भगवान प्राप्ति के लिए नवदा भक्ति श्रेष्ठ -आचार्य शक्ति सिंह महाराज
*मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9530303019*
भीलवाड़ा 24 जून
शिवाजी गार्डन में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के षष्ठम दिवस की कथा में आचार्य श्री शक्ति देव महाराज ने रास कथा श्रवण कराई, महाराज ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने जो रासलीला करी वह काम पर विजय प्राप्त करने की लीला है रास का प्रसंग कोई साधारण प्रसंग नहीं है इसके लिए हृदय में भक्ति होनी चाहिए भक्ति नौ प्रकार की होती है जिसे नवधा भक्ति कहते हैं जो व्यक्ति इस नवधा भक्ति को अपने जीवन में धारण करता है उसे ही भगवान मिलते हैं यह जो नवधा भक्ति है इससे पूर्व में किस-किस ने भगवान को पाया
भगवान की प्रथम भक्ति श्रवण भक्ति को करके राजा परीक्षित ने भगवान को प्राप्त किया, दूसरी कीर्तन भक्ति को करके मीराबाई ने भगवान को पाया,तीसरी भक्ति स्मरण भक्ति को करके प्रहलाद जी ने भगवान को प्राप्त किया, भजन करके लक्ष्मी जी ने एवं पूजन करके प्रथू ने भगवान को पाया अक्रूर जी ने वंदना करके एवं हनुमान जी ने दास बनकर के भगवान की सेवा करें अर्जुन ने सखा बनकर एवं राजा बलि ने अपना सब कुछ आत्म निवेदित करके भगवान की भक्ति करी हैं इस प्रकार यह नवधा भक्ति है यह नवधा भक्ति जैसे दही मे से घी निकालने के लिए रई को माध्यम बनाना पड़ता है ऐसे ही भगवान संसार में हर जगह व्याप्त हैं हमारे अंदर भी व्याप्त हैं लेकिन इनको प्रकट करने के लिए हमें भक्ति रूपी रई की आवश्यकता होती है जब हम इस भक्ति रूपी रई से अपने अंदर मंथन करेंगे तो भगवान की अनुभूति हमें अवश्य होगी
मीडिया प्रभारी महावीर समदानी ने जानकारी देते हुए बताया कि महाराज जी ने उद्धव चरित्र श्रवण कराया उद्धव जो बहुत बड़े ज्ञानी थे लेकिन जब यह वृंदावन गए वृंदावन में गोपियों ने उद्धव जी को भ्रमर गीत के माध्यम से प्रेम भक्ति का उपदेश दिया है क्योंकि बिना भक्ति के ज्ञान भी पूर्ण नहीं होता है कथा में आज कृष्ण रुक्मण की शादी का प्रसंग भी रहा क्षेत्र की महिलाएं कृष्ण रुक्मण भी बनकर कथा में आए