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जैसे राजस्थान में कांग्रेस हाईकमान को अशोक गहलोत ने ब्लैकमेल किया वैसे ही हरियाणा मे भूपिंदर सिंह हुड्डा ने किया, इसलिए हरियाणा में भाजपा की तीसरी बार सरकार।
वेणुगोपाल जैसे नेताओं पर चमड़ी दगड़ी तक के आरोप लगे।
हिन्दू बाहुल्य जम्मू में कांग्रेस को दस सीटों पर बढ़त, लेकिन मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में भाजपा को एक भी सीट पर बढ़त नहीं।
हरियाणा के नतीजे महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के चुनावों पर असर डालेंगे।
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8 अक्टूबर को हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनावों के जो नतीजे घोषित किए जा रहे है, उनमें हरियाणा की 90 में से 50 सीटों पर भाजपा को तथा 35 सीटों पर कांग्रेस की बढ़त दिख रही है। इसी प्रकार जम्मू कश्मीर की भी 90 सीटों में से कांग्रेस और एनसी के गठबंधन को 50 तथा भाजपा को 28 सीटों पर बढ़त है। इस बढ़त को देखते हुए प्रतीत होता है कि हरियाणा में भाजपा और जम्मू कश्मीर में कांग्रेस व एनसी के गठबंधन की सरकार बनेगी। पहले बात हरियाणा की 5 अक्टूबर को मतदान के बाद न्यूज चैनलों के जो सर्वे आए उनमें कांग्रेस की सरकार बनने का अनुमान लगाया, लेकिन 8 अक्टूबर को नतीजों ने न्यूज चैनलों के अनुमान को झूठा बता दिया। हरियाणा के इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी एक दल की लगातार तीसरी बार सरकार बन रही है। इतिहास बनाने के लिए पहले मनोहर लाल खट्टर को हट कर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बना दिया। भाजपा ने जो प्रयोग किया वह चुनाव में सफल रहा। पूरा चुनाव सैनी के नेतृत्व में लड़ा गया। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए हरियाणा का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि हरियाणा देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ा हुआ है और दिल्ली की सीमा में घुसने के लिए पंजाब की सीमा पर किसानों के समर्थन में धरना दिया जा रहा है। हरियाणा की पुलिस ने ही पंजाब के लोगों को रोक रखा है। यदि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती तो आम आदमी पार्टी शासित पंजाब के लोग दिल्ली में घुस जाते। हरियाणा पुलिस के कदम पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कोई रोक नहीं लगाई। अब जब हरियाणा में तीसरी बार भाजपा की सरकार बन रही है तब राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी राहत की सांस ली है। इसमें कोई दो राय नहीं की हरियाणा में जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी। यदि हरियाणा में भाजपा की हार होती तो राहुल गांधी कहते कि यह मोदी की हार है। सवाल उठता है कि आखिर हरियाणा में कांग्रेस की हार क्यों हुई? हरियाणा की राजनीति को समझने वालों का निष्कर्ष है कि जिस प्रकार राजस्थान में मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने कांग्रेस हाईकमान को ब्लैकमेल उसी प्रकार प्रकार हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने टिकट बंटवारे के समय हाईकमान को ब्लैकमेल किया। 90 में से 60 टिकट हुड्डा ने अपने समर्थकों को दिलवाए। हाईकमान खासकर गांधी परिवार के सामने यह तस्वीर रखी गई कि यदि हुडा को नाराज किया गया तो हरियाणा में कांग्रेस की जीत नहीं होगी। हुडा की राजनीतिक ब्लैकमेलिंग के सामने हाईकमान को झुकना पड़ा। यही वजह रही कि दलित समुदाय की दमदार नेता कुमारी शैलजा ने प्रचार में को सक्रिय भूमिका नहीं निभायी। शैलजा ने कहा कि मेरा दिल बड़ा है लेकिन दुखता भी बहुत है। शैलजा के इस बयान से दलित समुदाय के वोट कांग्रेस से अलग हो गए। चुनाव प्रचार के दौरान ही कांग्रेस के संगठन केसी वेणुगोपाल पर चमड़ी दमड़ी के हासिल करने के गंभीर आरोप भी लगे । मालूम हो कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री बने रहने के लिए हाई कमान से बगावत कर दी थी। गहलोत की वजह से राजस्थान में कांग्रेस के जो हालात हुए वैसे ही हालात हुडा की वजह से हरियाणा में देखने को मिल रहे है। अब कांग्रेस की राजनीति में गहलोत जो स्थिति है, वैसी ही हरियाणा में हुड्डा की नजर आएगी। जिसे प्रकार राजस्थान में सचिन पायलट को महत्व मिला हुआ है उसी प्रकार हरियाणा में कुमारी शैलजा का प्रभाव देखने को मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर में उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं:
अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद भाजपा को उम्मीद थी कि जम्मू कश्मीर में भाजपा को सफलता मिलेगी, लेकिन घोषित हो रहे नतीजों के अनुसार भाजपा को 90 में से 28 और कांग्रेस, एनसी के गठबंधन को 50 सीटें मिलती नजर आ रही है। इन नतीजों की खास बात यह है कि हिन्दू बाहुल्य जम्मू क्षेत्र की 43 सीटों में से कांग्रेस के गठबंधन को 11 सीटें मिल रही है जबकि मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर घाटी की 47 सीटों में से एक भी सीट पर भाजपा की बढ़त नहीं है। 370 के हटने के बाद घाटी में न केवल पर्यटन बढ़ा के ब्लकि कश्मीरियों को अधिकार भी मिले। आरक्षण से वंचित जातियों को आरक्षण का लाभ भी मिलने लगा। खुद कश्मीरी मानते है कि 370 के हटने के बाद खुशहाली आयी, लेकिन इस बदलाव का श्रेय कश्मीरियों ने भाजपा को नहीं दिया। घाटी के मुस्लिम मतदाताओं ने उसी नेशनल कॉन्फ्रेंस को जिताया, जिसने घोषणा कर रखी है कि सरकार बनने पर विधानसभा में पहला प्रस्ताव अनुच्छेद 370 की बहाली का किया जाएगा। यह प्रस्ताव कितना प्रभावी होगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश है और शासन को चलाने में उपराज्यपाल की महत्वपूर्ण भूमिका है। यानी जो स्थिति दिल्ली की है, वही स्थिति जम्मू-कश्मीर की भी है। एनआरसी, कांग्रेस की सरकार बनने पर उपराज्यपाल के साथ तक टकराव की भी आशंका है।
नतीजों का असर:
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के नतीजों का असर इसी वर्ष होने वाले महाराष्ट्र व झारखंड तथा अगले वर्ष दिल्ली के चुनावों पर भी पड़ेगा। हरियाणा में अरविंद केजरीवाल की पार्टी 28 के उम्मीदवार भी खड़े हुए थे, लेकिन केजरीवाल की पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली है। हरियाणा में केजरीवाल का कांग्रेस के साथ गठबंधन भी नहीं हो सका था। हरियाणा के नतीजों से भाजपा के नेता उत्साहित हैं। भाजपा को अब महाराष्ट्र और झारखंड में भी जीत की उम्मीद है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-10-2024)
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