*‼️राजस्थान की कांग्रेस राजनीति में सचिन गहलोत युग की समाप्ति‼️*🫢
_*हरीश चौधरी हो सकते हैं नेता प्रतिपक्ष!*_🙋♂️
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वदी*
*और लीजिये गहलोत और सचिन दोनों राजस्थान की सक्रिय राजनीति से बाहर।चुनाव में हार की वज़ह कुछ भी रही हों मगर यह तय है कि पब्लिक सचिन और गहलोत की आपसी मतभेद को हार का मुख्य कारण मान रही है। वैसे पब्लिक ग़लत भी नहीं है पूरे पांच साल कांग्रेस सरकार बाड़ों में बन्द रही। सचिन और गहलोत की बाड़ेबंदी से जब जब मंत्री बाहर निकले उन्होंने पब्लिक को दोनों हाथों से धोया, निचोड़ा और सुखाया।वाशिंग मशीन बन गई सरकार।एक तरफ गहलोत लोककल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से चुनावों में फिर से जीतने की ज़मीन तलाशते रहे उधर लगभग सभी मंत्री “दाम नाम की लूट है ,लूट सके तो लूट। अंत काल पछतायेगा राज जाएगा छूट।” के सिद्दांन्तों पर चलते रहे। अंधी कमाईं ने उनको अंधा कर दिया।*🥺
*ख़ैर! भाजपा को इसका फ़ायदा मिला। और अब जिस तरह भाजपा हाईकमान ने निष्ठुर मन से राजस्थान की तोपों को घर बैठा कर नए चेहरे खड़े कर दिए हैं उसी अंदाज़ में कांग्रेस ने भी राज्य के दिग्गजों को राज्य निकाला दे दिया है।फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि भाजपा ने राज्य के भारी भरकम नेताओं को बर्फ़ में लगा कर बदलाव किया जबकि कांग्रेस ने प्रमोशन देकर।*🤪
*अशोक गहलोत को राज्य की सत्ता से दिल्ली पहुंचाते हुए सभी विरोधी पार्टियों के संगठन से तालमेल बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी है । एलायंस कमेटी सदस्य की ज़िम्मेदारी दी है जबकि सचिन को केंद्रीय कार्य समिति का सदस्य बनाने के बाद अंततः राष्ट्रीय महामंत्री और छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया है।*😊
*सवाल उठता है कि इस नियुक्ति से पहले जो सोचा जा रहा था कि सचिन को प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी दी जाएगी उसका क्या होगा❓❓🙄*
*कौन संभालेगा प्रदेश अध्यक्ष का पद❓कौन होगा नेता प्रतिपक्ष❓* 😱
*मित्रों! यह तो तय हो गया है कि सचिन और गहलोत को केन्द्र की राजनीति में फिट कर दिया गया है। गहलोत को दिल्ली भेजे जाने के लिए जो ज़िम्मेदारी दी गई है वह उनके क़द से मेल नहीं खाती। एक तरह से यह उनके क़द को कतरने जैसी ही है। वह नेता जिसे चुनाव से पहले कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालने का प्रस्ताव रखा था उसके मुक़ाबले यह अलाएंस कमेटी सदस्य जैसा मामूली पद देना उनका अपमान ही माना जा सकता है मगर मित्रों! यह उनकी करनी का ही परिणाम है। सचिन को पेंदे बैठाने के चक्कर में उन्होंने राज्य में रहने के लिए 90 विधायकों के जिस तरह इस्तीफ़े दिलवाए उसके परिणाम यही आने थे।*💯
*आज गहलोत चुनाव हारने के बाद इसी लायक रह गए हैं। सचिन को तो फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी गई है। हो सकता है लोकसभा चुनावों से पहले उनको छत्तीसगढ़ के साथ राजस्थान का प्रभार भी दे दिया जाए।*😵💫
*जहाँ तक राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष का सवाल है पंजाब प्रभारी रहे हरीश चौधरी की राजस्थान वापसी हो चुकी है। वह पहले से ही ताल मेल बैठा रहे हैं। माना जा रहा है कि वह नेता प्रतिपक्ष बना दिये जाएंगे। राहुल गांधी के नज़दीकी होने का लाभ उनको मिलेगा यह भी लोग सोच रहे हैं।*😝
*जहाँ तक प्रदेश अध्यक्ष का सवाल है कोई नया चेहरा ही सामने आएगा। वर्तमान अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा का तो हाल यह है कि वह अभी तक पूरे राज्य में ज़िला इकाईयाँ भी घोषित नहीं कर पाए हैं। कार्यवाहक कार्यकारिणी ही औपचारिकता पूरी कर रही है। ऐसे में उनको अध्यक्ष बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं होगा। वैसे भी जातीय समीकरण बनाये रखने के लिए बदलाव ज़रूरी समझा जा रहा है।*👍
*बहुत जल्दी यदि कांग्रेस को बूथ लेबल तक पुनर्जीवित नहीं किया गया तो लोकसभा में शायद ही कोई सीट कांग्रेस को मिल पाए।दोस्तों! आज इतना ही।*🙋♂️