सिंधी समाज द्वारा जल स्रोत की पूजा कर थधड़ी शीतला सप्तमी मनाई
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
शाहपुरा शाहपुरा जिला मुख्यालय पर क्षेत्र के सिंधी समाज द्वारा जल स्रोत की पूजा कर ठंडा बासी खाना खाकर बड़ी शीतला सप्तमी “थधड़ी”का त्यौहार मनाया जानकारी के अनुसार चेतन चंचलानी ने बताया कि शाहपुरा क्षेत्र के सर्वे सिंधी समाज द्वारा शीतला सप्तमी का त्योहार धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार मनाया घराें में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जिन्हे शीतला माता की पूजा के बाद ग्रहण किया महिलाओं द्वारा प्रातः काल जल्दी उठकर जल देवता व जलस्राेताें पर पहुंचकर जल देवता की आरती और पूजन किया तथा परिवार के सदस्यो के स्वस्थ एवं खुशहाल रहने की प्रार्थना की सिंधी समाज के घर घर में ‘थधड़ी’ पर्व मनाया गया। एक दिन पहले भोजन बनाया गया शीतला माता को भोग लगाकर वही ठंडा भोजन ग्रहण किया। पारंपरिक मान्यता को मानने वाले परिवारों में चूल्हा तक नहीं जलाया अगले दिन सुबह ही गरम भोजन बनेगा जल देवता, शीतला माता को प्रणाम करके एक दिन केवल ठंडा, बासी भोजन ग्रहण करने का संकल्प लिया गयाअब रात तक परिवार के सभी सदस्य ठंडा, बासी भोजन ही ग्रहण करेंगे।थधड़ी’ का अर्थ ठंडा या शीतलता प्रदान करने वाला सिंधी समाज की महिलाएं सुख, शांति और आरोग्यता तथा शीतलता प्रदान करने वाली देवी शीतला माता की विधिवत परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की आटे एवं बेसन की मीठी व नमकीन मोटी रोटी, धूली मूंग दाल की रोटी, पूड़ी, सब्जियों में करेला, भाटा, भिंडी, परवल, दही बड़ा, दही रायता, प्याज का रसदार अचार आदि व्यंजन बनाकर भोग लगाया चूल्हे को पीली मिट्टी से लीपकर एक दिन पहले रात्रि में भोजन बनाने के बाद चूल्हे को पीली मिट्टी से लीपकर एक कलश में जल भरकर चूल्हे की पूजा-अर्चना की गई। सुबह स्नान करके महिलाएं द्वारा जल से भरा कलश और व्यंजन की थाल लेकर शीतला मंदिर में पूजा की। पूजा का जल घर लाकर छिड़काव किया। जल को चूल्हे के अलावा पूरे घर में शीतला माता का जाप ‘ठार माता ठार पंहिजें बचिणन खे ठार’ का उच्चारण करते हुए छिड़का। परिवार में सुख, शांति ऐसी मान्यता है कि थधड़ी के दिन चूल्हा ठंडा रखकर ठंडा भोजन किया जिससे वर्ष भर सुख-शांति बनी रहती है, घर में कलह नहीं होता और लक्ष्मी का वास होता है। शीतला माता व अग्निदेव की कृपा बनी रहती है