जगतगुरु रामदयाल जी महाराज की जन्मस्थली इंदौर में होगा चातुर्मास पांच दिवसीय फूलडोल महाकुंभ महोत्सव संपन्न
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
शाहपुरा भीलवाड़ा अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय का रामनिवास धाम में आयोजित पंच दिवसीय फूलडोल महोत्सव पाचा का थाल एवं अभिजीत मुहूर्त में चिट्ठियों के वाचन के पश्चात वर्तमान आचार्य जगतगुरु श्री राम दयाल जी महाराज ने इंदौर में चतुर्मास करने की घोषणा की और इंदौर के भक्त और श्रद्धालुओं को गोटकाजी प्रदान किया जिसकी शोभायात्रा निकाली गई जानकारी के अनुसार लगभग तीन दशकों से रामनिवास धाम में आयोजित एकम से लेकर पंचमी तक चलने वाला पांच दिवसीय फूलडोल महाकुंभ महोत्सव शांति सद्भावना और राम नाम के जयकारों के साथ संपन्न हो गया महाकुंभ फूलडोल महोत्सव मैं इस बार छह दिवसीय मेला आयोजित किया गया जिसमें लाखों भक्त और श्रद्धालुओं ने भारतवर्ष के दूरदराज से आकर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के रामस्नेही अनुयायो ने राममय होकर मेले का हिस्सा बने एवं श्री 1008 रामचरण जी महाराज ,संतों एवं वर्तमान आचार्य रामदयाल जी महाराज से आशीर्वाद लिया एवं अपनी मनोकामना का धागा स्तम्भ जी के परिसर में लटकाया अपने बच्चों का तुलादान मुंडन संस्कार आदि विधिवत किए एवं राम मेडिया से ग्यारस एवं एकम से लेकर पंचमी तक थाल की शोभा यात्रा का हिस्सा बने एवं धर्म सभा में संतो द्वारा धार्मिक ज्ञानवान प्रवचनों का लाभ लिया आचार्य के चरण राज एवं पाद प्रक्षालन केसर से किए एवं राम नाम का पवित्र अक्षर अंकित किया और विधिवत कपूर से आरती की परंपरा निभाई एवं रामचरण जी महाराज द्वारा अमूल्य वचनों का वाणीजी के माध्यम से पाठ किया एकम से पंचमी तक पूरा शाहपुरा नगर एवं क्षेत्र राममय में हो गया राम नाम के जयकारों से आकाश गुंजायमान रहा सवेरे 5बजे से रात्रि 12बजे तक रस्मो रिवाज पौराणिक परंपरा के अनुसार धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए रामनिवास धाम द्वारा श्रद्धालु और भक्तों के लिए ठेहरने खाने पीने की व्यवस्था की गई इस महाकुंभ में नगर पालिका प्रशासन एवं जिले के उच्च अधिकारियों नेताओं एवं रामस्नेही कार्यकर्ताओं ने पांच दिवसीय फूलडोल महाकुंभ महोत्सव मैं अपनी सेवाएं प्रदान की मेले में हजारों अस्थाई दुकाने एवं झूले चकरी डोलर सांस्कृतिक कार्यक्रम भजन संध्या कवि सम्मेलन एवं विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई गौरतलब है कि फूलडोल महोत्सव 25 दिवस का होता है लेकिन मुख्यतः एकम से पंचमी तक का विशेष महत्व होता है