क्या गुल खिलाएगी कांग्रेस में गहलोत विरोधी दो नेताओं की गुफ्तगु और भाजपा में चार मार्च का तथाकथित शक्ति प्रदर्शन!
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*राष्ट्रीय हिंदी दैनिक खबर का असर*
राजस्थान में विधानसभा के चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे न केवल कांग्रेस में बल्कि भाजपा में भी संशय का माहौल बजे समाप्त होने के बढ़ता जा रहा है। इतना जरूर है कि कांग्रेस में पिछले 4 वर्षों से लगातार गहलोत और पायलट में शह मात का खेल खेला जा रहा है मगर अभी इसका परिणाम सामने नहीं आ पाया है। खुद आला कमान भी लगता है इस मामले में बेबस है इतना जरूर है कि 25 सितंबर की घटना के जिन तीन मुख्य किरदारों को पार्टी आलाकमान ने नोटिस देने के बाद उनकी जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया था उन्हें फिलहाल एआईसीसी द्वारा घोषित कुछ समितियों में स्थान नहीं देकर यह जरूर दर्शा दिया है कि पार्टी कभी भी कोई बड़ा एक्शन भी ले सकती है। इसी बीच रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने उद्बोधन में पार्टी में एकजुटता पर जोर डालते हुए कहा कि हमें एक दूसरे से शिकवे भुला कर पार्टी में एकजुटता के प्रयास करने चाहिए और केंद्र में सत्ता विरोधी सभी पक्षों को एक साथ लेकर अगले चुनाव की तैयारी करनी चाहिए।। संभवत उनका ज्यादा फोकस राजस्थान की राजनीति के सियासी संकट को लेकर रहा हो।। रायपुर अधिवेशन में ही गहलोत विरोधी दो बड़े नेताओं के एक साथ गुफ्तगू के फोटो वायरल होने के बाद में गहलोत पर कोई असर पड़ा हो या ना पढ़ा हो लेकिन आम कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि राजस्थान की राजनीति में शीघ्र ही कुछ नया परिवर्तन होने वाला है।। सभी को पता है कि सचिन पायलट और गहलोत के बीच कट्टर राजनीतिक दुश्मनी बरकरार है। यही नहीं किसी समय गहलोत की सरकार को संकट के समय राजस्थान के प्रभारी रहे अजय माकन के बैसाखी बनकर सहयोगी रहने के बाद राजस्थान की 25 सितंबर की घटना गहलोत अजय माकन के बीच जबरदस्त दूरियां बढ़ाने वाली साबित हुई। कल रायपुर में पायलट और अजय माकन की लंबी देर तक गुफ्तगू वाली फोटो कई तरह के संदेश दे रही है इसके साथ ही रायपुर अधिवेशन में ही केवल रामेश्वर डूडी को राजस्थान के नेता के रूप में बोलने का अवसर दिया जाना भी एक ओर सियासी संदेश दर्शाता है की राजस्थान में अब संभवत कुछ नया हो सकता है। अधिवेशन में मौजूद होने के बावजूद भी गहलोत को अधिवेशन के बाद बोलने का अवसर दिया जाना इसी को लेकर माना जा रहा है। दूसरी और बात करें भाजपा की राजस्थान भाजपा में भी पहले पर्दे के पीछे चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आती दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वैसे तो हर वर्ष 8 मार्च को ही अपना जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से मनाती रही है लेकिन इस बार होली पर्व के चलते राजे अपना जन्मदिन 4 मार्च को सालासर धाम में मनायेंगी जिसको लेकर राजे समर्थक जन्मदिन उत्सव की तैयारियों में जोर-शोर से जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में पेपर लीक मामले को लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा 4 मार्च को ही विशाल पैमाने पर विधानसभा का घेराव करने का ऐलान कर चुका है। भले ही यह दोनों प्रोग्राम अलग-अलग हो मगर इसको लेकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह भी राजे और उनके विरोधियों का एक शक्ति परीक्षण न हो। कुल मिलाकर भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही आने वाले दिनों में कौन कांग्रेस में और कौन बीजेपी में अग्रणी पंक्ति में खड़ा होगा यह सामने आ जाने की संभावना बनी हुई है। देखने वाली बात यह होगी कि होली के बाद क्या कुछ नया निकल कर आता है!