*🍁2️⃣1️⃣3️⃣ गले में छाले, टाॅन्सिल में सूजन, एसीडिटि, यकृत सम्बन्धित रोग और आमाशय में घाव होने पर मैथीदाना से इलाज:*
*🔸गले में छाले में हो जाने पर:*
*1 किलो पानी में 2 चम्मच दाना मैथी डालकर हल्की आग पर अच्छी तरह उबलनें पर पानी को छान लें, इस पानी से गरारे करनें से गले के छाले दूर हो जाएंगें।*
*टॉन्सिल्स में सूजन हो या वे पक गये हों तो वे भी ठीक हो जाते हैं। मसूड़ों में से खून आता हो तो खून निकलना बंद हो जाता है।*
*🔸अम्लपित्त ( एसिडिटि ):* *100 मिलीलीटर मेथी के पत्तों का रस और इतना ही पानी मिलाकर पीने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) में लाभ होता है।*
*🔸यकृत से सम्बंधित रोग:*
*यकृत (जिगर) की कार्यक्षमता में वृद्धि करनें के लिए सुबह नाश्ते में उबले हुए मैथी के बीजों को खानें से आराम मिलता है। यह अपच (भोजन का न पचना) को भी दूर करता है।*
*🔸आमाशय में घाव होने पर:*
*2 चम्मच दाना मैथी को 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाये तो पानी को छानकर पियें तथा उबली हुई मैथी खायें। चाय की तरह गर्म-गर्म यह काढ़ा दिन में 3 बार, सुबह नाश्ते से आधा घंटे पहले, दोपहर में भोजन से आधा घण्टे पहले और रात में सोने से आधा घंटा पहले लेनें से लाभ होता है। यदि पीने में कठिनाई हो तो इसमें थोड़ा गर्म दूध और देशी खांड़ मिलाकर चाय के रूप में भी लिया जा सकता है। 1 सप्ताह से लेकर 1 से 2 महीनें तक इसका सेवन करनें से लाभ मिलता है।*
*🔸स्वभाव: मेथी (methi) खानें में गर्म होती है।*
*🔴हानिकारक:*
*जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना (नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आनां और कई दिनों तक आते रहनां आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करनां चाहिए। मेथी की तासीर गर्म होती है अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करनां अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खानें से पित्त बढ़ता है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करनां चाहिए।*
*🔴अस्वीकरण*
*मैं अपनें किसी भी हेल्थ मैसेज का 100% सही होनें का दावा नहीं करता। इस टिप्स से काफी लोगों को फायदा हुआ है। कृपया आप किसी भी हेल्थ टिप्स पर अपने ऊपर प्रयोग करनें से पूर्व अपने वैद्य से राय लेवें।*
*🍁राजीव जैन*
*अध्यक्ष*
*बाल सेवा समिति, भीलवाड़ा*
*94141-13203*