर के दर्शन करते हैं।
सीता कुंड की भौगोलिक स्थिति
सीता का कुंड महादेव स्थल क्षेत्र के ग्राम पंचायत मालका खेड़ा के पास स्थित है। बिजोलिया उपखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूरी पर बिजोलिया से उतर दिशा में स्थित है एवं मालका खेड़ा पंचायत मुख्यालय से दक्षिण दिशा में 6 किलोमीटर दूरी पर अरावली पर्वतमाला की श्रेणी के बीच बिजोलिया शकरगढ़ रोड पर स्थित है।कार्तिक माह में महिलाएं एक माह तक व्रत उपवास कर पति की लंबी उम्र एवं परिवार की सुख समृद्धि की कामना को लेकर महिलाएं कार्तिक स्नान करती है । महिलाएं कार्तिक पूर्णिमा पर अल सुबह सीता का कुंड शिव शंकर के मंगल गीत गाती हुई अपने-अपनी सहेलियों के झुंडों के साथ पहुंचती है और स्नान गांठ पर पहुंच कर मंदिर में जाकर भगवान शंकर की पूजा अर्चना करती है एवं पूजन के बाद महिलाएं मंदिर में धार्मिक कथाओं का श्रवण करती है ।तत्पश्चात लकड़ी से निर्मित टाटी बनाकर उसमें आटे का दीप जलाकर कुंड में शंकर भगवान के मंगल गीत गाती हुई विसर्जन करती है। इसके बाद पूरे दिन व्रत उपवास पूरा कर भगवान के दर्शन करती है।।