*बड़ी ख़बर*
*भीलवाड़ा में चली गोली*
*रोडवेज बस स्टैंड पर महिला को लगी गोली*
*घायल युवती का नाम गुमानपुरा कोटा निवासी रूमाना उम्र 24 साल बताई जा रही है*
*पकड़े गए आरोपित युवक ने खुद को दौसा हाल जयपुर निवासी लोकेश शर्मा बताया।*
*आरोपी ने बताया कि वो उसकी परिचित मांडल थाना इलाके की रानी नामक महिला को मारने के लिए गोली चलाई थी,लेकिन उसकी जगह गोली रूमाना को लगी*
भीलवाड़ा में आज जो हुआ, वह दिखाता है कि हमारी पुलिस व्यवस्था कितनी कमजोर है। एक व्यस्त रोडवेज बस स्टैंड पर, दोपहर के समय, एक युवक खुलेआम गोली चलाता है और किसी को भनक तक नहीं लगती? यह कैसे संभव है? टिकट खिड़की के पास एक युवती खड़ी है और उस पर अचानक हमला होता है। यह घटना बताती है कि सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। सबसे दुखद बात यह है कि जिस युवती, रूमाना, को गोली लगी, वह इस झगड़े में शामिल भी नहीं थी। आरोपी लोकेश शर्मा का असली निशाना कोई और महिला, रानी, थी। यह सुनकर और भी गुस्सा आता है कि एक बेकसूर लड़की को किसी और की दुश्मनी का शिकार होना पड़ा। उसकी रीढ़ की हड्डी में गोली लगी है और उसकी हालत नाजुक है। क्या पुलिस इस लापरवाही की जिम्मेदारी लेगी?
घटना के बाद लोगों का गुस्सा फूटा, यह स्वाभाविक था। जब पुलिस समय पर सुरक्षा नहीं दे पाती, तो लोग खुद ही इंसाफ करने पर उतर आते हैं। आरोपी को भीड़ ने पीटा, उसके कपड़े तक उतार दिए। यह दिखाता है कि लोगों का पुलिस पर से भरोसा उठ गया है। उन्हें लगता है कि अगर वे खुद कार्रवाई नहीं करेंगे, तो कुछ नहीं होगा। पुलिस जरूर मौके पर पहुंची और घायल युवती को अस्पताल पहुंचाया, आरोपी को हिरासत में लिया, लेकिन यह कार्रवाई घटना होने के बाद हुई। सवाल यह है कि घटना को होने से क्यों नहीं रोका जा सका? बस स्टैंड जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में पुलिस की गश्त क्यों नहीं थी? आरोपी ने पूछताछ में जो कहानी बताई है, वह और भी चिंताजनक है। वह रानी नाम की महिला को मारना चाहता था। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि रानी और लोकेश के बीच क्या संबंध थे और वह उसे क्यों मारना चाहता था। यह एक अलग आपराधिक मामला है, लेकिन इसने यह भी दिखाया कि अपराधी कितने बेखौफ हो गए हैं कि वे दिनदहाड़े, सार्वजनिक जगह पर, किसी को भी मारने की कोशिश कर सकते हैं। इस घटना ने भीलवाड़ा जैसे शहर में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। लोग अब अपने घरों से निकलने में भी डरेंगे। उन्हें लगेगा कि कहीं भी, कभी भी, कुछ भी हो सकता है। पुलिस को अब सिर्फ जांच करने का नाटक नहीं करना चाहिए, बल्कि ठोस कदम उठाने चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ानी होगी, गश्त तेज करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। यह सिर्फ एक खबर नहीं है, यह एक चेतावनी है। अगर पुलिस अब भी नहीं जागी, तो ऐसी दिल दहलाने वाली घटनाएं और भी होंगी और लोगों का भरोसा पूरी तरह से टूट जाएगा। भीलवाड़ा आज दहशत में है और इस दहशत को दूर करने की जिम्मेदारी पुलिस की है। उन्हें यह साबित करना होगा कि वे लोगों की सुरक्षा कर सकते हैं।