राष्ट्र और धर्म साथ-साथ राम जी के चरण रज और भोजन प्रसादी देखने को उमड़ा जनसैलाब फूलडोल महोत्सव का चतुर्थ दिवस
मोनू सुरेश छीपा।द वॉयस ऑफ राजस्थान
शाहपुरा शाहपुरा जिला मुख्यालय पर रामसनेही भक्तों का महाकुंभ पंच दिवसीय फूलडोल महोत्सव शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के रामनिवास धाम में 267वर्षों सेआयोजित हो रहा है चतुर्थ दिवस पर राष्ट्रीय धर्म साथ-साथ नजर आए राष्ट्रीय तिरंगा एवं थाल की शोभायात्रा एक क्रम में रही इस मौके पर हजारों हजारों भक्तों ने ब्रह्मलीन चमत्कारी संत रामचरण जी महाराज के समाधि स्थल स्तंभ जी पर श्रद्धालुओं द्वारा विधिवत पूजा आरती का आयोजन हुआ लाल चौक में स्थित कंवरपदाजी की छतरी पर विधिवत मुंडन संस्कार आयोजित हुआ लाल चौक के नीचे रामनिवास धाम मैं मन्नत के रूप में मांगी हुई संतान प्राप्त होने पर उनके वजन के बराबर मिश्री का तुलादान हुआ जिसे सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद को विधिवत लूटा रामनिवास धाम के सूरज पोल के सामने रामस्नेही श्रद्धालुओं द्वारा मानी जाने वाली गुप्त गंगा के पास अस्तियां को भूमिगत किया गया सोमवार को विधिवत राम मेडिया से राजसी ठाठ से गाजे बाजे के साथ अणभै वाणी का पाठ करते हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने “थाल” की शोभा यात्रा निकाली वर्तमान आचार्य की आरती के पश्चात रामसनेही श्रद्धालु आचार्य जी के चरण रज पाने की लालसा में हथेलिया जमीन पर बिछाये रहे रामनिवास धाम में संतों का भजन प्रसादी देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु टकटकी लगाए देखते रहे आचार्य कक्ष के बाहर वर्तमान आचार्य के चरण धोकर चरणामृत वितरण विशेष भक्तों में किया गया दोपहर से पहले बारादरी में गादी जी पर वाणीजी का वाचन किया गया और शहर गांव के राम द्वारा द्वारा आचार्य के चतुर्मास की अरदास के रूप में अरजीया पेश की गई पंचमी पर विधिवत चतुर्मास की घोषणा की जायेगी रंगपंचमी को फूलडोल महोत्सव का पांचवा दिन होगा और श्रद्धालुओं के लिए महाकुंभ का समापन लेकिन संत समाज मैं विधिवत फूलडोल महोत्सव40 दिन का होता है 25 दिन की मान्यता होने लगी उसके बाद “रामत” होकर सभी आगंतुक संत आचार्य से आज्ञा लेकर अपने-अपने रामद्वारा पहुंचेंगे संतों में मुख्यतः शंभू राम जी, दिग्विजय राम जीराम जगवल्लभ राम जी, ,निर्मल राम जी, बोलता राम जी, राम विश्वास जी,सहेज राम जी, मनसुख राम जी, दिग्विजय राम जी,तोताराम जी, ईश्वर राम जी, हरिराम जी,रमता राम जी, मस्त राम जी,सेवाराम जी, बोलता राम जी, पप्पू राम जी, रामकृपाल राम जी,ललित राम जी, धीरज राम जी,मुमुक्षु राम जी सहित लगभग 150 संत से ज्यादा रामनिवास धाम में मौजूद है रामस्नेही धाम राजा महाराजाओं के शमशान स्थल पर में बसा हुआ है इसलिए से मरघट का दिव्य मंदिर कहा जाता है अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक प्रथम आचार्य रामचरण जी महाराज का जन्म संवत 1776 कीमाघ शुक्ल चतुर्दशी शनिवार को सोडा के ढुढास सुरसेन गांव में हुआ पिता का नाम बख्तराम एवं माता का नाम देऊजी था जीवन का पहला आश्रम पूर्ण करने के बाद साधु जीवन में आए और संवत1817 मैं भीलवाड़ा से 10 वर्ष तक साधना की और विक्रम संवत 1826 में शाहपुरा के राजा के आग्रह पर और रानी राजावत जी के आग्रह पर राजवंश के शमशान स्थल पर राजा भरत जी की छतरी में अपनी तपोस्थली बनाई संवत 18 सो 55 के कृष्ण पंचमी गुरुवार के दिन उन्होंने अपने शरीर त्याग दिया रामचंद्र जी महाराज के 225 मुख्य शिष्य थे जिसमें 12 शिष्य मुख्य थे जिन्होंने रामचंद्र जी महाराज के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया वर्तमान में 15 आचार्य के रूप में जगतगुरु श्री रामदयाल जी महाराज पीठेश्वर है