रामचरण जी महाराज के 225 शिष्यों ने रामस्नेही संप्रदाय को आगे बढ़ाया
रात्रि में धर्म सभा का आयोजन
✍️ *मोनू सुरेश छीपा।द वॉयस ऑफ राजस्थान*
शाहपुरा शाहपुरा जिला मुख्यालय पर अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय का फूल डोल महोत्सव का चतुर्थ दिन संपन्न हुआ कल रंग पंचमी को महाकुंभ संपन्न होगा जानकारी के अनुसार ढाई शताब्दी स ज्यादा267 वर्षों में रामस्नेही संप्रदाय को 225 शिष्यों ने अलग-अलग क्षेत्र में जाकर रामस्नेही संप्रदाय को आगे बढ़ाया रामस्नेही धाम शमशान में बसा हुआ है इसलिए से मरघट का दिव्य मंदिर कहा जाता है अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक प्रथम आचार्य रामचरण जी महाराज का जन्म संवत 1776 कीमाघ शुक्ल चतुर्दशी शनिवार को सोडा के ढुढास सुरसेन गांव में हुआ पिता का नाम बख्तराम एवं माता का नाम देऊजी था जीवन का पहला आश्रम पूर्ण करने के बाद साधु जीवन में आए और संवत1817 मैं भीलवाड़ा से 10 वर्ष तक साधना की और विक्रम संवत 1826 में शाहपुरा के राजा के आग्रह पर और रानी राजावत जी के आग्रह पर राजवंश के शमशान स्थल पर राजा भरत जी की छतरी में अपनी तपोस्थली बनाई संवत 18 सो 55 के कृष्ण पंचमी गुरुवार के दिन उन्होंने अपने शरीर त्याग दिया रामचंद्र जी महाराज के 225 मुख्य शिष्य थे जिसमें 12 शिष्य मुख्य थे जिन्होंने रामचंद्र जी महाराज के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया रामसेवगजी, राम प्रतापजी, चेतनदासजी ,कान्हडदास जी, द्वारकादास जी ,कान्हडदासजी, भगवानदासजी, रूपदासजी,देवादास जी, मुरलीरामजी, तुलसीदासजी, रामसेवगजी, मुकुंददासजी ,सूरतराम जी, गंगादासजी ,रामसुखजी, किशनदासजी, उमेदरामजी, रामदास जी निर्मोही ,सेवादासजी, नारायण दासजी विदेही, सेवादासजी,रूपदास जी, जीवणदासजी,रामनिवासजी, इच्छारामजी ,बालकदासजी रमताराम जी,मंशारामजी, गोविंदरामजी, मायारामजी,नहबलरामजी, समर्थराम जी, फकीरदासजी, जतरामजी,मोहन रामजी,शुकदेव,भाऊदासजीभक्तरामजी, बल्लभरामजी ,फतेहरामजी , रामसेवकजी रामप्रतापजी ,चेतनदास जी , कन्हडदासजी,द्वारिकादास जी ,भगवानदासजी ,रामजनजी , नरोत्तमदास जी ,देवादासजीजी मुरलीधरजी ,तुलसीदासजी जी ,मुकुंददासजी ,उद्धवरामजी, दूल्हेरामजी ,हरीभक्तजी,गंगादासजी,रामसुख जी ,अलखराम जी ,रूपवानजी (तीन),शिवरामदासजी , उमेदरामजी , श्यामदास जी(दो) , कृष्णरामजी ,रामदासजी ,कान्हडदास जी, मंशारामजी ,सेवकदासजी,रूपराम जी (दो), सूरतरामजी ,चतुरदासजी (चार) ,किशोरदासजी , बालकरामजी, निश्चलरामजी,रामकिशोर जी , अचलरामजी ,जीवनदासजी (दो) ,रतनदास जी,काशीरामजी,मपारामजी(तीन), क्षेमदासजी,बैरागीरामजी ,रामधुन जी(दो), रामनिवास जी,इच्छाराम जी,गोविंदरामजी (चार),रामसेवकजी माधव दास जी ,नारायणदास जी , रामदासजी(तीन), शिवरामदास जी , छीतमदासजी , बिहारीदासजी किशोरदासजी ,रामप्रसादजी जगरामदास जी ,रामसुखजी जी उद्धवराम जी खुशाली राम जी(तीन) , नंदराम जी ,दयाराम जी (पाच), तोतारामजी ,समर्थरामजी, आत्मारामजी(चार),जगन्नाथरामजी जी मालुमदासजी, निर्मलरामजी जी मोहनदासजी ,रामानंद जी ,मनोरथराम जी , क्षमारामजी ,मुक्तराम जी(दो), रामस्वरूप जी ,रामकिर्तीजी, ब्रह्मदास जी , मंगलदासजी, मंगनीदासजी रमता राम जी(दो), विश्वासीराम चौकस राम जी ,विनोदीरामजी, त्यागरामजी जैवतरामजी (दो),जसरामजी(दो), रामलालजी(दो) ,रतिरामजी , रामकुशालजी , सुखदेवजी(दो), मनोहररामजी(दो), कल्याणदासजी (चार) ,अग्रदासजी, करुणारामजी गंगादासजी(दो) , चरणदासजी(दो) , टिकमदास जी, गुलीबदासजी(दो), किर्तीरामजी , निर्गुणदासजी भिष्मदासजी ,गंभीरदासजी प्रतीतराम जी,रामविनोदजी,बक्षीरामजी भजनानंद जी,हेमदासजी ,हीरादास जी, नरहरिदास जी ,फकीरदासजी जी भाऊदासजी , हरिजनदासजी जी राममालूमजी , मुमुक्षुरामजी , रामस्वरूपजी ,विजयराम जी ,साधुराम गरीबदासजी ,रूपरामजी गुलाबदास जी ,रामदासजी ,झुगतीरामजी ,राम किशोरजी ,रामगुमानजीरु्परामजी,पोकरदासजी प्रथम आचार्यरामचरण जी महाराज के शिष्य हुए