
हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी और विद्यादायिनी मां सरस्वती का प्राक्टयोत्सव मनाया………………
✍️ *मोनू नामदेव।द वॉयस ऑफ राजस्थान 9667171141*
शाहपुरा सदर बाजार स्थित भगवान श्री गोविंददेव जी के मंदिर मे प्रातःकालीन सत्र मे ऋतुराज बसंत पंचमी और वीणावादिनी ,,सरस्वती माता का प्राक्टयोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।पुजारी पंडित महावीर प्रसाद शर्मा ने ऋतुराज बसंत का विवेचन करते हुए बताया कि,,,,ऋतुराज परिवर्तन का प्रतीक है।प्रकृति पुराने पत्रो को त्याग कर नव श्रंगार करती है,,,,बसंत की बयार,,,कोयल की कूक हृदय को प्रफुल्लित कर देती है।यह इस बात का प्रतीक है कि जीवन मे निराशा,हताशा,,,ओर आजकल चर्चित टेंशन को हटाए ,,नकारात्मकता की सोच को बदले और खुशियां,, आनंद ,सकारात्मक सोच अपनायें,,,,जीवन बसंत की तरह लह लहा उठेगा।,,,,,,,, आज विद्यादायिनी माता सरस्वती का प्राक्टयोत्सव दिवस भी है।माता सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी है,चतुर्भुज रुप से अलंकृत है।माता सरस्वती के एक हाथ मे पुस्तक है,,,,जो ग्यान का ,,,,,,एक हाथ मे माला,,,,,भक्ति का प्रतीक, और दोनो हाल मे वीणा,,संगीत की मधुर तान का प्रतीक है।इस का तात्पर्य है हमारे जीवन मे ग्यान,,,,ईश्वर भक्ति ,,,और संगीत की तरह मधुरता होनी चाहिए। इस अवसर पर मां सरस्वती की वंदना और भजन भक्त जनों द्वारा प्रस्तुत किए गए।