शाहपुरा जिले के 40 किसानों ने कैथून में लिया गौ आधारित कृषि प्रशिक्षण
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
विश्व विख्यात पवित्र तीर्थ स्थल श्री विभीषण जी की नगरी कैथून से तीन किलोमीटर आगे ,सांगोद सड़क मार्ग पर श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र कोटा (राज) पर पिछले 27 माह से निरंतर चले रहे 1 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शाहपुरा जिले के 13 गांव के 40 किसानों ने गौ कृषि आधारित प्रशिक्षण लिया । पर्यावरण गतिविधि प्रांत जन संवाद प्रमुख परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि अपना संस्थान भीलवाड़ा द्वारा किसानों को जैविक कृषि आधारित प्रशिक्षण के लिए गोयल संस्थान कोटा ले जाया जा रहा है जहां उन्हें गौ कृषि आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है । इस प्रशिक्षण के माध्यम से शाहपुरा जिले के गांवों में जैविक आधारित कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा ।
दल प्रभारी परमेश्वर कुमावत ने बताया कि भारत का पहला केन्द्र जहाँ सम्पूर्ण प्रशिक्षण सीधे खेत पर दिया जाता है, हर अनुसन्धान का जीवंत दृश्य खेत एवं लैब पर दिखाया जाता है, हर प्रयोग का प्रेक्टिकल करवाया जाता है । यहाँ जैविक कृषि के संबंध मे सम्पूर्ण व्यवस्था लैब और फिल्ड है । वहां हर प्रयोग को करने वाले सफल किसानों से रूबरू करवाया जाता है । सुबह 8.30 से ले कर शाम 6.00 बजे तक प्रशिक्षण चलता है ।
प्रशिक्षण में गो आधारित जैविक कृषि के लिए खाद बीज और दवा के संदर्भ मे यहाँ हुए गहन अनुसंधान से विकसित दुनिया की सबसे सरल कम्पोस्ट विधि, गोमूत्र चुना प्रयोग, ताज़ा गोबर रूपी संजीवनी के प्रयोग के बारे मे प्रेक्टिकल और सैद्धान्तिक दोनों तरीके से प्रशिक्षण दिया गया । शुद्ध आहार-स्वस्थ परिवार के ध्येय से मनुष्य को कैंसर, शुगर /मधुमेह( diabetes), उच्च रक्तचाप ( high blood pressure), ह्रदय रोग ( heart attack), लिवर और किडनी फ़ैल जैसी भयानक जानलेवा बीमारियों से स्वयं को दूर रखने के लिए आवश्यक सर्वोत्तम दवा के रूप में गो आधारित जैविक कृषि से पैदा अमृतमयी,गुणवता एवं पोषण मूल्यों से समृद्ध, स्वादिष्ट शुद्ध आहार की आवश्यकता है,
इसी चिंतन पर गो आधारित जैविक कृषि के माध्यम से एक बीघा(1620 वर्गमीटर )एक परिवार के 6 सदस्यों के आहार मे आवश्यक अनाज,दाल,तिलहन, सब्जी,फल,औषधि चारा फ़सल का उत्पादन एक गाय से कैसे करे। इस एक बीघा की बाड़ी रूपी पोषण वाटिका के मॉडल से पारिवारिक शुद्ध आहार की आत्मनिर्भरता एवं पारिवारिक आर्थिक आत्मनिर्भरता और उसके माध्यम से देश की आत्मनिर्भता प्राप्त करके पहले साल में 55-70 प्रकार की फसलों के उत्पादन का प्रशिक्षण स्वयं किसानों द्वारा प्राप्त करने के उद्देश्य को सामने रखकर उसे प्राप्त करने के लिए क्या कर सकते हैं, इस तकनीक के बारे में खेत पर खडे जीवंत मॉडल पर ही बैठ कर विस्तार से प्रशिक्षण दिया गया । इस एक दिवसीय प्रशिक्षण में कई प्रकार की औषधियां से युक्त पौधों पर छिड़काव के लिए घोल बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है इसके माध्यम से पौधों पर लगने वाले कीट पतंगों से फसल को बचाया जा सके । गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के डॉक्टर पवन टाक, मुकेश छांगी, योगेश सुमन, महावीर सुमन ने किसानों को प्रशिक्षण दिया । शाहपुरा क्षेत्र के सांगरिया, गढ़वालों का खेड़ा, खामोर, हनुतिया, निंबेडा, गोपालपुरा, देव खेड़ा, डाबला चांदा, डाबला कचरा, शाहपुरा के किसानों ने इस प्रशिक्षण में पूर्ण मनोयोग से भाग लिया । प्रशिक्षण दल में अनंत कुमार चौबे, मोहनलाल कुमावत, द्वारका प्रसाद प्रजापत, महावीर प्रसाद कुमावत, रवि शंकर उपाध्याय, सुरेंद्र कुमार शर्मा, महेंद्र कुमार गुर्जर, छोटू लाल कुमावत, शैतान सेन, भंवरलाल माली, सुरेश माली, बसंत कुमार वैष्णव, सुरेश घूसर, राजेंद्र बोहरा, देवराज कुमावत, नारायण लाल बोहरा ने दल के साथ भाग लिया ।