तपस्या केवल भूखे रहने का सिद्धांत ही नहीं है अपितु संस्कार विशुद्धि की अद्भुत कार्यशाला है : साध्वी प्रितीसुधा
अहिंसा भवन में साध्वी प्रितीसुधा के सानिध्य मे गुणगान से किया गया तपस्वियों का अभिनन्दन
भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) मोनु सुरेश छीपा तपस्या जीवन का श्रंगार है । तपस्या केवल भूखे रहने का सिद्धांत ही नहीं है अपितु संस्कार विशुद्धि की अद्भुत कार्यशाला है। तप का वास्तविक अर्थ आत्मा विजातीय तत्वों को दूर करना और मानव इंद्रियों को वश में करना हैं । तथा तप से शरीर में लाल कणों की वृद्धि होती हैं और व्यक्ति के जीवन मे रासायनिक परिवर्तन के साथ शरीर कुंदन बनता है। तप वो साधना है जिसे करने वाला मनुष्य परम् सिध्द प्राप्त कर सकता है वह तभी संभव हो सकता जब अपने मन पर अंकुश रखकर तप करें। यह बात साध्वी प्रितीसुधा ने तपस्वियों के तप की अनुमोदना करते हुये मंगलवार को अहिंसा भवन मे आयोजित धर्मसभा में कही। इस दौरान महासती उमराव कंवर, साध्वी मधुसुधा नवदिक्षीत साध्वी संयम सुधा, आदि सभी ने तप का महत्व बताया। अहिंसा भवन शास्त्री नगर के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल व अशोक पोखरना ने बताया दोपहिया अहिंसा भवन मे चंदनबाला महिला मंडल की अध्यक्षा नीता बाबेल, मंत्री रजनी सिंघवी एवं चंदनबाला महिला मण्डल ने तप की अनुमदना करते हुए वेरागन दिव्या बहन को चंदन, कुमकुम का तिलक लगाकर, माला व शाल पहनाकर खोल भरी। चौबीसी में श्रविकाओ ने बहुत गीतों से अनुमोदना की जैसे शासन रे स्थानक झूला डाल्या हे रिमझिम करता है जो मरा ज्ञान गुण सा, तपस्वी तेरी साता पूछूं मैं हर पल तेरे साथ रहूं मैं आदि गीतो के माध्यम से तप की अनुमोदना की इस अवसर पर अध्यक्ष नीता बाबेल, मंत्री रजनी सिंघवी, कोषाध्यक्ष सुनीता झामड़, संरक्षिका मंजु पोखरना , मंजु बाफना, सलाहकार उमा आँचलिया, सह मंत्री वंदना लोढ़ा, उपाध्यक्ष अंजना सिसोदिया, शिक्षा मंत्री सरोज मेहता, रश्मि लोढ़ा, स्नेहलता बोहरा, अन्नू बाफना, आशा रांका, प्रीति पोखरना, कविता नाहर, मीना कोठारी, प्रीति चोर्डिया, नीलू खटोड़, आदि सभी ने सामूहिक रूप से तपस्वियों का बहूमान करते हुये अभिनन्दन किया।