श्रीमद्भागवतगीता ,कर्म का संदेश देती है, इसका अध्ययन संस्कृत में करना चाहिए । = परमानन्द शर्मा ।
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गुलाबपुरा (रामकिशन वैष्णव) स्थानीय संस्कृत भारती द्वारा श्री राधाकृष्ण महाकालेश्वर मंदिर में गीता जयंती का उत्सव हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। स्वामी श्रीकष्णप्रेमानन्द सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में दीपप्रज्वलन एवं श्रीमद्भगवद्गीता गन्थ पूजन के साथ कार्यक्रम शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत बौद्धिक प्रमुख सत्यनारायण कुमावत ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा है कि श्रीमद्भगवद् गीता जीवन जीने की पद्धति सिखाती है। गीता का संदेश लोगों को भागने की शिक्षा नहीं अभी तो जागने की शिक्षा देता है। मानव श्रीमद् भगवद् गीता का अध्ययन कर अपने मानसिक विकारों को धोकर निर्मल होकर मोक्ष को प्राप्त करता है अतः श्रीमद्भगवद्गीता मोक्ष का साधन है। कार्यक्रम में संस्कृत भारती के प्रान्तमंत्री परमानन्द शर्मा ने कहा है कि श्रीमद्भगवद्गीता कर्म का संदेश देती है । हमें श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन उनकी मूल वाणी संस्कृत में ही करना चाहिए। यह तो गुलाबपुरा नगर में प्रत्येक रविवार को गीता शिक्षण केंद्र का संचालन किया जा रहा है जिसमें प्रत्येक महिला पुरुष आकर लाभ ले सकते हैं। स्वामी श्रीकृष्णप्रेमानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता के रहस्यों को प्रकट करते हुए धर्म और धर्म में भेद आते हुए पर धर्म को त्यागने एवं स्वधर्म को अपनाने की बात कही है। कार्यक्रम का संचालन शंकर लाल सेन जिला मंत्री संस्कृत भारती के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मंगलाचरण ललित कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत में गीता शिक्षण केंद्र संयोजक हिम्मत सिंह राठौड़ ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम में संस्कार भारती के अरुण कुमार शर्मा, जिला कार्यवाह कमल शर्मा, हेमंत कुमार शर्मा, समुद्र सिंह, फतेह लाल काठेड, माणक चंद नागर सहित मातृ शक्ति मौजूद थी।