*”रोशनी” को “तरसता तिरंगा*
*सुशील चौहान*
भीलवाडा। देश की शान तिरंगा जो नेहरू गार्डन में लहराता है । हमेशा ही न्यास के *रहमो करम* या यूं कहे इनकी *अनदेखी* का *शिकार* रहा है।
अभी कुछ दिनों यानी आजादी की सालगिरह से कुछ दिन पहले ही यहां से *तिरंगा नदारद* था तो न्यास को याद दिलाया गया कि *कुछ याद इसे भी कर लो*। तो तिरंगा नए *सचिव साब* के *डर* से लग गया। लेकिन चापलूसी करने वाले इसकी मर्यादा का ध्यान नहीं रख पाए। अब तिरंगा जो रात में रोशनी से जगमगाता रहना चाहिए वह अंधेरे में लहरा रहा है जो इसकी मान मर्यादा के अनुकूल नहीं है।
नियमानुसार सार्वजनिक स्थान पर लगाएं गए तिरंगे पर रोशनी की माकूल व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन आजादी की सालगिरह से ठीक दो दिन पहले *मेरे द्वारा* ध्यान आकर्षित करने के बाद न्यास प्रशासन की ओर से तिरंगा फिर से लहराया गया। लगता हैं तिरंगा लहराने वालों ने नियमों पर ध्यान नहीं दिया और आनन फानन में तिरंगा लहरा दिया। नियमानुसार तिरंगे पर रोशनी की माकूल व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में तिरंगे पर रोशनी नहीं हैं। पूर्व में जब तिरंगा लहराया गया तो तिरंगे पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था