*‼️कई अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त ने दर्ज़ किया मुक़द्दमा‼️*
_*करोड़ों की राशि का हुआ घोटाला? नापे जाएंगे कई अधिकारी!*_
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*भारत मे सौ स्मार्ट सिटी हैं। राजस्थान में मात्र चार । जयपुर,अजमेर,कोटा और उदयपुर। इन सब स्मार्ट शहरों में सबसे स्मार्ट शहर अजमेर है। यहां सड़कें स्मार्ट हैं! गलियां स्मार्ट हैं! कॉलोनी स्मार्ट हैं! पानी बिजली व्यवस्थायें स्मार्ट हैं! पुल!बाग़ बग़ीचे!झीलें!तालाब!अस्पताल!स्टेशन!बस स्टैंड! सब अन्य स्मार्ट शहरों की तुलना में बहुत ज़ियादा स्मार्ट हैं।*👍
*और तो और यहाँ के राजनेता स्मार्ट हैं! नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण स्मार्ट हैं! निगम के पार्षद और मेयर स्मार्ट हैं! ज़िला प्रशासन स्मार्ट है! इस शहर का हर काम स्मार्ट तरीकों से होता है। भ्रष्टाचार तक!*💯
*स्मार्ट सिटी माननीय प्रधानमंत्री ने क्या सोच कर बनाए यह तो वही जानें मगर अजमेर के सम्बंध में असलियत यही है कि अजमेर का चयन ही ग़लत हुआ। आज़ादी के बाद जिस शहर को राज्य की राजधानी बनाए जाने पर विचार हुआ हो! जो शिक्षा जगत की राजधानी कहा जाता रहा हो! जहाँ राज्य की पहली विधानसभा हो! रेलवे का जो सबसे पुराना गढ़ रहा हो! जहां से सम्राट पृथ्वीराज ने अपनी राजधानी बनाकर साम्राज्य चलाया हो! जहां मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों ने अपना स्वर्णिम समय बिताया हो। जहां शब्द भेदी बाण चलाने वाले धुरंधर रहे हों वहाँ स्मार्ट सिटी बंनाने की ज़रूरत ही कहाँ आन पड़ी थी❓❓*🤔
*अरबों रुपये पानी में मिलने से आखिर इस शहर को मिला क्या❓ये सीमेंट के जंगल! जिन्होंने शहर का हुलिया ही नहीं सेहत भी बिगाड़ कर रख दी। जितना यह शहर पहले स्मार्ट था उतना भी नही रहा।*🤨
*उदयपुर जाना हुआ। इन्ही दिनों। भारी बारिश में कहीं सड़कों पर पानी बहता नज़र नहीं आया। ड्रेनेज सिस्टम इतना बेहतरीन तो शायद ही किसी अन्य स्मार्ट सिटी का हो। सफ़ाई की बात की जाए तो उदयपुर का कोई मुक़ाबला नहीं। यहां नागरिकों को हर मूल भूत सुविधा प्राप्त है। झीलों की नगरी उदयपुर में दर्जनों झीलें हैं। सब बेहतरीन रखरखाव के कारण बेहद खूबसूरत नज़र आती हैं। किसी झील में पाथवे नहीं। किसी झील के भराव क्षेत्र में निर्माण नहीं। किसी झील में जलकुम्भी की खेती नहीं हुई। किसी झील में मछलियों का आखेट नहीं होता। बाज़ार बेहद व्यवस्थित हैं। स्टेशन और बस स्टैंड शानदार हैं। हवाई अड्डे का कोई मुक़ाबला नहीं। कुल मिलाकर यहां जितना पैसा स्मार्ट सिटी के तहत लगा उसका नब्बे प्रतिशत शहर के विकास में सुनियोजित तरीके से ख़र्च हुआ। राजनेताओं और जनता की जागरूकता ने यहाँ स्मार्ट सिटी से जुड़े अधिकारियों पर अंकुश बनाए रखा।*🙋♂️
*…..दूसरी तरफ कोटा में भी स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जितना पैसा लगा उसे सोच समझ कर ख़र्च किया गया। कोटा का रूप रंग ही बदल गया। उसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। नेताओं और प्रशासन को सलाम करने का मन होता है।*👍
*जयपुर और अजमेर दोनों ऐसे स्मार्ट सिटी रहे जहाँ की स्मार्टनैस देख कर आँसू बहाने का मन होता है। अजमेर देखने और घूमने आने वाले पर्यटक माथा पकड़ कर बैठ जाते हैं जब इस शहर के हालात देखते हैं। सड़कों पर स्वीमिंग पुल! इमारतों से फूटते झरने साफ़ नज़र आते हैं।*🙄
