प्रदेश में व्यापक भ्रष्टाचार- मुक्त एवं जनहितकारी सुशासन की स्थापना लोकायुक्त को अधिक सशक्त करके ही किया जा सकता है:- कोठारी
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
भीलवाड़ा विधायक अशोक जी कोठारी ने विधानसभा में लोकायुक्त राजस्थान के प्रतिवेदन पर बोलते हुए कहा कि कुशासन एवं भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह है जो धीरे-धीरे राष्ट्र की नींव को नष्ट कर देता है व प्रशासन को अपना कार्य पूरा करने से रोकता है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए ‘‘दोषी लोकसेवक को दण्ड और निर्दाेष को संरक्षण‘‘ देने हेतु लोकायुक्त की स्थापना हुई है।
लोकायुक्त का पद बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसको प्रशासन के प्रहरी की संज्ञा भी दी गई है, जो कानून का उल्लंघन करने वालों को दण्डित कराने का कार्य करती है।, किंतु उक्त संस्था (लोकायुक्त) के कार्य क्षेत्र से अभी भी किंचित पदों पर आसीन पदाधिकारियों को जाँच के दायरे से बाहर रखा गया है।
विधायक कोठारी ने विधानसभा में लोकायुक्त को सशक्त बनाये जाने हेतु सरकार को विचार रखते हुए कहालोकायुक्त कार्य प्रणाली का व्यापक प्रचार प्रसार होना चाहिये, ताकि आमजन को जानकारी हो सके। किसी रिश्वत के मामले में लोकायुक्त संस्था को स्वयं संज्ञान लेते हुए संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिये। अन्य राज्यों की तरह राजस्थान लोकायुक्त को भी संपत्ति एवं दस्तावेज़ को सर्च एवं सीज हेतु वारंट जारी करने की शक्तियां प्रदान की जानी चाहिए।
महाराष्ट्र, उड़ीसा एवं केरल लोकायुक्त अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप राजस्थान लोकायुक्त द्वारा की गई जाँच उपरांत लोक सेवकों के संबंध सुधारात्मक सिफ़ारिशें भी बाध्यकारी की जानी चाहिए । आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और केरल में लोकायुक्त अधिनियम के समान राजस्थान में भी लोक सेवक को भी लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होना चाहिए।
विधायक कोठारी ने लोकायुक्त के दायरे को भी बढाने की भी बात की और कहा कि प्रदेश में कुशासन एवं भ्रष्टाचार मुक्त शासन हेतु सरपंच, उपसरपंच, नगरपालिका, नगर परिषद, नगर निगम व निकायों के पार्षद , सभापति, उपसभापति, महापौर, उप महापौर, व को-ऑपरेटिव सोसाइटी के प्रबंध निदेशक और सदस्य, तथा राज्य के विश्वविद्यालय के कुलपति रजिस्ट्रार व स्टाफ, व सरकार द्वारा वित्तपोषित समस्त प्रकल्प व उनके समस्त पदाधिकारीयों को भी शामिल किया जाना चाहिए, ताकि साफ़ स्वच्छ प्रशासन की स्थापना हो सके l लोकायुक्त का स्वयं का जाँच तंत्र विकसित करते हुए विशेष पुलिस दल का गठन किया जाना चाहिए।
लोकायुक्त में बहुत से परिवाद पर अभी तक सुनवाई भी नहीं हो रही है। वर्ष 2022-23 में केवल 43 फीसदी परिवाद ही सुने गए, जो बहुत कम हैं। इनके शीघ्र निस्तारण हेतु एक सिविल न्यायाधीश स्तर के अधिकारी को लोकायुक्त के सहायक रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए व प्रकरणों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए एक तकनीकी सेल भी होना चाहिए।
अंत में कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त एवं जनहितकारी सुशासन का सपना लोकायुक्त को अधिक सशक्त करके ही साकार किया जा सकता है।