अच्छे संस्कारों और सदाचार से ही अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है:सन्त निर्मल राम
✍️ *मोनू सुरेश छीपा*
*द वॉइस आफ राजस्थान*
भीलवाड़ा लोकसभा के शाहपुरा जिले के आमली बारेठ में आयोजित हरिबोल प्रभातफेरी को संबोधित करते हुए संत संत निर्मल राम महाराज ने कहां कि जन्म जरा-मृत्यु की परंपरा ही संसार है आत्मा में एक कषाय मै से दूसरे कषाय में जाना,एक विभाव से दूसरे विभव मैं जाना यह भीतरी संसार है क्रोध,लोभ, मान, माया ईर्ष्या, आसक्ति यह सभी भीतरी संसार है इन्ही के कारण आत्मा को ब्रह्म संसार मे भटकना पड़ता है संत ने कहा कि संसार ही समस्या है इसलिए संसार ही नही चाहिए। सारा संसार दुःखमय है इसलिए ज्ञानी पुरुष कहते है कि संसार असार है यहा दुःख के अलावा दूसरा कुछ नही है थोड़ा कुछ सुख दिखाई दे रहा है वह भी हमारी भांति है सुख तो एक मात्र ईस्वर की भक्ति से मोक्ष में है संत ने कहा कि संसार आगे है सांसारिक जीवन में शीतलता की अनुभूति नहीं होती इसके विपरीत संयम वह बाग है जहां शांति व शीतलता का अनुभव किया जा सकता है।संसार यक्ति को धोखा देता है सन्त और सत्संग आत्मिक आनंद में जाने का मौका देते हैं असंयम मौत है तो संयम में समाधि व समाधान है।वर्तमान संसारी जीवन मे व्याप्त दुर्गुणों व्यसनों व बुरे विचारों की तरफ से सावधान करते हुवे सन्त ने कहा कि अच्छे संस्कार व सदाचार को अंगीकार करना होगा तभी हम अच्छे समाज का निर्माण कर पाएंगे इस दौरान संतराम विशवास रामस्नेही इंजीनियर धर्मराज बैरवा सहित ग्रामीण मौजूद थे।