
*‼️सरकारी सिस्टम पर डाका,*
*मौज़ कर रहे हैं आक़ा‼️*😇
_*रिश्वतखोर ! ए सी बी की उड़ा रहे हैं खिल्ली!*_🫢
*✒️सुरेन्द्र चतुर्वेदी*
*राजस्थान में सरकार के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी ए सी बी पर शानदार दबदबे के साथ भारी पड़ रहे हैं। रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाते हैं और रिश्वत लेकर देकर अपनी नौकरी बरक़रार रखते हैं। सरकारें आती जाती रहती हैं मगर इनके दबदबे पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। और तो और निकायों में महत्वपूर्ण पदों पर क़ाबिज़ रहने वाले नेता भी इसी तकनीक से भ्रष्ट आचरण करते रहते हैं मगर जब एसीबी के हत्थे चढ़ जाते हैं तो किसी न किसी तरह का जुगाड़ बैठा कर ऊपर से अपनी फाइलों को दफ़नाए रखते हैं। ऊपर भी सब व्यवस्थाओं का ही खेल है।*💁♂️
*राज्य में सरकार भाजपा की रही हो या फिर कांग्रेस की! पिछले 10 वर्षों में दोनों ही पार्टियों के राज में रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामलों में आरोपियों को दिल खोलकर बचाया गया । यहां तक की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ! कांस्टेबल! परिचालक! पटवारी! सभी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) पर भारी पड़े।*🙋♂️
*गौर करने वाली बात है कि सरकारी विभागों के मुखियाओं ने ही रिश्वत लेते पकड़े गए कर्मचारियों को बचा लिया। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, कांस्टेबल, परिचालक, पटवारी की अभियोजन स्वीकृति देने से ही इनकार कर दिया।*🫢
*समझदार को इशारा ही काफी है। मतलब छोटे की अभियोजन स्वीकृति दी गई तो बड़े अधिकारियों की पोल खुल जाएगी। इससे यह भी जाहिर होता है कि ए सी बी के लिए रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने वाले अधिकारियों की अब अभियोजन स्वीकृति मिलना कितना मुश्किल है।लगभग नामुमकिन।*❌
*इसके लिए मैंने अपने एक उच्चाधिकारी मित्र के माध्यम से सरकारी आंकड़ों में घात लगाई। फ़ाइलें खंगाली तो पता चला कि बेचारी ए सी बी द्वारा पकड़े गए नब्बे फ़ीसदी मामले फ़ाइलों में ही दबे हुए हैं। ए सी बी किस तरह से कार्रवाई करती है चलिए पहले यह बता दूं। रिश्वत लेने या देने वाले वालों को रंगे हाथों पकड़ना या फिर रिश्वत देने वाले की शिकायत पर भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारी या उनके दलाल पर रेड पड़ती है । ए सी बी आय से अधिक संपत्ति की जानकारी इकट्ठी कर छापे की कार्रवाई करती है । किसी विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर नए कानून के तहत उसे विभाग के मुखिया से जांच करने की अनुमति मिलने पर ही दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सकता है। इसके तहत अधिकांश पद के दुरुपयोग के मामले आते हैं।*🤷♂️
*यहां आपको जानकारी दे दूं कि कार्मिक विभाग हो या फिर स्वायत शासन या हो राजस्व विभाग ! इन्ही में सबसे अधिक मौज़ है!*🙋♂️
*कार्मिक विभाग ने वर्ष 2014 से 2018 तक 72 और वर्ष 2019 से 2023 तक 41 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर बचाया गया।*😯
*इसी प्रकार स्वायत शासन विभाग ने वर्ष 2014 से 2018 तक 68 और वर्ष 2019 से 2023 तक 76 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया।*🫢
*वर्ष 2024 में सहकारिता विभाग ने 15, स्वायत शासन ने 14 , पंचायती राज ने 10 ,खनिज ने 8, श्रम और नियोजन केंद्रीय व राजस्व ने पांच- पांच भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया।*😱
*एसीबी ने भी इनमें से कई अधिकारियों की अभियोजन स्वीकृति के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवी सी ) को पत्र लिखा है लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं दिया गया ।*😳
*अब मैं आपको बता दूं किस सरकार ने कितनों को बचाया❓*👇
*प्रदेश में वर्ष 2014 से 2018 तक भाजपा की सरकार थी। इस सरकार की अवधि में 328 भ्रष्टाचारियों को बचाया गया।* 😨
*इसके बाद वर्ष 2019 से 2023 तक कांग्रेस की सरकार रही। कांग्रेस की सरकार के राज में भी 327 भ्रष्टाचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से इनकार कर उन्हें बचाया गया ।*😯
*अब गत एक वर्ष में 68 अधिकारियों कर्मचारियों की अभियोजन स्वीकृति देने से मना कर दिया गया है। इससे कोर्ट में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा और वह निश्चित रूप से बच जाएगा।*💯
*यहाँ सवाल उठता है कि जब सरकार की नीयत ही भ्रष्टाचारियों का साथ देने की है, तो नैतिकता की उम्मीद रखना ही बेकार है। सरकारों की सरपरस्ती में ही जब खुले आम भ्रष्टाचार हो रहा हो ! तो सरकार ने यह भ्रष्टाचार निरोधक विभाग आखिर खोल ही क्यों रखा है❓क्यों इतनी बड़ी राशि कर्मचारियों के वेतन पर खर्च की जाती है❓*😣
*यदि भ्रष्टाचारियों को बचाना ही है तो उन्हें खुलेआम भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस दे दिया जाना चाहिए! उन्हें खुला छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे जिस तरह चाहें जनता को लूटें!*🤨
*मित्रों! सरकारें कितना भी बदलें उनके सिर्फ़ चेहरे बदलते हैं चरित्र नहीं! और अंत में जाते जाते यह भी बता दूं कि अजमेर ज़िले के 13 भ्रष्टाचारियों की फाइलें अभियोजन स्वीकृति के अभाव में धूल चाट रही है इनमें दद्दू और चंपत भय्ये की भी फ़ाइलें हैं!*🫢