*🍁1️⃣0️⃣1️⃣ स्वास्थ्य के लिए 100 महत्वपूर्ण जानकारी:*
*🔹1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं हैं।*
*🔸2. *लकवा:* – सोडियम की कमी के कारण होता है।
*🔸3. *हाई वी पी में:* स्नान व सोनें से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी में डालकर स्नान करें।
*🔸4. *लो बी पी:* सेंधा नमक डालकर पानी पीयें।
*🔸5. *कूबड़ निकलनां:* फास्फोरस की कमी।
*🔸6. *कफ:* फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है, फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है।
*गुड़ व शहद खाएं*
*🔸7. *दमा, अस्थमा:* सल्फर की कमीं से होता है।
*🔸8. *सिजेरियन आपरेशन:* आयरन और कैल्शियम की कमी के कारण होते हैं।
*🔸9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबनें के बाद खायें।*
*🔸10. *अम्लीय वस्तुएं व फल: दिन डूबनें से पहले खायें।*
*🔸11. *जम्भाई:* शरीर में आक्सीजन की कमी।
*🔸12. *जुकाम:* जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें।
*🔸13. *ताम्बे का पानी:* प्रातःकाल खड़े होकर नंगे पाँव पानी नां पियें।
*🔸14. *किडनी:* भूलकर भी खड़े होकर गिलास से पानीं ना पियें पानी हमेंशां लोटे से पिएं।
*🔸15. *गिलास:* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है। गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है।
*🔸16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर:* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं।
*🔸17. *वास्तु:* के अनुसार जिस घर में जितनां खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतनां ही खुला होगा।
*🔸18. *परम्परायें:* वहीं विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं।
*🔸19. *पथरी:* अर्जुन की छाल के सेवन से पथरी की समस्यायें ना के बराबर होती है।
*🔸20. *RO:* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता। कुएँ का पानी पियें। बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहजन* की फली सबसे बेहतर है।
*🔸21. *सोकर उठते समय:* हमेशां दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।
*🔸22. *पेट के बल सोनें से:* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है।
*🔸23. *भोजन:* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।
*🔸24. *HDL:* बढ़नें से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा।
*🔸25. *गैस की समस्या:* होनें पर भोजन में अजवाइन मिलानां शुरू कर दें।
*🔸26. *चीनी:* के अन्दर सल्फर होता जो कि, पटाखों में प्रयोग होता है, यह शरीर में जानें के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खानें से *पित्त* बढ़ता है।
*🔸27. *शुक्रोज:* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान की बनाई हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज होता है।
*🔸28. *वात:* के असर में नींद कम आती है।
*🔸29. *कफ:* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।
*🔸30. *कफ:* के असर में पढाई कम होती है।
*🔸31. *पित्त:* के असर में पढाई अधिक होती है ।
*🔸32. भोजनांते विषमवारी:*
खानां खानें के तुरंत बाद में पानीं पीनां विष पीनें के समान है।
खानां खानें के डेढ घण्टे बाद में पानीं पिएं।
*🔸33. *आँखों के रोग:* कैट्रेक्टस, मोतियाबिन्द, ग्लूकोमा, आँखों का लाल होनां आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होते है।
*🔸34. *शाम को वात:* नाशक चीजें खानीं चाहिए।
*🔸35. *प्रातः 4 बजे जाग जानां चाहिए।*
*🔸36. *सोते समय:* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है।
*🔸37. *व्यायाम:* *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनीं चाहिए। *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनीं चाहिए।
*🔸38. *भारत की जलवायु:* वात प्रकृति की है, दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करनां चाहिए।
*🔸39. *जो माताएं:* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम ज्यादा जरुरी नहीं।
*🔸40. *निद्रा:* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांत होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है।
*🔸41. *भारी वस्तुयें:* शरीर का रक्तदाब बढाती है क्योंकि, उनका गुरुत्व अधिक होता है।
*🔸42. *दुनियां के महान:* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों।
*🔸43. *माँस खाने वालों:* के शरीर से अम्ल-स्राव करनें वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।
*🔸44. *तेल हमेशा:* गाढ़ा खानां चाहिएं सिर्फ लकड़ी वाली घाणी का, दूध हमेशां पतला पीनां चाहिए।
*🔸45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से:* कोलेस्ट्रोल हमेशां घटता है।
*🔸46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी:* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।
*🔸47. *मिर्गी दौरे:* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए।
*🔸48. *सिरदर्द:* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।
*🔸49. *भोजन के पहले:* मीठा खानें से बाद में खट्टा खानें से शुगर नहीं होता है।
*🔸50. *भोजन:* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें।
*🔸51. *अवसाद:* में आयरन , कैल्शियम, फास्फोरस की कमी हो जाती है। फास्फोरस गुड़ और अमरुद में अधिक होता है।
*🔸52. *पीले केले:* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है। हरे केले में कैल्शियम थोड़ा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है। हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकनें के बाद पीली हो जाती है जिसमें कैल्शियम अधिक होता है।
*🔸53. *छोटे केले:* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है।
*🔸54. *रसौली:* को गलानें वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं।
*🔸55. हेपेटाइट्स A से E तक के* लिए चूना बेहतर है।
*🔸56. *एंटी टिटनेस:* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे।
*🔸57. *ऐसी चोट:* जिसमें खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें। बच्चों को एक बूंद पानी में डालकर दें।
