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भजन सरकार में पहली राजनीतिक नियुक्ति लखावत की।
यानी पूरे पांच वर्ष राजस्थान के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों का संरक्षण और विकास होगा।
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राजस्थान में भाजपा की जीत के बाद 15 दिसंबर को भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री और डॉ. प्रेमचंद बैरवा व दीया कुमार ने उपमुख्यमंत्री की शपथ ली। इसके बाद 30 दिसंबर का मंत्रिमंल का विस्तार हुआ, लेकिन भजन सरकार में पहली राजनीतिक नियुक्ति ओंकार सिंह लखावत की हुई है। 7 फरवरी को लखावत को राजस्थान धरोहर प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। लखावत को राज्यमंत्री का दर्जा मिलेगा। लखावत लंबे समय से भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। मौजूदा समय में भी भाजपा की अनुशासन समिति के प्रदेश अध्यक्ष हैं। प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बीच आपसी सहमति रही। भजन सरकार में पहली राजनीतिक नियुक्ति से लखावत के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों पर इसी महा चुनाव होने हैं और नामांकन की अंतिम तिथि 15 फरवरी है, लेकिन अभी तक भी भाजपा उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है। भाजपा के दो सांसद चुने जाने हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार लखावत की वरिष्ठता और पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुए राज्यसभा सांसद की उम्मीदवारी पर भी लखावत का मजबूत दावा था। लखावत पूर्व में भी राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। सूत्रों के अनुसार राज्यसभा चुनाव की राजनीति के मद्देनजर भी लखावत की प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को खास माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो प्राधिकरण का अध्यक्ष बनवाने में संघ के पदाधिकारियों की भी भूमिका रही है। लखावत भी संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। प्रदेश के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के संरक्षण और विकास में संघ की रुचि है। संघ चाहता है कि ऐसे स्थलों का विकास हो ताकि राजस्थान के वीरता वाले इतिहास को सामने लाया जा सके। चूंकि लखावत ने अपने पिछले दो कार्य काल में उल्लेखनीय काम किए इसलिए भाजपा की सरकार बनते ही लखावत को प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यानी पूरे पांच वर्ष लखावत के नेतृत्व में ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का विकास होगा। आमतौर पर प्राधिकरण में तीन वर्ष के लिए नियुक्त होती है, लेकिन 7 फरवरी को जारी आदेश में समय सीमा नहीं है। यानी मौजूदा सरकार के रहने तक लखावत प्राधिकरण के अध्यक्ष बने रहेंगे। लखावत ने अपने पिछले कार्यकाल में सम्राट पृथ्वीराज चौहान स्मारक, सिंधुपति दाहर सेन स्मारक, गोगाजी चौहान स्मारक गोगामेडी, राणा सांगा स्मारक खानुआ, महाराजा सूरजमल स्मारक भरतपुर, मीराबाई स्मारक मेड़ता, गोविन्द गुरु स्मारक एवं संग्रहालय मानगढ़ धाम बांसवाड़ा, हाड़ी रानी स्मारक सलूम्बर, तेजाजी स्मारक खरनाल, जाम्भाजी स्मारक पींपासर, गुरु गोविंद सिंह स्मृति साहवा सरोवर चूरू, नर्मदेश्वर धाम सीलू-जालौर, नरहरिदास बारहठ स्मारक टहला, सत्याग्रह उद्यान आठवा, बूढ़ा पुष्कर जीर्णो, वीर अमरसिंह राठौड़ पैनोरमा नागौर, बाबा रामदेव पेनोरमा रामदेवरा, श्री करणी माता पेनोरमा देशनोक, भगवान देवनारायण पेनोरमा मालासरी, संत रैदास पेनोरमा चित्तौडग़ढ़, संत नागरीदास पेनोरमा किशनगढ़, गुरु गोविंद सिंह पेनोरमा पनीरमा बूढ़ा जोहड़ सहित अन्य कार्य कराए गए हैं। उन्होंने जय आवड़ आशापुरा, बारहठ नरहरिदास, हिंगलाज शक्तिपीठ, बोल सांसद बोल, स्वातंत्रय राजसूय यज्ञ में बारहठ परिवार की आहुति व अन्य पुस्तकें लिखी हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-02-2024)