बछ बारस, गोवत्स द्वादशी पर पुत्र की लंबी आयु के लिए रखा व्रत।
महुआ (महावीर वैष्णव)कस्बे सहित क्षेत्र में बछ बारस गाय माता की पुजा विधि विधान से की गई। विश्व हिंदू परिषद दुर्गा वाहिनी प्रांत छात्रा प्रमुख सीमा पारीक ने बताया धार्मिक मान्यतानुसार बछ बारस या गोवत्स द्वादशी व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। अत: भारत के अधिकांश हिस्सों में भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। पुराणों में गौ माता या गाय के प्रत्येक अंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। इस दिन कई महिलाए उद्यापन करती है कुछ स्थानों पर लोग गाय के सींगों को सजाते हैं और तांबे के पात्र में इत्र, अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर गौ का प्रक्षालन करते हैं। – गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं। – इस दिन पूजा के बाद गाय को उड़द से बना भोजन कराएं। – मोठ, बाजरा पर रुपया रखकर
अपनी सास को दें। कार्यक्रम में
राधा बसिटा, सोनू कवर, संतोष बसीटा, ममता कवर, सुशीला जाट, सुनीता मेघवंशी, अनिता वैरागी, सपना सोलंकी, सुरमा लोहार, समध कवर, अनुराधा, रीना, रेखा, रीना कवर, शीतल सेन , रामकन्या मीणा, कांता शर्मा,मीनाक्षी सोनी,रेखा शर्मा,हेमलता वैष्णव,कृष्ण चौहान,रिंकू पारीक,सहित आदि महिलाए उपस्थित रहे।