*🔸58. *मोटे लोगों में कैल्शियम:* की कमी होती है अतः त्रिफला दें। त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं।
*🔸59. *अस्थमा में नारियल दें:* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय होता है। दालचीनी + गुड़ + नारियल दें।
*🔸60. *चूना:* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है।
*🔸61. *दूध:* का सर्फेसटेंसेज कम होनें से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है।
*🔸62. *गाय का घी:* सबसे अधिक पित्तनाशक और कफ व वायुनाशक होता है।
*🔸63. *जिस भोजन:* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खानां चाहिए। *जैसे:- पोली हाउस में उगाई हुई सब्जियां।*
*🔸64. *गौ-मूत्र अर्क:* आँखों में ना डालें।
*🔸65. *गाय के दूध* में घी मिलाकर पीनें से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर पीनें से कफ बढ़ता है।
*🔸66. *मासिक धर्म के दौरान:* वायु बढ़ जाता है, 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोनां चाहिए इससे गर्भाशय फैलनें का खतरा नहीं रहता है। दर्द की स्थति में गर्म पानीं में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें।
*🔸67. *रात:* में आलू खानें से वजन बढ़ता है।
*🔸68. *भोजन के बाद:* वज्रासन में बैठनें से *वात* नियंत्रित होता है।
*🔸69. *भोजन:* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभनें चाहिए। बाल जल्द सफ़ेद नहीं होंगे।
*🔸70. *अजवाईन:* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है।
*🔸71. *अगर पेट:* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें।
*🔸72. *कब्ज:* होनें की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलनां चाहिए।
*🔸73. *श्रम कार्य:* के बाद थकनें पर या धातु गर्म होनें पर दायीं करवट लेटनां चाहिए।
*🔸74. *जो दिन में दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है:* उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है।
*🔸75. *बिना कैल्शियम:* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते हैं।
*🔸76. *स्वस्थ्य व्यक्ति:* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है।
*🔸77. *भोजन:* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे की संतुष्टि का संकेत है।
*🔸78. *सुबह के नाश्ते:* में फल , *दोपहर को:* दही व *रात्रि को दूध* का सेवन करनां चाहिए।
*🔸79. *रात्रि:* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए। *जैसे :- दाल, पनीर, राजमा, लोबिया आदि।*
*🔸80. *शौच और भोजन:* के समय मुंह बंद रखें, भोजन के समय टी वी ना देखें।
*🔸81. *मासिक चक्र:* के दौरान स्त्री को ठंडे पानीं से स्नान, व आग से दूर रहनां चाहिए।
*🔸82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है, वह उतनी देर से जाती भी है।*
*🔸83. *जो बीमारी अंदर से आती है, उसका समाधान भी अंदर से ही होनां चाहिए।*
*🔸84. *एलोपैथी:* ने एक ही चीज दी है, दर्द से राहत।
आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी, लीवर, आतें और हृदय ख़राब हो रहे हैं। एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है।
*अत: आयुर्वेद अपनाएँ*
*🔸85. *खानें* की वस्तुओं में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालनां चाहिए, ब्लड-प्रेशर बढ़ता है।
*🔸86 . *रंगों द्वारा चिकित्सा:* करनें के लिए इंद्रधनुष को समझ लें, पहले जामुनी, फिर नीला और अंत में लाल रंग।
*🔸87 . *छोटे बच्चों को:* सबसे अधिक सुलानां चाहिए क्योंकि, उनमें कफ प्रवृति होती है और स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करनां चाहिए।
*🔸88. *जो सूर्य निकलनें:* के बाद उठते हैं, उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है क्योंकि, बड़ी आँत मल को चूसनें लगती है।
*🔸89. *बिनां शरीर की गंदगी:* निकाले स्वस्थ्य शरीर की कल्पनां निरर्थक है।
*मल-मूत्र से 5%,*
*कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़नें से 22 %,*
तथा *पसीनां निकलनें लगभग 70 %*
शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं।
*🔸90. *चिंता, क्रोध, ईर्ष्या करनें से:* गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है। *जिससे: कब्ज, बवासीर, अजीर्ण, अपच, रक्तचाप, थाइराइड की समस्या उत्पन्न होती है।*
*🔸91. *गर्मियों में बेल, गुलकंद, तरबूज, खरबूजा* व *सर्दियों में सफ़ेद मूसली, सोंठ का प्रयोग करें।*
*🔸92. *प्रसव:* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है। बच्चों को टीके लगानें की आवश्यकता नहीं होती है।
*🔸93. *रात को सोते समय:* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा।
*🔸94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं:* हमें उपयोग करनां आनां चाहिए।
*🔸95. *जो अपनें दुखों को:* दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है, वही मोक्ष का अधिकारी है।
*🔸96. *सोनें से आधे घंटे पूर्व:* जल का सेवन करनें से वायु नियंत्रित होती है।
लकवा, हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है।
*🔸97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद:* पेशाब जानें से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
*🔸98 . *तेज धूप:* में चलनें के बाद, शारीरिक श्रम करनें के बाद, शौच से आनें के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है।
*🔸99. *त्रिफला अमृत है:* इससे *वात, पित्त और कफ* तीनों शांत होते हैं। इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना।
देशी गाय का घी, गौमूत्र भी त्रिदोष नाशक है।
*🔸100. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है:* जो प्रकृति ने हमें अनमोल दी है इसे नां थूकें।
*🔴अस्वीकरण*
*मैं अपनें किसी भी हेल्थ मैसेज का 100% सही होनें का दावा नहीं करता। इस टिप्स से काफी लोगों को फायदा हुआ है कृपया आप किसी भी हेल्थ टिप्स पर अपनें ऊपर प्रयोग करनें से पूर्व अपनें वैद्य से राय लेवें।*
*🍁राजीव जैन*
*अध्यक्ष*
*बाल सेवा समिति,भीलवाड़ा*
*94141-13203*