_*क्या मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार पांच साल चलेगी ?*_
4 जून से लेकर कल 7 जून को एनडीए संसदीय दल की बैठक होने तक मोदी के विरोधी यह कह रहे थे कि नायडू और नीतीश कुमार इंडी की तरफ चले जाएंगे और मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। यदि एनडीए की सरकार बनी भी तो आरएसएस मोदी को हटाकर गडकरी या शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री बना देगा। अब मोदी के धमाकेदार तरीके से एनडीए का सर्वसम्मत नेता बनने के बाद ये लोग कह रहे हैं कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 5 साल नहीं चल पाएगी। नायडू और नीतीश अपनी हिस्ट्री के अनुसार से फिर पलटी मारेंगे ।
एनडीए की यह सरकार पांच साल डंके की चोट पर चलेगी, इसके अपने कारण हैं :
भाजपा आज भी 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है और एक बड़ी पार्टी के रहते मिली जुली सरकार के स्थाई होने की संभावनाएं इंडी की तुलना में अधिक हैं। नीतीश नायडू और कोई भी पार्टी या सांसद नहीं चाहेगा कि वह दोबारा चुनाव में जाए । आजकल चुनाव इतने कठिन हो गए हैं कि जो व्यक्ति आज 2 लाख वोटों से जीता है, संभव है कि वह दो हफ्ते बाद चुनाव हो तो 2 लाख वोटों से हार जाए।बदले हुए समीकरणों के कारण ऐसा संभव है ।आजमगढ़ और रामपुर इसके उदाहरण हैं।
इससे भी महत्वपूर्ण एक और कारण है : बिहार में अब नीतीश कुमार का कोई खास वजूद नहीं है वह बिना भारतीय जनता पार्टी के सहयोग के बिहार में राजनीति नहीं कर सकते । एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार ने भी मोदी के पैर छुए । बिहार में चिराग पासवान एक दलित और पिछड़े वर्ग के मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं, जिनका संपूर्ण बिहार पर इतना प्रभाव है कि वह खुद भले ही मुख्यमंत्री न बन सकें लेकिन नीतीश कुमार की नैया डुबोने में वह अकेले ही सक्षम हैं । चिराग पासवान की पार्टी ने 5 प्रत्याशी खड़े किए थे और वह पांचों चुनाव जीत गए । चिराग पासवान ने स्वयं को कई बार मोदी का हनुमान कहा है। कल भी NDA की बैठक में उन्होंने नरेंद्र मोदी के पैर छुए और नरेंद्र मोदी ने उन्हें अनेक अवसरों पर अपने बेटे जैसा बताया है। एनडीए सरकार को मजबूत बनाने में चिराग पासवान एक ऐसा फैक्टर है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक अभी भी इग्नोर कर रहे हैं। ।
एनडीए सरकार के लिए दूसरा मजबूत पिलर है, पवन कल्याण ! आंध्र प्रदेश के इस फिल्मी हीरो की मध्यस्थता और इनीशिएटिव से ही चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी और भाजपा में समझौता हुआ। पवन कल्याण की जनसेना पार्टी ने विधानसभा में 21और लोकसभा में दो उम्मीदवार खड़े किए और यह सभी जीत गए। पवन कल्याण कोपा जाति से आते हैं जो अब तक टीडीपी को वोट नहीं देती थी । पवन कल्याण की वजह से नायडू को 18% कोपा तथा युवाओं के एक बड़े वर्ग का समर्थन मिला, जिससे नायडू को भारी सफलता मिली। ऐसे में नायडू के पास पवन कल्याण से पंगा लेने का कोई औचित्य नहीं है और पवन कल्याण फैक्टर की वजह से नायडू NDA जुड़े रहेंगे ।
भाजपा किसी भी स्थिति में होम, फाइनेंस, रक्षा, विदेश जैसे महत्वपूर्ण विभाग किसी अन्य पार्टी को नहीं देगी। हां, रेल मंत्रालय नीतीश कुमार की पार्टी को जा सकता है । नायडू को भी शहरी विकास या स्वास्थ्य जैसा कोई महत्वपूर्ण विभाग मिल सकता है ।
कुल मिलाकर यह चुनाव नरेंद्र मोदी का रिजेक्शन नहीं है वरन उन्हें सबका साथ लेकर चलने की सलाह के साथ मतदाता ने दोबारा सिंहासन सौंपा है ।
_चलते चलते :_ हालांकि हिमाचल छोटा राज्य है और यहां मात्र चार लोकसभा संसदीय क्षेत्र हैं लेकिन हिमाचल की भाजपा की जीत में (जहां युवा अग्नि वीर योजना और कर्मचारी ओल्ड पेंशन योजना लागू न करने के कारण नाराज थे) कंगना रनौत का बड़ा हाथ है।
_वेद माथुर_