श्री तुलसी का विवाह, केवल सालिग्राम भगवान् से ही हो सकता है। = श्री दाधीच महाराज
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय हुरडा रोड कृष्णा कोलोनी, वेदांत साधकाश्रम में चल रही भागवत कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा वाचक श्री मधुसूदन जी महाराज ने कथा में बताया कि 24 अवतारों में एक ऋषभ देव का अवतार हुआ,
इंद्र की कन्या जयंती से ऋषभ देव से विवाह हुआ, भगवान ऋषभ देव बांस के जंगलों रह ने लगे, जंगल में बांसो की रगड़ से आग लगने से भगवान ऋषभ देव का देवलोक हो जाता है।
तुलसी का विवाह कभी ठाकुर जी नही होता है,तुलसी का विवाह केवल सालिग्राम से ही होता है।
स्त्री को कभी सालिग्राम व शिव लिंग की पूजा नही करना चाहिए,
शिव पंचायत में शिवलिंग को ही जल चढ़ाना चाहिए, बाकी देवताओं को जल नही चढ़ाना चाहिए । अपराध करने से हमारी भक्ति निम्न हो जाती है, तुलसी केवल भगवान शालिग्राम को ही चढ़ती है, अन्य देवता को नहीं चढ़ती है, जिसको अच्छे बुरे का ज्ञान ना हो जिसको अपने शरीर का ज्ञान ना हो उसे जड़ भद्र कहा जाता है। पुत्रों का नाम का भी बड़ा महत्व है नाम हमेशा ऐसे रखने चाहिए जिसको बोलने से भी भगवत प्राप्ती हो , गोपाल , नारायण , राम, कृष्ण आदि नाम रखना चाहिए अंतिम समय बैकुंठ धाम प्राप्त हो।
वृक्ष से निकलने वाले गोंद से बन ने वाली चीजे कभी भगवान को नहीं चढ़ानी चाहिए भगवान के नाना प्रकार के अवतारो का वर्णन करते हुए, श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन किया गया, कृष्ण जन्म धूमधाम से मनाया गया भागवत जी की आरती के साथ प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान कथा में कई भक्तजन श्रद्धालु थे ।