*यहां आपको बता दूं कि हाल ही में इस स्मार्ट सिटी के कलेक्टर सहित कई अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त ने संज्ञान लेते हुए मुक़द्दमा दर्ज़ कर जांच बैठा दी है।*💁♂️
*अजमेर शहर में एलिवेटेड रोड निर्माण परियोजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले में राजस्थान लोकायुक्त ने अजमेर और राजस्थान स्टेट रोड्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (RSRDC) अजमेर यूनिट के तीन प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया है।*🙋♂️
*प्रमुख आरोप क्या हैं आइए यह भी जान लिया जाए।*👇
*कार्य आदेश में घोटाला: RSRDC अजमेर ने M/S Symphonia & Graphicus Pvt. Ltd., जयपुर को अजमेर शहर में एलिवेटेड रोड के निर्माण के लिए ₹220 करोड़ का कार्य आदेश जारी किया था। यह काम अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के वित्त पोषण और आवश्यकता के आधार पर किया जाना था। यह परियोजना दो साल में पूरी होनी थी, लेकिन छह साल बाद भी काम पूरा नहीं हुआ है। इस दौरान ₹240 करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है, जबकि काम पूरा नहीं हुआ है। देरी की स्थिति में प्रति दिन 0.05% (₹22 करोड़ अधिकतम) की दंड राशि वसूलने का प्रावधान था, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।*🫢
*सरकारी जमीन का अवैध उपयोग: ठेकेदार ने बिना किसी कानूनी अनुमति के सरकारी ज़मीन का पांच साल से अधिक समय तक प्लांट और श्रमिकों के लिए उपयोग किया, जिससे सरकार को ₹15-20 करोड़ का नुकसान हुआ।*🤨
*फर्जी समय विस्तार: प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स द्वारा तीन बार फर्जी आधारों पर समय विस्तार दिए गए, जिसमें सरकार को ही देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। इसके परिणामस्वरूप न केवल दंड राशि की वसूली नहीं की गई, बल्कि ठेकेदार को ₹38 करोड़ की कीमत वृद्धि के रूप में अवैध भुगतान किया गया।*😣
*अवैध भुगतान: परियोजना के विभिन्न चरणों में कुल ₹100 करोड़ से अधिक की राशि का अवैध भुगतान किया गया। अक्टूबर 2022 में ही, ₹25 करोड़ का अवैध भुगतान किया गया, बिना किसी काम के।*🙄
*निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग: एलिवेटेड रोड को सीमेंट कंक्रीट से बनाना था, लेकिन इसे बिटुमिनस रोड में बदल दिया गया, जिससे करोड़ों रुपये का अवैध भुगतान हुआ। इसके अलावा, 880 मीटर लंबाई की चार लेन वाली सड़क के लिए 1140 मीटर का भुगतान किया गया और 1185 मीटर लंबाई की दो लेन वाली सड़क के लिए 1380 मीटर का भुगतान किया गया, जिससे क्रमशः ₹27.10 करोड़ और ₹10 करोड़ की धोखाधड़ी हुई।*🤨
*अन्य अनियमितताएं: परियोजना के वीडियो रिकॉर्डिंग और मासिक प्रगति रिपोर्ट्स को जानबूझकर नष्ट कर दिया गया, ताकि वास्तविक तथ्यों को छुपाया जा सके। इसके अलावा आवश्यक ड्रेनेज सिस्टम, सर्विस रोड और लाइटिंग जैसी सुविधाओं के लिए बिना काम किए ही करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया।*🫢
*इस परियोजना की देरी और अनियमितताओं के कारण पिछले छह वर्षों से मौजूदा सड़क बुरी तरह क्षतिग्रस्त है, जिससे जनता को भारी परेशानी हो रही है।*😯
*मित्रों! लोकायुक्त की जाँच पर यदि कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो तय है कई स्मार्ट अधिकारी जेल जाने को मज़बूर हो जाएंगे। नगर निगम के कई राजनेताओं की अक़्ल भी ठिकाने आ जाएगी।*💯