*‼️युनूस और ज़ुबैर खान की शपथ के बहाने सनातनी आस्था‼️*👍
_*ईश्वर को हाज़िर नाज़िर मान कर शपथ लेने के मायने!!*_💁♂️
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजस्थान की सोलहवीं विधानसभा के पहले सत्र में 16 विधायकों ने देव भाषा संस्कृत में अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली।राष्ट्रीयता से ओत प्रोत इस शपथ में सबसे महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली बात रही दो मुस्लिम विधायकों का संस्कृत में शपथ लेना। जनाब यूनुस खान और ज़ुबैर खान ने संस्कृत में शपथ लेकर यह तो सिद्द कर दिया कि देश के मुसलमान अपनी साझा संस्कृति के अभी भी संवाहक बने रहना चाहते हैं।*💯
*शपथ की भाषा में ईश्वर को साक्षी मान कर शपथ ली गई और आप ताज़्जुब करेंगे कि यूनुस और ज़ुबैर दोनों ने ईश्वर शब्द का उर्दू में कोई पर्याय या विकल्प नहीं इस्तेमाल किया। वे चाहते तो अल्लाह को हाज़िर नाज़िर भी कर सकते थे। ईश्वर जैसे सनातनी शब्द को उन्होंने उच्चारित ही नहीं किया बल्कि उसकी शब्द निष्ठ अर्थ को भी दिल से स्वीकारते हुए उसको साक्षी बनाया।*🙋♂️
*यूनुस खान भाजपा के ही विधायक और मंत्री रहे । भारी सामाजिक विरोध के उन्होंने कभी पार्टी नहीं बदली। ऐसे अपमान जनक समय में जब उन्होंने मुस्लिम होने के कारण टिकिट को गंवाया तब भी उन्होंने दूसरी पार्टी जॉइन नहीं की। यदि वह चाहते तो कांग्रेस या अन्य पार्टी की टिकिट पर भी चुनाव लड़ सकते थे । ठीक उसी तरह जिस तरह किशनगढ के युवा विद्रोही डॉ विकास चौधरी ने भाजपा से टिकिट नहीं मिलने पर कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली। यही नहीं उन्होंने कांग्रेस से टिकिट लेकर चुनाव जीता और भाजपा को बता दिया कि पार्टी के ग़लत फ़ैसले किस तरह जनता जनार्दन दुरुस्त कर देती है। सांसद भागीरथ चौधरी को भाजपा हाईकमान ने तोप समझ कर चुनाव लड़ने भेजा था मगर वह देशी कट्टा भी साबित नहीं हो सके।*😇
*पार्टी ने इस बार यूनुस खान को जान बूझ कर टिकिट नहीं दिया। लोगों ने कहा कि वसुंधरा के बेहद नज़दीकी होने का उन्होंने खामियाज़ा भुगता मगर कुछ समझदार लोग इस तर्क को नहीं मानते। हां विकास चौधरी को लेकर यह तर्क दिया जा सकता है। जहाँ तक युनूस खान का सवाल है उनको टिकिट महज इसलिए नहीं दिया गया कि पार्टी ने साफ़ तौर पर अपना चेहरा सनातनी घोषित कर दिया है। मुस्लिम लीडरशिप उनकी रगों और रंगों से बाहर हो चुका है। राज्य में एक भी मुस्लिम नेता को पार्टी ने टिकिट नहीं दिया।*😯
*यहाँ साफ़ बता दूं कि यह किसी भी पार्टी का अंदरूनी मामला है कि वह अपने राजनीतिक स्वरूप को किस लिबास में प्रस्तुत करे। भाजपा ने हिंदु वादी नीतियों को आगे रखा हुआ है। इसमें कोई बुरी बात भी नहीं।*🤷♂️
*….मगर…मित्रों! संविधान में हिन्दू मुसलमान को एक समान दर्ज़ा दिया गया है।सारे राजनीतिक अधिकार समान नागरिकता के तहत सुरक्षित हैं। इसलिए हिंदू और मुस्लिम समाज को हर तरह से अपने अपने मज़हब के हिसाब से सारे हक़ दिए गए हैं।*💁♂️
*भाजपा ने यूनुस खान को टिकट नहीं दी यह पार्टी का फ़ैसला था और उस पर उंगली नहीं उठाई जा सकती। हां, यूनुस खान ने निर्दलीय चुनाव लड़कर और संस्कृत में शपथ लेकर अपनी राष्ट्रीयता और अपनी संस्कृति के प्रति आस्था का परिचय दे दिया है। ईश्वर के प्रति आस्था दिखा कर उन्होंने सनातन को सम्मानित भी किया है। ऐसे ही भारतवासी हमारी थाती हैं।*👍
*ऐसे लोग जो चाहे हिन्दू हों या मुसलमान या और किसी अन्य मज़हब के यदि राष्ट्रीय संप्रभुता के प्रति आस्था नहीं रखते तो उनको देश में रहने का कोई अधिकार नहीं।*❌
*ऐसे लोग जो भारत मे रह कर पड़ौसी मुल्कों के लिए समर्पण भाव रखते हैं उनको दुश्मनों से ज़ियादा ख़तरनाक माना जाना चाहिए । इस मुद्दे पर मैं पूरी तरह भाजपा के साथ हूँ मगर ऐसे मुस्लिम जो मन, करम, वचन, व्यवहार से भारत माता के प्रति समर्पित हैं उनका सम्मान हमको पूरी तरह करना चाहिए। हमको अब्दुल कलाम आज़ाद और हमीद जैसे देशवासी चाहिए।*🙋♂️
*बदले हुए राजनीतिक परिवेश में उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत में रहने वाले सभी मजहबों के नागरिकों में राष्ट्र और संविधान के प्रति सम्मान स्थापित हो।*👍